राजकीय प्राथमिक पाठशाला बंडोल (ज्वालामुखी)

By: Jul 18th, 2018 12:10 am

सुनील धीमान

जेबीटी अध्यापक

पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की शैक्षणिक में राजकीय प्राथमिक पाठशाला बंडोल ने स्वर्णिम अध्याय लिख दिया है। बंडोल स्कूल को मॉडल बनाकर पूरे प्रदेश में शुरू करने से फिर से सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्वक प्राइवेट स्कूलों को पछाड़ने वाली शिक्षा की शुरुआत हो सकती है। बंडोल स्कूल को प्राइवेट स्कूलों से भी कहीं आगे का शैक्षणिक स्तर और व्यवस्था ने हिमाचल प्रदेश में बड़ा उदाहरण पेश किया है। देवभूमि हिमाचल का बंडोल ऐसा सरकारी स्कूल बन गया है, जहां पर बच्चे बिना बैग और यहां तक की अब बिना किताबों के भी पढ़ाई कर रहे हैं। डिजिटल इंडिया के तहत प्राइमरी स्कूल में डिजिटल तरीके से ही बच्चों को बिना किताबों और नोट बुक के अध्ययन करवाया जा रहा है। वहीं, स्कूल में हर्बल गार्डन भी तैयार किया गया है। इसमें स्कूल के सभी स्टाफ, एसएमसी मेंबर और जेबीटी अध्यापक सुनील धीमान ने अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके लिए सुनील धीमान को जिला स्तरीय सहित कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया है। राजकीय प्राथमिक पाठशाला बंडोल सन् 1983 में अस्तित्व में आई। पाठशाला गांव हिरन, तहसील ज्वालामुखी, जिला कांगड़ा में स्थित है। बंडोल स्कूल का भवन पक्का है।  सभी कमरों में बिजली, पंखे और रोशनी का प्रबंध है। बच्चों को खेलने के लिए खेल का मैदान भी उपलब्ध है। स्कूल में शिक्षा सत्र 2016-17 में 62 बच्चे प्रथम कक्षा से पांचवीं कक्षा तक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। गत दो वर्षों से पाठशाला में नर्सरी की कक्षाएं भी चलाई जा रही हैं। नर्सरी कक्षा में 12 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। स्कूल के स्टाफ में सरोज कुमारी मुख्याध्यापिका, सुनील कुमार जेबीटी, राम स्वरूप प्राथमिक सहायक अध्यापक, कन्या देवी अंशकालीन जलवाहक, परमजीत, सुभद्रा देवी मिड-डे-मील वर्कर व उजाला रानी नर्सरी कक्षा अध्यापिका द्वारा स्वैच्छिक एवं निःशुल्क सेवा प्रदान की जा रही है। स्कूल में नर्सरी कक्षा से पाचवीं कक्षा के बच्चों को तीन सदनों में मैरी गोल्ड, गुलमोहर एवं लोटस सदन में बांटा गया है।  बच्चों के अभिभावकों और अन्य लोगों के सहयोग से एकत्रित राशि से स्कूल में अनेक विकास कार्य किए गए हैं।  स्कूल में सरकार द्वारा वर्दी योजना के तहत उपलब्ध करवाई गई वर्दी के अतिरिक्त निजी स्कूलों की तर्ज पर एक और वर्दी लगाई गई है। पाठशाला में अप्रैल सत्र 2016-17 में स्मार्ट क्लास रूम की व्यवस्था की गई है। विभिन्न कक्षाओं की विषय-वस्तु से संबंधित पहलुओं को वीडियो इंटरनेट से जोड़कर बहुत ही सरल ढंग से समझाया जाता है। बच्चों में परम्परागत रटन्त या याद करना प्रणाली से हटकर विषय- वस्तु को समझने व सीखने की कला विकसित हुई है। सरकार द्वारा समय-समय पर छोटे-छोटे बच्चों के लिए स्कूल बैग के बोझ को कम करने पर सुझाव/आदेश दिए जा रहे हैं। इसी कड़ी में स्कूल ने अनोखा प्रयास किया गया, जो कि सफल रहा।  स्कूल में पढ़ रहे बच्चों ने प्रतियोगी परीक्षाओं में भी शानदार प्रदर्शन किया है। स्कूल से स्तरोन्नत हुए बच्चे राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रतिवर्ष मैरिट में आते हैं और अपने माता- पिता एवं स्कूल का नाम रोशन करते हैं। शिक्षा सत्र 2015-16 में पांच बच्चे और 2016-17 की परीक्षा में पांच बच्चे मैरिट में आए और छात्रवृति हासिल करने में सफल रहे। स्कूल में शिक्षा उपनिदेशक दीपक किनायत के सुझाव से बच्चे का शैक्षणिक रिकार्ड संभाल कर रखा जाता है। प्रत्येक बच्चे की फाइल बनाई गई है। स्कूल में सभी बच्चे मिल बैठकर मंत्रोच्चारण के बाद स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेते हैं। स्कूल आपदा प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य बच्चों को आसपास के खतरों के बारे में जागरूक करना एवं उनसे निपटने के तरीकों के बारे में अवगत करवाया जा रहा है। स्कूल में बच्चों को मॉक ड्रिल करवाई जाती है। इसमें अग्निशमन विभाग और स्वास्थ्य विभाग की सेवाएं भी ली जा रही हैं। स्कूल में शिक्षण गतिविधियों के साथ-साथ खेल एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में भी बच्चे बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। कबड्डी में लड़कों ने जिला स्तर की खेलोें, नाटी में जिला स्तर पर लड़कियों ने भाग लिया। स्कूल की मुख्याध्यापिका सरोज कुमारी का कहना है कि प्रबंधन समिति व अध्यापक वर्ग सदैव पाठशाला एवं बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए समर्पित हैं। अध्यापकों और समुदाय के सहयोग से प्रस्तावित एवं क्रियान्वित किए गए कार्यों से स्कूल एवं बच्चों दोनों का स्तर ऊंचा उठा है। आगामी सत्र में कम्प्यूटर का प्रबंध, बच्चों के लिए खिलौने, स्लाइडर, झूला आदि लगवाना प्रस्तावित है। इसके साथ ही खेल संबंधी सामान भी उपलब्ध करने की आवश्यकता हैं।  बच्चों के हित में चलाई जा रही योजनाओं और स्कूली गतिविधियों के बारे लोंगों को जागरूक किया जाएगा।

-नरेन कुमार, धर्मशाला


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