भारत का पहला धरोहर गांव है परागपुर
आधुनिकता की अंधी दौड़ में यहां लोग इनकी सुरक्षा में जुटे रहे। पचास सौ साल नहीं, तीन शताब्दियों से यह गांव गौरवमय सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं को अपने में संजोए है। इसी का प्रतिफल है कि परागपुर को देश का पहला धरोहर गांव होने का गौरव हासिल हुआ…
परागपुर
मुगल साम्राज्य और ब्रिटिश काल का गुलामी भरा जीवन भी परागपुर गांव के लोगों को अपनी संस्कृति और परंपराओं से विमुख नहीं कर पाया। आधुनिकता की अंधी दौड़ में यहां लोग इनकी सुरक्षा में जुटे रहे। पचास सौ साल नहीं तीन शताब्दियों से यह गांव गौरवमय सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं को अपने में संजोए है। इसी का प्रतिफल है कि परागपुर को देश का पहला धरोहर गांव होने का गौरव हासिल हुआ। गांववासियों की कोशिश से ही यह भारत का पहला धरोहर गांव कहलाता है।नूरपुर
यह जब्बर नदी के किनारे 2125 फुट की ऊंचाई पर 30’18’ उत्तरी आक्षांशा और 75’ 55’ पूर्वी देशांतर में स्थित है। नूरपुर का पहला वर्णन अकबर के कार्यकाल में इतिहासकारों के लेखों में मिलता है। उन्होंने नूरपुर के राजा को माओ और पैथान के जमींदार के पद से नवाजा है। माओ के प्राचीन किले को शाहजहां द्वारा गिरा दिया गया था। पुराने समय में इसे धमेरी के नाम से जाना जाता था। मुगल सम्राज्ञी नूरजहां के सम्मान में राजा बसु ने इसका पुनः नामकरण नूरपुर किया।
पंडोह
पंडोह कुल्लू के रास्ते पर मंडी से 16 किलोमीटर की दूरी पर है। ब्यास नदी पर मिट्टी व चट्टान से भर कर (61 मीटर) बांध बनाया गया है। पानी को सतलुज नदी की ओर दो सुरंगों द्वारा मोड़ा गया है, जो 12 किलोमीटर लंबे जल मार्ग 7,62 मीटर ब्यास व 13.16 किलोमीटर लंबाई की हैं।
रामपुर
यह शिमला से 140 किलोमीटर की दूरी पर सतलुज नदी के बाएं किनारे पर स्थित है। रामपुर बुशहर के राजा के महल के अतिरिक्त यहां एक मंदिर, बौद्ध मठ तथा एक हिंदू मंदिर है, महल को पद्म महल कहा जाता है। रामपुर में कार्तिक माह में ‘लवी मेला’ का आयोजन किया जाता है।
रायसन
यह कुल्लू से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एकांत वैभव में शंत छुट्टी बिताने तथा युवाओं के लिए शिविर लगाने के लिए यह एक आदर्श स्थान है। घाटी के इस भाग में बहुत बागीचे और सुंदर चोटियां हैं जो इस स्थल का आकर्षण हैं।
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