सरहदों के रखवालों को सड़क नहीं 

By: Jul 28th, 2018 12:05 am

पालकी में बिठाकर सड़क तक पहुंचाए जा रहे मरीज, प्रशासन से लगाई गुहार

घुमारवीं – हरलोग पंचायत के गांव बाहन, सिंबलू व पलान के लोग आजादी के 70 साल बाद भी सड़क सुविधा से मरहूम हैं। इन गांवों के पूर्व सैनिकों ने देश की सरहदों की रक्षा करते हुए दुश्मन सेना से लड़ाइयां लड़ी हैं। इसके बावजूद भी ये गांवों सड़क सुविधा से वंचित हैं। आज जब बुढ़ापे में वे पूर्व सैनिक बीमार पड़ रहे हैं, तो उन्हें पालकी के सहारे सड़क तक पहुंचाया जा रहा है। हरलोग पंचायत के बाहन, सिंबलू व पलान गांवों में जब कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाता है, तो उन्हें पालकी में उठाकर तीन किलोमीटर तक पैदल सड़क तक पहुंचाना होता है। इसके बाद किसी वाहन से मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाता है। ऐसे में यदि बारिश का मौसम हो या फिर रात का समय हो, तो मरीज को सड़क तक पहुंचाने में आने वाली दिक्कतों का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। इससे हर गांव तक सड़क पहुंचाने के वायदे करने वाली सरकारों के दावों की यहां पर पोल खोल रही है। इन गांवों के लोगों को सामान सिर पर उठाकर या फिर घोड़े पर लादकर ले जाना पड़ता है। जानकारी के मुताबिक वर्ष 1965 तथा 1971 की लड़ाइयां लड़ने वाले सिंबलू गांव के 84 वर्षीय पूर्व सैनिक सुंदर राम बीमार पड़ गए। 24 साल तक देश के लिए अपनी सेवाएं देने तथा सरहदों पर लड़ाइयां लड़ने के बावजूद भी पूर्व सैनिक का गांव आज तक सड़क सुविधा से वंचित है। पिछले दिनों पूर्व सैनिक सुंदर राम बीमार पड़ गए, तो उन्हें पालकी के सहारे तीन किलोमीटर दूर मड़ोना सड़क तक पहुंचाया। इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। राजेश ठाकुर ने बताया कि इस बाबत उन्होंने सांसद अनुराग ठाकुर को कई बार मेल भी लिखी। इसमें उन्होंने चलेहली से हंडिबा माता के मंदिर होते हुए सड़क की मांग की थी, लेकिन कोई जबाव नहीं मिला। पूर्व सैनिक राजेश ठाकुर ने कहा कि सरकार और विभाग को कोई ना कोई रास्ता निकालकार इस क्षेत्र के लिए सड़क निकालने का काम करना चाहिए। वहीं, पूर्व  सैनिक राजेश ठाकुर का कहना है कि रलोग पंचायत के गांव बाहन, सिंबलू व पलान के लोग सड़क सुविधा से वंचित हैं। कोई व्यक्ति बीमार हो जाए, तो उन्हें पालकी में बिठाकर मड़ोना तक पहुंचाया जाता है। इन गांवों के कई पूर्व सैनिकों ने देश की सरहदों की रक्षा को दुश्मनों से लड़ाइयां लड़ी है। लेकिन, बावजूद ये गांव सड़क सुविधा से मरहूम हैं। सांसद अनुराग ठाकुर को भी इस बारे मेल की थी। लेकिन, कोई जवाब मिला।


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