पौधों की रक्षा जरूरी
रूप सिंह नेगी, सोलन
मानसून के आगाज के साथ ही हिमाचल प्रदेश में हर साल पौधारोपण का काम शुरू हो जाता है, जिसमें प्रदेश सरकार, शिक्षण संस्थाएं, एनजीओ, निजी समूह आदि पौधारोपण करते हैं। इस बार भी प्रदेश सरकार का दावा है कि 12 से 14 जुलाई को 80 हजार जनता ने 15 लाख पौधे रोपे हैं, जिसे एक सराहनीय कदम कहा जा सकता है। हर साल भले ही लाखों की संख्या में पौधे लगाए जाते होंगे, लेकिन इसके बावजूद प्रदेश के फोरेस्ट क्षेत्र में पेड़ों की वांछित बढ़ोतरी न होना दुर्भाग्य की बात है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह हो सकता है कि पौधे लगाने के बाद देखभाल का न होना। पौधे लगाने के बाद यह नहीं देखा जाता है कि वह पौधे किस स्थिति में हैं, उनको जिंदा रखने के लिए क्या किया जाना चाहिए। यह अनुमान लगाया जा सकता है कि पौधों की सर्वाइवल रेट बहुत कम होगी और इसी वजह से फोरेस्ट एरिया में पेड़ों की मामूली बढ़ोतरी हो रही है। सरकार व अन्य सभी संस्थानों और सभी निजी समूहों से अपेक्षा है कि वह पौधारोपण के बाद भी पौधों का समय-समय पर ख्याल रखें, ताकि हम प्रदेश को और हरा-भरा बनाकर रख सकें। हर साल हो रहे इस पौधारोपण का वास्तिविक लाभ तभी होगा, अगर हम पौधारोपण के बाद इन पेड़ों को जिंदा रख पाएं।
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