स्वाद बदलते हिमाचली युवा

By: Jul 16th, 2018 12:05 am

ताकतवर गेहूं की जगह खोखले मैदे से बने नूडल्स ने ले ली तो चावल को मोमो ने पछाड़ दिया। हिमाचल के नौजवानों को दूध-लस्सी से ज्यादा कोल्ड ड्रिंक्स प्यारी हो गई। जी,हां! यही है देवभूमि में खान-पान का नया ट्रेंड। स्वाद के बहाने फास्ट फूड युवाओं पर कैसे हावी हो रहा है, यही पड़ताल कर रहा है,इस बार का दखल…

हिमाचली पारंपरिक व्यंजनों का जायका ही है, जो पर्यटकों को हिमाचल खींच लाता है। विदेशी पर्यटकों को जहां हिमाचली व्यंजनों का जायका पसंद आता है तो वहीं हिमाचली युवा इन व्यंजनों से नाता तोड़ विदेशी व्यंजनों का दीवाना होता जा रहा है। बच्चों से लेकर बड़ों तक में फास्ट फूड यानी बर्गर, पिज्जा, फ्रेंच फ्राइज, मोमोस, चाउमिन का काफी क्रेज बढ़ गया है। छोटे से लेकर बड़ी पार्टियों में इसका प्रचलन आम हो गया है।

आजकल बाजार के हर चौराहे पर पिज्जा हट, फास्ट फूड कॉर्नर हैं । कमाई के मामले में अन्य दुकानों से यह कहीं आगे नजर आते हैं।  ऐसे में पारंपरिक व्यजनों से दूर होने की एक बड़ी वजह बदलता लाइफ स्टाइल है । समय की कमी के चलते अब घरों पर पारंपरिक व्यंजन बनना ही बंद हो गए हैं। पहले जहां खास त्योहारों पर तो कभी आम ही घरों पर यह पारंपरिक व्यंजन बना करते थे , लेकिन अब फैशन और आधुनिकता के इस दौर में भोजन का भी  रंग-रूप और स्वाद के साथ जायका भी बदल गया है।

प्रदेश के  त्योहारों की पहचान यह  पारंपरिक व्यंजन अब गायब हो गए है और प्लेट में सज रहा है तो बस विदेशी जायका । त्योहारों में भी युवा अपने घरों में बनने वाले पकवान कम तो बाहर का बना खाना ज्यादा खा रहे हैं।

भागमभाग में बदल रहा स्वाद

व्यंजनों से युवाओं के टूटते नाते की एक वजह यह भी है कि महिलाएं जो पहले घर के चूल्हे-चौंके तक ही सीमित थीं वे अब कामकाजी हो गई हैं । कामकाजी महिलाओं के पास समय की कमी के चलते हिमाचली रसोई से हिमाचली जायके ही गायब हो गए हैं। बच्चे शुरू से ही पारंपरिक खाना न खाकर बाहर का फास्ट फूड ही खा रहे हैं। माता-पिता खुद भी यही खाना पसंद कर रहे हैं तो बच्चे भी इसी खाने को ज्यादा पसंद कर रहे हैं, जिसकी वजह से पारंपरिक व्यंजनों से उनका नाता ही नहीं रहा है। आज के भागमभाग भरे दौर में जीवन भी बेहद व्यस्त हो गया है ऐसे में घर पर बनी दाल, रोटी और सब्जी से नाता टूट गया है और आसानी से हर जगह मिलने वाला फास्ट फूड लोगों की डाइट का हिस्सा बन गया है। स्कूल-कालेजों के छात्रों में फास्ट फूड का अधिक  के्रज है। युवा अब घर के बने खाने का टीफिन कालेज न ले जा कर कालेजों की कैंटीन या कालेज के बाहर लगे फूड कॉर्नर में ही खाने को तरजीह दे रहे हैं । कालेज की कैंटीन के साथ ही इन फूड कॉर्नर पर भी जल्दी से बनने वाला फास्ट फूड ही युवाओं को परोसा जा रहा है और युवा भी उसी की डिमांड कर रहे हैं।

