बढ़ती महंगाई का संकट
रूप सिंह नेगी, सोलन
कच्चे तेल की कीमतों में हो रही लगातार बढ़ोतरी आमजन के लिए मुसीबत का कारण बन गई है। जून 2018 में खुदरा महंगाई दर पांच प्रतिशत रही है और पेट्रोल व डीजल की कीमतों में हो रहा इजाफा महंगाई को और बढ़ा सकता है। हाल ही में घोषित समर्थन मूल्यों का असर भी आने वाले समय में महंगाई पर होगा। उत्पादन का घटना और आयात में बढ़ोतरी होना भी हमारे लिए चिंता का विषय है। हमें जीडीपी दर में बढ़ोतरी पर भले ही खुशी मिलती हो, लेकिन पिछले वर्षों और इस वर्ष में जॉब लेस जीडीपी ग्रोथ को दुखद ही माना जाना चाहिए। भले ही देश सात सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की सूची में हो, लेकिन कुछ बातों में इसका हाल अब भी बेहाल है। इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही माना जा सकता है कि सेंसेक्स और जीडीपी ग्रोथ से गरीबी रेखा से नीचे के लोगों और अन्य गरीबों को कोई लाभ नहीं हो पाता है। हम क्यों अपने देश में उत्पादन बढ़ाने और निर्यात बढ़ाने में पीछे हैं? यह भी एक चिंता का विषय है और हम अधिकतर वस्तुओं के लिए आयातित सामान पर निर्भर होते जा रहे हैं। समय रहते हमें अपनी नीतियों पर चिंतन करना चाहिए कि हम कहां गलत हैं और आगे की क्या ठोस नीति होनी चाहिए, तभी देश के हालात कुछ सुधरने की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
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