करियर में मिठास घोलती होम्योपैथी

By: Aug 12th, 2018 12:15 am

जिंदगी में बीमारियों ने मनुष्य के शरीर में अपनी पैठ बना ली है तो लोग भी उनका जड़ से इलाज चाहते हैं। इसके लिए वे होम्योपैथी का सहारा लेते हैं। यह एक ऐसी पद्धति है, जिसमें उपचार में तो समय लगता है, लेकिन यह बीमारी को जड़ से मिटाती है। यही कारण है कि यह पद्धति तेजी से लोकप्रिय हो रही है…

आज की आपाधापी वाली जिंदगी में बीमारियों ने मनुष्य के शरीर में अपनी पैठ बना ली है, तो लोग भी उनका जड़ से इलाज चाहते हैं। इसके लिए वे होम्योपैथी का सहारा लेते हैं। यह एक ऐसी पद्धति है, जिसमें उपचार में तो समय लगता है, लेकिन यह बीमारी को जड़ से मिटाती है। यही कारण है कि यह पद्धति तेजी से लोकप्रिय हो रही है। अगर आप चाहें तो इस क्षेत्र में अपना भविष्य देख सकते हैं। इस क्षेत्र की खासियत यह है कि यह आर्थराइटिस, डायबिटीज, थाइराइड और अन्य तमाम गंभीर मानी जाने वाली बीमारियों का प्रभावी इलाज करती है और वह भी बिना किसी साइड इफेक्ट के। आमतौर पर यह धारणा है कि होम्योपैथी दवाइयों का असर बहुत देर से होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल, यह पद्धति केवल पुरानी और गंभीर बीमारियों को पूरी तरह ठीक करने में थोड़ा समय लेती है अन्यथा बुखार, सर्दी-खांसी या अन्य मौसमी या छोटी-मोटी बीमारियों में होम्योपैथिक दवाइयां उतनी ही तेजी से असर करती हैं, जितनी कि अन्य पद्धतियों की दवाइयां।

प्रमुख संस्थान

* होम्योपैथिक कालेज, सोलन (हिमाचल प्रदेश)

* गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, कश्मीरी गेट, दिल्ली

* डा. बीआर सूर होम्योपैथिक मेडिकल कालेज, नानकपुरा, मोतीबाग, नई दिल्ली

* नेहरू होम्यो मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल, डिफेंस कालोनी, नई दिल्ली

* कानपुर होम्योपैथिक मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल, कानपुर

* नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल, लखनऊ

* जीडी मेमोरियल होम्योपैथिक मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल, पटना

इतिहास

सन् 1796 में डाक्टर क्रिश्चिन सेमुअल हैनीमन ने इस वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति की शुरुआत की थी। उनके द्वारा विकसित लॉ ऑफ  सिमिलर्स को होम्योपैथ का आधारभूत सिद्धांत माना जाता है। भारत में होम्योपैथी चिकित्सा का आरंभ बंगाल से 19वीं शताब्दी के दूसरे-तीसरे दशक से हो गया था। आजादी के बाद 1952 में भारत सरकार ने होम्योपैथिक एडवाइजरी कमेटी का गठन किया, जिसकी सिफारिशों के आधार पर 1973 में एक्ट बनाकर इस चिकित्सा पद्धति को मान्यता प्रदान की गई। होम्योपैथी में रिसर्च के लिए 1978 में स्वतंत्र सेंट्रल काउंसिल की स्थापना की गई।

कैसे लें दाखिला

बीएचएमएस में एडमिशन ऑल इंडिया कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (एआईसीईटी ) के माध्यम से होती है। यह टेस्ट ऑल इंडिया इंजीनियरिंग एंड मेडिकल कालेजेज एसोसिएशन एआईएमईसीए द्वारा आयोजित किया जाता है। यह टेस्ट वर्ष में एक बार आयोजित किया जाता है। इसके लिए आवेदन सामान्यतया अक्तूबर माह में जारी किए जाते हैं। उसी समय प्रवेश परीक्षा के तिथि की घोषणा भी की जाती है। एआईएमईसीए का एग्जामिनेशन आफिस चेन्नई में है।

दूसरी चिकित्सा पद्धतियों से बेहतर क्यों

* बाकी चिकित्सा पद्धतियों के मुकाबले इसमें दवाइयां सस्ती होती हैं।

* रोग की जांच के लिए महंगे टेस्ट इस चिकित्सा में नहीं होते हैं। बल्कि लक्षणों के आधार पर ही रोग की पहचान कर ली जाती है।