फास्ट फूड पर डेली 200 रुपए तक उड़ा रही युवा पीढ़ी

हिमाचली युवाओं में फास्ट फूड के प्रति क्रेज इस कद्र है कि वे फास्ट फूड पर हर रोज दो सौ रुपए तक खर्च कर हैं।  हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के वाणिज्य विभाग की ओर से करवाए गए शोध में ये आंकड़े सामने आए हैं। शोध एचपीयू के विद्यार्थियों व बाहर से एचपीयू में आए 100 युवाओं पर किया गया है। शोध का निष्कर्ष यह रहा कि आज की युवा पीढ़ी इस तरह के खाने के दुष्परिणामों को भली-भांति जानने के बावजूद फास्ट फूड की लत का शिकार हो चुकी है। जिन युवाओं से इस शोध के तहत बात की गई, उनमें से हर युवा औसतन 200 रुपए तक रोजाना फास्ट फूड पर खर्च कर रहा है। अध्ययन में जो तथ्य सामने आए हैं, उसमें युवा चाइनीज और इटेलियलन के उत्पाद को ज्यादा पसंद करते हैं।

पर्यटकों की पसंद का खाना परोस रहे रेस्तरां

हिमाचल एक पर्यटन स्थल हैं। ऐसे में यहां सीजन में पर्यटकों की आवाजाही लगी रहती है। बाहरी राज्यों के पर्यटकों के अलावा यहां विदेशी पर्यटक ज्यादा संख्या में घूमने आते हैं। यहां आने वाले पर्यटकों को हिमाचली पारंपरिक व्यंजन न परोस कर अब विदेशी व्यंजनों को ही हिमाचली रेस्तरां परोस रहे हैं। हिमाचल खाने का स्वाद और यहां की पारंपरिक व्यंजनों को मात्र और मात्र पर्यटन निगम के रेस्तरांओं के मेन्यू में शामिल किया गया है। दूसरे रेस्टोरेंट में न तो यह पारंपरिक व्यंजन मेन्यू में पढ़ने को मिलते हैं और न ही खाने के लिए। अब हिमाचल में आलम यह हो गया है कि पर्यटकों के साथ उनका विदेशी खाना भी हिमाचल में परोसा जाने लगा है। इतना ही नहीं विदेशी रेस्तरां भी यहां शहरों में खुल गए हैं। अब शिमला, धर्मशाला, सोलन, मंडी और अन्य शहरों में केएफसी, मकलोडगंज, पीजी हट जैसी विदेशी डोमीनोज पिज्जा आउट लेट्स खुल गए हैं।

विदेशी आउटलेट्स सबकी पसंद

हिमाचली युवा पीढ़ी भी अब आम रेस्तराओं को छोड़कर इन विदेशी आउट लेट्स में जाकर खाना पसंद कर रहे हैं। ये आउट लेटस अब खाने पीने के लिए नहीं बल्कि आफिशियल मीटिंग के लिए भी पहली पसंद बन गए हैं। इन आउट लेट्स में शाकाहारी और मांसाहारी सभी तरह के व्यंजन अलग-अलग जायके और अलग-अलग तरीके के साथ परोसे जा रहे हैं, जिन्हें हिमाचली युवा भी खासा पसंद कर रहे हैं। वहीं आम रेस्तरां में चिली पोटेटो, मंचूरियन, पिज्जा, बर्गर,फ्रेंचफ्राई, पास्ता सहित थाई इटेलियन मेक्सिकन, स्पेनीश व्यंजन परोसे जा रहे हैं।

विदेशी सैलानियों की मांग पर खुल रहे रेस्तरां

प्रदेश में अब हिमाचली व्यंजन विदेशी पर्यटकों की डिमांड को देखते हुए विशेष रूप से हिमाचल व्यंजनों के आउट लेट्स खोले जा रहे हैं। इसमें कई ऐसे छोटे आउट लेट्स शिमला सहित अन्य शहरों और पर्यटक स्थलों में खोले गए हैं, जहां हिमाचल के पारंपरिक व्यंजन ही विशेष रूप से परोेसे जा रहे हैं।

मैदे से बने खाद्य पदार्थ महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक

