‌स्ट्रेस ऐसे डालता है बॉडी पर असर

By: Jul 14th, 2018 12:05 am

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर जगह तनाव है, यह एक ऐसा शब्द है जिसे आप हर दिन अपने आसपास रहने वाले लोगों में से किसी न किसी से सुन ही लेते हैं। दुनिया की 80 प्रतिशत आबादी ने दैनिक आधार पर तनाव का अनुभव किया है। 15 से 25 साल की उम्र के कई लोगों ने तनाव के मैनेजमेंट में मदद की रिपोर्ट की है और अगर वे उस उम्र में स्ट्रेस मैनेजमेंट नहीं सीख पाते हैं, तो बाद में उनके लिए तनाव को मैनेज करना मुश्किल हो जाता है। तनाव के ज्यादातर मामले की रिपोर्ट कार्यस्थलों (वर्कप्लेस) से मिलती है। युवा लोग तनाव ग्रस्त होने की इस बढ़ती प्रवृत्ति से पीडि़त होते दिख रहे हैं। तनाव एक तरह से संक्रामक होता है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि जब एक तनाव ग्रस्त व्यक्ति के साथ आप रहते हैं, तो आपके ऊपर भी उसका प्रभाव पड़ता है। तनाव क्या है? तनाव आपको चुनौतियों से निपटने, ध्यान केंद्रित करने, सतर्क  और ऊर्जावान रहने में मदद कर सकता है, लेकिन एक सीमा के बाद यह चिंता, बेचैनी, सिरदर्द, सीने में दर्द, अवसाद, थकान, क्रोध आदि की वजह बन सकता है। तनाव आपके शरीर में हर प्रणाली को प्रभावित कर सकता है।

प्रतिरक्षा प्रणालीः जैसा कि हम जानते हैं कि तनाव प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करता है। यह संक्रमण और खुले घावों के मामले में सहायक हो सकता है, जहां तत्काल इलाज की आवश्यकता होती है, लेकिन अगर शरीर लंबे समय से तनाव में है, तो प्रभाव उल्टा हो जाता है। जो लोग लगातार तनाव में रहते हैं, वे सामान्य सर्दी और फ्लू से अधिक प्रभावित होते हैं। तनाव हार्मोन प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करते हैं और जल्दी से प्रतिक्रिया देने की क्षमता को भी कम करते हैं। आप यह भी देख सकते हैं कि बीमारियों से ठीक होने के लिए शरीर को ज्यादा समय और ऊर्जा लगती है।

मस्कुलर सिस्टमः जब तनाव होता है, तो आपकी मांसपेशियों में दिक्कत महसूस होती है। जाहिर है तनाव से छुटकारा पाने पर आपकी मांसपेशियों को आराम मिलेगा, लेकिन अगर आप लगातार तनाव में रहते हैं, तो निश्चित ही आपको मांसपेशियों में दर्द की शिकायत रहती है। इसका मतलब है कि आपकी मांसपेशियों को लगातार सिरदर्द, ज्वाइंट इंजरी, मांसपेशी स्पैम, पीठ दर्द, कंधे के दर्द या पूरे शरीर में दर्द का एहसास हो सकता है। ऐसे में आपको मेडिकल अटेंशन की जरूरत होती है।

पाचन तंत्रः तनाव से आपके डाइजेसटिव सिस्टम यानी कि पाचन तंत्र पर भी बुरा असर पड़ता है। तनाव की वजह से कब्ज, दस्त, उल्टी, पेट दर्द, मतली आदि की शिकायत हो सकती है। तनाव के दौरान बॉडी की आवश्यक ऊर्जा को मेंटेन करने के लिए ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। यदि यह एक निश्चित स्तर को पार करता है, तो आप डायबिटीज से पीडि़त हो सकते हैं। तेजी से सांस लेना, दिल की धड़कन का बढ़ना और हार्मोंस में शुगर की वृद्धि आपको प्रभावित कर सकती है, जिससे आपकी छाती में जलन और एसिडिटी की संभावना बढ़ जाती है।

कार्डियोवैस्कुलर सिस्टमः तनाव के दौरान जब आपकी हृदय गति बढ़ जाती है, तो कोशिकाओं को सक्रिय बनाए रखने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए शरीर के माध्यम से अधिक रक्त पंप किया जाता है। मांसपेशियों को अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, मस्तिष्क कोशिकाओं को प्रॉसेस करने के लिए ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत होती है, जिससे उच्च रक्तचाप होता है और स्ट्रॉक होने का खतरा बढ़ जाता है।

श्वसन प्रणालीः तनाव हार्मोंस आपके श्वसन तंत्र में विनाश का कारण बनता है। ऐसे में लोग तेजी से सांस लेते हैं और ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि शरीर के माध्यम से अधिक ऑक्सीजन युक्त रक्त को ले जाने की जरूरत होती है। यदि आपको पहले से ही श्वास की दिक्कत है, तो लक्षण और बढ़ सकते हैं।

सेंट्रल नर्व्स सिस्टमः  यह प्रणाली काफी अहम है। तनाव की स्थिति में आपका शरीर जिस तरह से काम करता है या रिस्पांस करता है उसके लिए यही सेंट्रल नर्व्स सिस्टम जिम्मेदार है। हाइपोथैलेमस को स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल और एड्रेनालाइन रिलीज करने के लिए सतर्क किया जाता है। ये हार्मोन रक्त में अधिक ऑक्सीजन को अवशोषित करते हुए पूरे शरीर में काम करता है और त्वरित प्रतिक्रियाओं के लिए प्रेरित करता है। जब तनाव से छुटकारा पा लिया गया है, तो हाइपोथैलेमस को फिर से शरीर को सामान्य रूप से वापस लाने के लिए संदेश भेजना होता है।

 


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