* होम्योपैथी में रोग का नहीं रोगी का इलाज किया जाता है। इसके लिए रोगी के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत किया जाता है ताकि वह स्वयं रोग से लड़ सके।

* होम्योपैथी में कुछ ऐसी असाध्य बीमारियों का इलाज संभव है, जो दूसरी चिकित्सा पद्धतियों में संभव नहीं है।

* दूसरी चिकित्सा पद्धितियों में कुछ रोग केवल सर्जरी या आपरेशन से ही ठीक होते हैं, जबकि होम्योपैथी में इन रोगों का इलाज बिना सर्जरी के भी किया जाता है।

डाक्टरों की है कमी

लोगों के बीच होम्योपैथिक चिकित्सा की जितनी मांग बढ़ रही है, उस अनुपात में पर्याप्त चिकित्सक नहीं हैं। यदि आप अपने आसपास होम्योपैथिक डाक्टर ढूंढने लगें, तो कई बार इसमें काफी परेशानी होती है। आज भी किसी शहर में बड़ी मुश्किल से आठ-दस या इससे भी कम होम्योपैथिक डाक्टर मिलेंगे। इस कमी को देखते हुए इस क्षेत्र में संभावनाओं के कई द्वार खुलते हैं।

बात करियर की

अपने देश व विदेशों में, दोनों ही जगह होम्योपैथी प्रैक्टीशनर के लिए अवसर मौजूद हैं। सरकारी व निजी अस्पतालों में मेडिकल आफिसर की नौकरी के अलावा अपनी प्रैक्टिस भी की जा सकती है। होम्योपैथी मेडिसिन की केमिस्ट शॉप भी खोली जा सकती है। फार्मेसियों में भी जॉब के मौके हैं। कुछ सालों के बाद बीएचएमएस डिग्री प्राप्त प्रोफेशनल अपनी फार्मेसी खोल सकता है। नेशनल रूरल हैल्थ मिशन के तहत भी काफी तादाद में नौकरियां पैदा होने की संभावना है। केंद्रीय स्तर के सीजीएचएस डिफेंस एवं रेलवे विभाग तथा राज्य एवं स्थानीय स्तर की संस्थाएं, क्रमशः तीन हैल्थ सिस्टम हैं, जिनमें रेलवे व रक्षा विभागों में होम्योपैथी इलाज का इंतजाम नहीं है। अगर इनमें भी स्थापना हो जाए तो होम्योपैथी प्रोफेशनल्स की और ज्यादा डिमांड पैदा होगी।

वेतनमान

गवर्नमेंट या प्राइवेट हास्पिटल में होम्योपैथी डाक्टर के रूप में नौकरी मिल सकती है। आरंभिक वेतन के तौर पर 15000 रुपए मिलते हैं। धीरे-धीरे आपके अनुभव के अनुसार वेतन बढ़ता जाता है। अपना अपना क्लीनिक खोलकर भी अच्छी आमदनी अर्जित कर सकते हैं।

भारत में होम्योपैथी शिक्षा

भारत में होम्योपैथी शिक्षा की शुरुआत 1983 में ग्रेजुएट लेवल और डिप्लोमा कोर्स से हुई। देश में लगभग 200 होम्योपैथिक मेडिकल कालेज हैं, जिनमें से 35 गवर्नमेंट कालेज हैं। शेष निजी संस्थाओं द्वारा संचालित हैं। इनमें दाखिला लेकर भविष्य बनाया जा सकता है।

फंडा क्या है

होम्योपैथी में प्राकृतिक दवाओं के जरिए शरीर की अपनी रोग निवारण क्षमता को बढ़ाकर मरीज का इलाज किया जाता है। होम्योपैथी में ऐसी प्राकृतिक विधियों से इलाज करने की कोशिश की जाती है, जो रोगी के शारीरिक व मानसिक लक्षणों से मेल खाएं। होम्योपैथी में कई  बीमारियों का इलाज किया जाता है। रोगी की दिनचर्या, शारीरिक लक्षण, भावनात्मक मामलों का विश्लेषण करके ही दवाई दी जाती है।