अल्का भारद्वाज,

न्यूट्रिशियनिस्ट आईजीएमसी

नौजवानों के खाने की बात करें तो चिप्स, बर्गर, चाउमिन, कुरकुरे की ओर युवा ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं। खाने का कम समय है। इसलिए फास्ट फूड में ज्यादातर चिप्स आज के युवा वर्ग ज्यादा खा रहे हैं। चिप्स से युवाओं को दूरियां बनानी चाहिएं। बता दूं कि 20 रुपए का चिप्स पैकेट 20 लाख की किडनी को धीरे-धीरे खराब करता है। चिप्स से कमजोरी भी होती है। अस्पताल में आने वाले ज्यादा मामले भी चाइनीज फूड का ज्यादा उपयोग करने वाले युवाओं के आते हैं। देखा गया है कि ज्यादातर युवा मोटा न होने के लिए प्रोटीन खाने को छोड़कर चिप्स व कुरकुरे को ज्यादा प्रेफर कर रहे हैं। देखा जा रहा है कि कई नौजवान पेस्ट्री, केक का भी ज्यादा इस्तेमाल करते है, जो उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं।  जिस तरह से युवा वर्ग भागमभाग की इस दुनिया में हाई प्रोटीन का खाना छोड़ फास्ट फूड खा रहे हैं, इससे यह तो साफ है कि इससे युवाओं का मानसिक नुकसान भी हो रहा है। रोजाना प्रोपर डाइट न लेना और फल-फ्रूट्स न खाने से मानसिक तनाव की स्थिति भी युवाओं में देखने को मिलती है। अस्पताल में रोजाना मानसिक रूप से परेशान, सिरदर्द, डिप्रेशन के हजारों मामले पहुंच रहे हैं। अगर लोग रोज सही डाइट लेंगे तो तभी वे शारीरिक और मानसिक रूप से तंदुरुस्त होंगे। हाई प्रोटीन खाना खाने से किसी को मोटापा या पतलापन नहीं होता। इसलिए युवाओं को यही सलाह है कि वे अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए प्रोटीनयुक्त खाना खाएं।  आज बाजारों, रेस्तरांओं में जो चाइनीज फूड का प्रचलन चला है, उसमें मैदे की मात्रा ज्यादा बढ़ गई है। मैदे वाली हर खाद्य वस्तुओं को युवा पसंद भी करते हैं, लेकिन मैदा शरीर के लिए काफी नुकसानदायक होता है। खासतौर पर इसका बुरा प्रभाव महिलाओं और लड़कियों पर पड़ता है। बाजार में मिलने वाले पिज्जा, मोमोज, नूडल्स में मैदा ज्यादा होता है, जिससे कि महिलाओं को गर्भधारण करने में भी दिक्कतें आती हैं। मोमोस, बर्गर बहुत जल्द युवाओं का पेट भर देते हैं। वहीं मैदा लोगों की पाचन शक्ति को भी बिलकुल खराब कर देता है। मैदायुक्त खाद्य वस्तुएं खाने से कई बीमारियां लोगों को जकड़ लेती हैं, जिससे पथरी तक की बड़ी बीमारी युवाओं को हो सकती थी। मैदे का ज्यादा प्रयोग गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक होता है।

शादी-ब्याह तक सीमित पारंपरिक व्यंजन

हिमाचल प्रदेश में लजीज व्यंजनों का स्वाद अब केवल शादी-ब्याह तक ही सीमित रह गया है। हालांकि यहां भी शादियों में अब स्टैंडिंग खाने और कैटरिंग का चलन बढ़ गया है, लेकिन फिर भी ग्रामीण हलकों ने इस पहचान को और पारंपरिक व्यंजनों की महक को शादी-ब्याहों में बरकरार रखा है। अब जहां प्रदेश में होने वाली शादियों में फास्ट फूड के स्टॉल, टिक्की, चाउमिन व मोमोज सहित अन्य कई तरह की फूड आइटम शामिल की जा रही हैं। वहीं पंगत में पत्तल पर खाने की प्रथा भी अब गुम होती जा रही है…

* शिमला में माह-चने की दाल, दही में बने सफेद चने, खट्टा, पनीर, काला चना और मीठे में बदाणा बहुत प्रसिद्ध है।

* कांगड़ी धाम में मदरा, रंगीन मीठे चावल, चने की दाल, माह, बेसन की बूंदी,खट्टा परोसा जाता है।

* बिलासपुर में धुली दाल, काले चने का खट्टा, फ्राई आलू, रौंगी, मीठा बदाणा या कद्दू का मीठा,

* हमीरपुर में राजमाह, पेठे का मीठा, आलू का मदरा और कड़ी प्रचलित है।

* ऊना में दाल चना, राजमाह, दाल माह, पलदा परोसा जाता है।

* सोलन जिला में हलवा-पूरी, पटांडे, मालपुए, खट्टा कद्दू, चना, कढ़ी परोसी जाती है।

* मंडी क्षेत्र में खाने में सेपू बड़ी, मूंग दाल का हलवा, मटर-पनीर, राजमांश, काले चने व झोल बनता है।

* किन्नौर में मांसाहारी व्यंजनों के साथ हलवा-पूरी व सब्जी परोसी जाती है।

* लाहुल-स्पीति में दाल चना, राजमाह, सफेद चना के साथ मांस से संबधित कोई भी व्यंजन शामिल रहता है।

