प्राकृतिक खेती खाद्य सुरक्षा के लिए जोखिम

By: Jul 16th, 2018 12:04 am

नई दिल्ली— शून्य बजट वाली प्राकृतिक खेती से कृषि लागत घटाई जा सकती है, क्योंकि इसमें किसानों को रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों पर खर्च करने की जरूरत नहीं होती है। पर क्या यह तकनीक देश की अनाज की बढ़ती जरूरत को पूरा करने के लिहाज से कारगर होगी, इस सवाल को लेकर संशय है। बंगलूर स्थित ‘इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल एवं इकोनामिक चेंज’ के प्रोफेसर और कृषि अर्थशास्त्री प्रमोद कुमार ने कहा कि आंख मूंदकर कृषि की परंपरागत तकनीक को अपनाना खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से जोखिम भरा हो सकता है। उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने शून्य बजट वाली प्राकृतिक खेती की वकालत करते हुए कहा था कि इससे किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने में मदद मिलेगी। जेडबीएनएफ के तहत न तो रसायनिक उर्वरक और न ही कीटनाशकों का उपयोग होता है। इसकी जगह किसान गाय का गोबर, गो-मूत्र, पौधे, मानवीय अपशिष्ट और केंचुए जैसे जैविक खाद्य कीटनाशकों का उपयोग करते हैं। प्रोफेसर कुमार ने कहा, कृषि की इस तकनीक में बाजार से बीज, खाद जैसे कच्चे माल नहीं खरीदे जाते।


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