सावन का पहला सोमवार…भक्तों की आएगी बहार

By: Jul 16th, 2018 12:08 am

बैजनाथ – सोमवार से आरंभ हो रहे ऐतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ में सावन माह के सोमवार मेलों को लेकर शिव मंदिर क गर्भ गृह को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया है, वहीं बाहरी भाग को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया गया है। शिव भक्तों को वर्षा में भीगना न पड़े, जिसके लिए प्रशासन द्वारा वाटर प्रूफ टैंट की व्यवस्था की गई है। यही नहीं, बुजुर्गों की सुविधा हेतु इस बार उन्हें लाइनों में खड़ा न होना पड़े, सीधा दर्शन करवाने की सुविधा रहेगी। मंदिर ट्रस्ट के सहायक आयुक्त एसडीएम बैजनाथ शुक्ला ने बताया कि इस बार सावन माह के पांच सोमवार मेलों का आयोजन होगा, वहीं सोमवारों के दौरान मंदिर सुबह चार बजे खुलेगा व रात दस बजे तक शिव भक्त भोलेनाथ के दर्शन कर सकेंगे। यही नहीं, खीर गंगा घाट पर रोशनी की व्यवस्था करवा दी गई है। खीर गंगा घाट पर सुबह स्नान कर वहां से लाए जल को भोलेनाथ को अर्पण करने से पुण्य फल प्राप्ति होती है। मेलों के दौरान हर सोमवार को दो ट्रस्टी व एक प्रशासनिक अधिकारी अपनी सेवाएं देंगे। विकास शुक्ला ने बताया कि मेलों के दौरान भंडारे का आयोजन भी किया जाएगा। यही नहीं, यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप रखने के लिए व्यवस्था की गई है, वहीं खीर गंगा घाट के पास अस्थायी पार्किंग की व्यवस्था रहेगी, वहीं असामाजिक तत्त्वों से निपटने के लिए अतिरिक्त पुलिस पुल की तैनाती रहेगी। मेला मैदान में एक माह तक चलने वाले मेले के दुकानों का आबंटन किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त पीने के पानी की अलग से व्यवस्था की गई है।

नाग वार आज से, मंदिर में लगेंगी रौनकें

रानीताल – यहां से दो किलोमीटर दूर धर्मशाला-होशियारपुर राजमार्ग पर स्तिथ धार्मिक आस्था के प्रतीक नाग मंदिर में सावन महीने की मकर संक्रांति यानी सोमवार से नाग के मेले (वार) शुरू हो रहे हैं। लगभग दो महीनों तक चलने वाले इन मेलों में नवरात्र जैसा हुजूम नाग बाबा के दर्शनों के लिए उमड़ता है। अपने राज्य के अलावा पड़ोसी राज्यों के श्रद्धालु भी भारी संख्या में अपनी हाजिरी बाबा के दरबार में लगाकर अपने कष्टों से मुक्ति पाते हैं। यूं तो दरबार में भक्तों का आवागमन पूरा साल ही चलता है, लेकिन सावन माह में इसका विशेष महत्त्व होता है। सावन माह के मंगलवार और शनिवार को जो भी श्रद्धालु इस मंदिर की पावन मिट्टी और कच्चे धागे का सेवन करता है, वह तरह के रोगों से मुक्ति पाते हैं। इस मंदिर की मान्यता है कि किसी भी विषैले जैसे सांप, बिछु के काटे जाने पर मंदिर की पावन मिट्टी के लेप ओर कच्चे धागे को बांधने से उक्त विषेले सांप का विष समाप्त हो जाता है और इसके सेवन से चर्म रोगों से भी छुटकारा मिलता है। इन मेलों के दौरान यहां लगभग सौ छोटी बड़ी दुकानें स्थानीय लोगों व बाहरी राज्यों से व्यापारियों द्वारा लगाई जाती हैं। बाबा के आशीर्वाद से उक्त व्यापारी भी अच्छा व्यापार करके खुशी-खुशी अपने घर को जाते हैं, जहां तक मंदिर की बात है कभी यह मंदिर एक घास भूस का कच्चा मंदिर होता था। आज मंदिर के पुजारियों जामुयाल परिवार के अथाह प्रयासों से एक भव्य मंदिर बना दिया है, जहां श्रद्धालुओं की हर सुविधा के अनुसार मंदिर तक पक्की सड़क, पार्किंग व्यवस्था, पीने के लिए ठंडा पानी व आराम करने के लिए खुला हाल आदि सारी व्यवस्था की गई है।


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