* सिरमौर में पारंपरिक व्यंजनों की ही महक बनी हुई है। यहां असकली के साथ राजमांश, उड़द दाल के साथ खाया जाता है।

युवाओं की राय…

इंडियन खाना पहली पसंद

खाने को लेकर अलग-अलग तरह की पसंद रखने वाले युवाओं में किसी को चाइनीज ज्यादा पसंद है तो किसी को इटालियन कोई मुगलई का दीवाना है तो कोई कप केक और बेकरी से बनने वाली चीजों का। युवाओं के खाने को लेकर पसंद भी दोस्तों की पसंद के हिसाब से ही बनती है। एमबीए इन फाइनांस की डिग्री कर रही दीपाली का अपने खाने की पसंद को लेकर कहना है कि वैसे तो उन्हें इंडियन खाना खाना ही सबसे ज्यादा पसंद है, लेकिन यह पसंद तब बदल जाती है ,जब बात दोस्तों के साथ पार्टी की हो। पार्टी के लिए कोई भी एक रेस्टोरेंट या फूड कॉर्नर नहीं बल्कि अलग-अलग फूड कंसर्ट पर जाकर पार्टी होती है। बर्थडे पार्टी की शुरुआत बेकरी से होकर उसका अंत चाइनीज खाने से ही होता है।

फटाफट मिलता है चाइनीज, पर हिमाचली खाने की बात अलग

धर्मशाला के अजय कुमार का कहना है कि चाइनीज फूड बड़ी आसानी से जल्दी-जल्दी उपलब्ध हो जाता है। साथ ही इसके लिए अधिक पैसे भी खर्च नहीं करने पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि चाइनीज, बेकरी, इटालियन, मुगलई और हिमाचली खाने में उन्हें सबसे अधिक हिमाचली खाना ही पसंद है।

पतरोड़े-फाफरे की रोटी पसंद

हमीरपुर की फैशन डिजाइनर 25 वर्षीय पूजा गिरी जो  मूल रूप से पूजा किन्नौर जिला से ताल्लुक रखती हैं, बताती हैं कि उन्हें अपनी टे्रेडिशनल खाना बहुत अच्छा लगता है।  इनमें पतरोड़े, चावल से बनी एंकलियां, फाफरा की रोटी, फंटिंग, राजमाह-चावल, नॉनवेज में बकरे का गिमटा। इसके अलावा फलों में चुल्ली, सेब, किन्नौरी अंगूर और जंगली अखरोट खाना बेहद पसंद हैं।

मंडयाली धाम का अलग जायका

प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी छोटी काशी न सिर्फ मंदिरों व अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां व्यंजन और विशेष कर मंडयाली धाम, सेपू बड़ी, कचौरी और सिड्डू भी विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। हालांकि बदले माहौल और युवा पीढ़ी की अपनी पसंद के चलते पूरे मंडी जिला में चाइनीज फूड की भरमार देखी जा सकती है। मंडी के युवा इकबाल सिंह कहते हैं कि एक खाना चुनना हो तो वह मंडयाली धाम ही सबसे अधिक पसंद करेंगे।

हिमाचली व्यंजन ही स्वादिष्ट

आज जहां युवा चाइनीज खाने के पीछे पागल हैं, वहीं बिलासपुर जिला के जुखाला क्षेत्र के अंकुर ठाकुर को हिमाचली खाना सबसे ज्यादा पसंद है और वह प्रदेश में अलग-अलग जगह पर जाकर वहां की लोकल डिश खाना पसंद करते हैं।  अंकुर ठाकुर का कहना है कि वह दोस्तों के साथ हिल एरिया में पार्टी करना पसंद करते हैं। अंकुर को खाने में बिलासपुरी धाम सबसे ज्यादा पसंद है।

चाइनीज फूड पहली पसंद

नौणी से सोलन घूमने आए मनीष ने बताया कि वह ज्यादा चाइनीज फूड को लाइक करते हैं क्योंकि उनका स्वाद अच्छा होता है। हालांकि वह पहाड़ी व्यंजनों को भी कभी-कभार खा लेते हैं। दोस्तों के साथ घूमने व बर्थ-डे के दौरान ही पार्टी करते हैं। यह पार्टी रेस्ट्रोरेंट, पार्क या फिर रूम में ही कर लेते हैं। मनीष ने बताया कि यदि चाइनीज, बेकरी, मुगलई, इटालियन और हिमाचली खाने में से केवल एक चीज को चुनना पड़े तो हमेशा चाइनीज को ही प्राथमिकता के रूप में चयन करेंगे।

