न गोताखोर, न ही एनडीआरएफ की टीम

By: Jul 28th, 2018 12:05 am

पांवटा साहिब – प्रदेश के छोर पर बसा पांवटा साहिब नगर चारों ओर से नदियों से घिरा हुआ है। यह नदियां जहां पांवटा उपमंडल के लोगों के लिए आम दिनों में वरदान बनी हुई हैं, वहीं बरसात के दौरान यह विनाशकारी भी हो जाती हैं। पांवटा साहिब प्रदेश का एकमात्र ऐसा नगर है जहां से होकर यमुना नदी बहकर निकलती है। नगर के पूर्व की ओर, जहां गिरि नदी यमुना में मिलती है, वहीं पश्चिम छोर पर बाता नदी पांवटा की पानी की दिक्कत दूर करती है, लेकिन बरसात के दिनों में यही नदियां विनाशकारी रूप धारण कर लेती हैं। कभी अपने तेज बहाव से भूमि कटाव के कारण जमीनें तबाह करती है तो कभी लोगों को अपने भंवर में फंसा लेती है। ऐसा ही मामला इस बार गत गुरुवार को सामने आया जब गिरि नदी में अचानक ही जल स्तर बढ़ने से आठ लोग नदी के बीच एक टापू पर फंस गए थे। यह तो गनीमत रही कि प्रशासन की मुश्तैदी के कारण कोई जानी नुकसान नहीं हुआ, लेकिन ऐसे हालात सामने आने पर पांवटा नगर के लोगों के जेहन में अकसर एक सवाल उठता रहता है कि यहां पर न तो स्थानीय प्रशासन के पास कोई गोताखोर है और न ही यहां एनडीआरएफ की कोई टीम कार्य कर रही है, जबकि पांवटा जैसे नदियों से घिरे इस संवेदनशील नगर को बरसात के दौरान इनकी बड़ी जरूरत सामने आती है। करीब चार साल पूर्व भी यहां के रामपुरघाट में इसी प्रकार कुछ मजदूर यमुना के बीच में फंस गए थे। उन्हें भी कड़ी मशक्कत के बाद प्रशासन ने बाहर निकाला था। हर साल गर्मियों में एक-दो मामले डूबने के आते हैं। मामले सामने आने के बाद पांवटा प्रशासन को उत्तराखंड से गोताखोर बुलाने पड़ते हैं जिससे कई बार काफी देर हो जाती है। लोगों का कहना है कि पांवटा साहिब में प्रशासन के पास आपदा से निपटने के लिए सारी सुविधाएं होनी चाहिए। विशेषकर बरसात के दौरान यहां पर दो महीने एनडीआरएफ की एक टीम तैनात होनी चाहिए या प्रशासन को दो महीने के लिए गोताखोर तैनात करने चाहिए। उधर, इस बारे नायब तहसीलदार पांवटा निहाल सिंह कश्यप ने कहा कि प्रशासन जल्द ही बरसात के दौरान कुछ गोताखोरों को तैनात करेगा जो ऐसी स्थिति में काम आ सके।


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