कोर्स और योग्यता

होम्योपैथी के कोर्स स्नातक, स्नातकोत्तर व पीएचडी स्तर तक उपलब्ध हैं। बैचलर डिग्री को बैचलर ऑफ  होम्योपैथिक मेडिसिन एवं सर्जरी (बीएचएमएसी) कहा जाता है। इसकी प्रवेश परीक्षा के लिए बायोलॉजी विषय के साथ 12वीं उत्तीर्ण होना जरूरी है।

यह कोर्स साढ़े पांच साल का है, जिसमें एक साल की इंटर्नशिप भी शामिल है। पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री को एमडी (होमी) कहा जाता है। यह कोर्स तीन साल का होता है। होम्योपैथी में एमडी के लिए योग्यता बीएचएमएस है। होम्योपैथी में पीएचडी करने के लिए एमडी (होमी)जरूरी है, जो भारत में मान्यता प्राप्त होम्योपैथी कालेज से हो तथा सीसीएच एक्ट की दूसरी सूची में शामिल है। पिडियाट्रिक्स व फार्मेसी इसकी दो शाखाएं हैं।

अध्ययनशील-संघर्षशील होना जरूरी

डा. एनपी सिंह

प्रधानाचार्य, मेडिकल कालेज, सोलन

होम्योपैथी में करियर से संबंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए सोलन कालेज के प्रधानाचार्य डा. प्रोफेसर एनपी सिंह से हुई बातचीत के मुख्य अंश —

होम्योपैथी में करियर की क्या संभावनाएं हैं?       

होम्योपैथी कोर्स बीएचएमएस में दाखिला के लिए विद्यार्थी की +2 मेडिकल में डिग्री होना अनिवार्य है। बीएचएमएस करने के बाद विद्यार्थी एक सफल चिकित्सक के रूप में अपना करियर बना सकते हैं। इसके अलावा सरकारी क्षेत्र में, विभिन्न अस्पतालों में चिकित्सा पदाधिकारी के रूप में भी अपना करियर बना सकते हैं। भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में चिकित्सा अधिकारी के रूप में भी होम्योपैथिक चिकित्सकों की नियुक्तियां होती हैं।

इसमें आरंभिक वेतनमान व आय कितनी है?

होम्योपैथिक चिकित्सक का आरंभिक वेतनमान सातवें कमीशन के अनुसार करीब 30 हजार प्रतिमाह है। जहां तक आय का सवाल है, तो यह चिकित्सक के व्यक्तिगत नॉलेज और अनुभव के ऊपर निर्भर करता है।

इस फील्ड में कोर्स करने के लिए क्या-क्या शैक्षणिक योग्यताएं होनी चाहिएं?

इस फील्ड में कोर्स करने के लिए न्यूनतम शक्षणिक योग्यता बीएचएमएस है, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में नौकरी पाने के लिए बीएचएमएस के बाद एमडी करना अनिवार्य है।

इस फील्ड में आने वाले युवाओं मेें क्या-क्या विशिष्ट गुण होने चाहिएं?

युवाओं को अध्ययनशील एवं संघर्षशील होना चाहिए। इसके साथ ही इस फील्ड में अच्छा करने के लिए युवाओं में धैर्य भी होना चाहिए।

इस व्यवसाय पर आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के क्या-क्या प्रभाव पड़ रहे हैं?

इस व्यवसाय पर आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के प्रचलन से बहुत हद तक बुरा प्रभाव पड़ रहा है, क्योंकि आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के माध्यम से रोग का इलाज होता है, लेकिन होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली के अनुसार रोगी का इलाज होता है।

इस फील्ड में किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

होम्योपैथिक चिकित्सक को बहुत ही धैर्य रखना पड़ता है। रोगी की विशेष परिस्थितियों के बारे में जानकारी रखनी पड़ती है। सफल होम्योपैथिक चिकित्सक बनने के लिए रोग के साथ-साथ रोगी का पारिवारिक, ऐतिहासिक एवं उसके पिछले रोगों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करनी पड़ती है।

इस फील्ड में करियर बनाने की इच्छा रखने वाले युवाओं को कोई प्रेरणा संदेश दें।

इस फील्ड में करियर बनाने की इच्छा रखने वाले होम्योपैथी में युवा अपना उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।  होम्योपैथी के क्षेत्र में करियर बनाएं और एक सफल चिकित्सक के रूप में पीडि़त मानवता की सेवा करने का अवसर प्रदान करें।

  • मुकेश कुमार, सोलन


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