किसी अजूबे से कम नहीं हैं रामायण के पात्र

By: Aug 4th, 2018 12:05 am

राम रघुकुल में जन्मे थे, जिसकी परंपरा ‘प्रान जाहुं बरु बचनु न जाई’ की थी। श्रीराम के पिता दशरथ ने उनकी सौतेली माता कैकेयी को उनकी किन्हीं दो इच्छाओं को पूरा करने का वचन दिया था। कैकेयी ने इन वरों के रूप में भरत के लिए राजसिंहासन और राम के लिए  वनवास मांगा…

राम

राम (रामचंद्र) प्राचीन भारत में अवतार रूपी भगवान के रूप में मान्य हैं। हिंदू धर्म में राम विष्णु के दस अवतारों में से सातवें अवतार हैं। राम का जीवनकाल एवं पराक्रम महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य रामायण के रूप में वर्णित हुआ है। गोस्वामी तुलसीदास ने भी उनके जीवन पर केंद्रित भक्तिभावपूर्ण सुप्रसिद्ध महाकाव्य श्री रामचरितमानस की रचना की है। इन दोनों के अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओं में भी रामायण की रचनाएं हुई हैं, जो काफी प्रसिद्ध भी हैं। खास तौर पर उत्तर भारत में राम अत्यंत पूजनीय हैं और आदर्श पुरुष हैं। इन्हें पुरुषोत्तम शब्द से भी अलंकृत किया जाता है। राम, अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र थे। राम की पत्नी का नाम सीता था (जो लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं) और इनके तीन भाई थे- लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। हनुमान, भगवान राम के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं। राम ने लंका के राजा रावण (जिसने अधर्म का पथ अपना लिया था) का वध किया। राम की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है। राम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता, यहां तक कि पत्नी का भी साथ छोड़ा। इनका परिवार आदर्श भारतीय परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। राम रघुकुल में जन्मे थे, जिसकी परंपरा ‘प्रान जाहुं बरु बचनु न जाई’ की थी। श्रीराम के पिता दशरथ ने उनकी सौतेली माता कैकेयी को उनकी किन्हीं दो इच्छाओं को पूरा करने का वचन (वर) दिया था। कैकेयी ने दासी मंथरा के बहकावे में आकर इन वरों के रूप में राजा दशरथ से अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या का राजसिंहासन और राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास मांगा। पिता के वचन की रक्षा के लिए राम ने खुशी से चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार किया। पत्नी सीता ने आदर्श पत्नी का उदाहरण देते हुए पति के साथ वन जाना उचित समझा। भाई लक्ष्मण ने भी राम के साथ चौदह वर्ष वन में बिताए। भरत ने न्याय के लिए माता का आदेश ठुकराया और बड़े भाई राम के पास वन जाकर उनकी चरणपादुका (खड़ाऊं) ले आए। फिर इसे ही राज गद्दी पर रख कर राजकाज किया। जब राम वनवासी थे, तभी उनकी पत्नी सीता को रावण हरण (चुरा) कर ले गया। जंगल में राम को हनुमान जैसा मित्र और भक्त मिला जिसने राम के सारे कार्य पूरे कराए। राम ने वानरों की मदद से सीता को ढूंढ़ा। समुद्र में पुल बना कर लंका पहुंचे तथा रावण के साथ युद्ध किया। उसे मार कर सीता को वापस लाए। राम के अयोध्या लौटने पर भरत ने राज्य उनको ही सौंप दिया। राम न्यायप्रिय थे। उन्होंने बहुत अच्छा शासन किया, इसलिए लोग आज भी अच्छे शासन को रामराज्य की उपमा देते हैं। इनके दो पुत्रों कुश व लव ने इनके राज्यों को संभाला। हिंदू धर्म के कई त्योहार, जैसे दशहरा, राम नवमी और दीपावली, राम की जीवन-कथा से जुड़े हुए हैं।

अवतार रूप में प्राचीनता

वैदिक साहित्य में राम का उल्लेख प्रचलित रूप में नहीं मिलता है। ऋग्वेद में केवल दो स्थलों पर ही राम शब्द का प्रयोग हुआ है (10-3-3 तथा 10-93-14)। उनमें से भी एक जगह काले रंग (रात के अंधकार) के अर्थ में तथा शेष एक जगह ही व्यक्ति के अर्थ में प्रयोग हुआ है, लेकिन वहां भी उनके अवतारी पुरुष या दशरथ-पुत्र होने का कोई संकेत नहीं है। यद्यपि नीलकंठ चतुर्धर ने ऋग्वेद के अनेक मंत्रों को स्वविवेक से चुनकर उनके रामकथापरक अर्थ किए हैं, परंतु यह उनकी निजी मान्यता है। स्वयं ऋग्वेद के उन प्रकरणों में प्राप्त किसी संकेत या किसी अन्य भाष्यकार के द्वारा उन मंत्रों का रामकथापरक अर्थ सिद्ध नहीं हो पाया है। ऋग्वेद में एक स्थल पर इक्ष्वाकुः (10-60-4) का तथा एक स्थल पर दशरथ (1-126-4) शब्द का भी प्रयोग हुआ है। परंतु उनके राम से संबद्ध होने का कोई संकेत नहीं मिल पाता है। ब्राह्मण साहित्य में राम शब्द का प्रयोग ऐतरेय ब्राह्मण में दो स्थलों पर (7-5-16=7-278 तथा 7-5-86=7-348) हुआ है, परंतु वहां उन्हें रामो मार्गवेयः कहा गया है, जिसका अर्थ आचार्य सायण के अनुसार मृगवु नामक स्त्री का पुत्र है। शतपथ ब्राह्मण में एक स्थल पर राम शब्द का प्रयोग हुआ है (4-6-1-7)। यहां राम यज्ञ के आचार्य के रूप में हैं तथा उन्हें राम औपतपस्विनि कहा गया है। तात्पर्य यह कि प्रचलित राम का अवतारी रूप वाल्मीकीय रामायण एवं पुराणों की ही देन है।

-क्रमशः


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App