सिड्डू-पटांडे लाजवाब

व्यंजनों की पसंद को लेकर नाहन के युवा सतीश शर्मा ने बताया कि उन्हें पारंपरिक व्यंजन ही अच्छे लगते हैं। भले ही आज मार्केट में चाउमिन, बर्गर, पिज्ज, मोमो आदि को युवा पीढ़ी पसंद करती है, लेकिन हमें अपने हिमाचली व्यंजन ही अच्छे लगते हैं। खासकर  सिरमौर के गिरिपार में देशी घी से बनाए जाने वाले पारंपरिक व्यंजन जैसे असकली, सिड्डू, तेलपकी, चिलटे, पटांडे, पोली व अन्य सिरमौरी पकवान बेहद पसंद हैं।

खूब भाती है चाइनीज डिश

कुल्लू की करिश्मा का कहना है कि उन्हें चाइनीज डिश खाना बेहद पसंद है। फिर चाहे उन्हें वह रोज ही खाना क्यों न पड़े। इसके अलावा उन्हें सब्जियों में सबसे अधिक करेले खाना अच्छा लगता है।

फास्ट फूड लाजवाब

ऊना शहर के शिवम अरोड़ा आधुनिक खाने को पसंद करते हैं। दिन के समय तो ज्यादात्तर कोलड्रिंक के साथ ही अन्य फॉस्ड फूड को ही तवज्जे देते हैं। शिवम ने बताया कि वह ज्यादा चाइनीज फूड को लाइक करते हैं क्योंकि उनका स्वाद अच्छा होता है।

हर गली-चौराहे पर चाइनीज व्यंजनों की महक

आजकल हर कोई चाइनीज फूड का दीवाना है। किसी से बाजार में कुछ खाने की बात करें तो हर किसी की जुबान पर चाइनीज फूड का नाम होगा।   यहीं कारण है कि आज प्रदेश के प्रमुख शहरों सहित गांव-देहात की गली, चौराहों पर भी चाइनीज फूड बिक रहे हैं। प्रदेश के अधिकतर क्षेत्रों में रेहडि़यां लगाकर  मोमो सहित अन्य चाइनीज उत्पाद बिक रहे हैं और लोग भी चटकारे लेकर उनका स्वाद ले रहे हैं। हालांकि कुछ समय पहले तक चाइनीज उत्पाद शहरों तक सीमित थे और रसूखदार युवा वर्ग ही इसके दीवाने थे।

चाइनीज फूड से बढ़ा रोजगार

शुरुआत में  बाहरी राज्यों से आने वाले प्रवासी प्रदेश की जनता को चाइनीज व्यंजन परोस रहे थे। मगर अब हिमाचली युवा भी कई स्थानों पर स्टाल लगाकर चाइनीज व्यंजन परोस रहे हैं। या यूं कहे कि हिमाचली भी इस व्यवसाय से जुड़ गए हैं। इससे यहां के युवाओं के रोजगार भी बढ़ा है।

पारंपरिक व्यंजनों से आने वाली पीढि़यां होगी अनजान

पारंपरिक व्यंजनों की अहमियत और लोकप्रियता कम होने लगी है। अगर यूं कहा जाए कि मौजूदा समय में पारंपरिक व्यंजन शादी, मेले और त्योहारों तक सीमित रह गए हैं, तो यह गलत नहीं होगा। पहाड़ी प्रदेश में पारंपरिक व्यंजन त्योहारों, शादी पर ही बनाए जा रहे हैं। समय के साथ-साथ पारंपरिक व्यंजनों की पहचान और अहमियत कम होने लगी है। अब वह समय दूर नहीं है जब आने वाली पीढ़ी को पारंपरिक व्यंजनों के बारे में केवल मात्र सुनने को ही मिलेगा।

प्रोटीनयुक्त खाना लेने की सलाह

आज के दौर में देखा जा रहा है कि हिमाचली युवा चाईनीज खाना व बाहर की खाद्य वस्तुओं का ही प्रयोग कर रहे हैं, जो कि उनके स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक सिद्ध हो रहा है। आज के इस व्यस्त व भागदौड़ में युवाओं को हाई प्रोटीन डाइट लेनी चाहिए। इसके साथ ही फल फ्रूट्स का भी निरंतर उपयोग करते रहना चाहिए।

सूत्रधार :

भावना शर्मा, प्रतिमा चौहान, टेक चंद वर्मा

सहयोग : अमन अग्निहोत्री, शालिनी राय भारद्वाज, नीलकांत भारद्वाज, रमेश पहाडि़या, आदित्य सोफ्त,  नरेन कुमार, अनिल पटियाल व  अभिषेक मिश्रा


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