क्यों विष्णु के चरणों में विराजती हैं लक्ष्मी

By: Aug 4th, 2018 12:05 am

हिंदू धर्म में पति को परमेश्वर का स्थान दिया गया है। रुढि़वादी समाज का मानना है कि पति के सेवा में ही स्त्री का स्वर्ग है और अपने इस कथन को आधार देने के लिए वह माता लक्ष्मी का उदाहरण देते हैं, जिन्हें हमेशा अपने पति भगवान विष्णु के चरणों के निकट बैठा हुआ ही दिखाया गया है। हमारे समाज का यह मानना है कि जब धन की देवी लक्ष्मी अपने पति के चरणों में अपना स्वर्ग तलाश सकती हैं, तो आज की महिलाएं जो खुद को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से स्वतंत्रता प्रदान कर चुकी हैं, उनके लिए पति की सेवा करना कौन सी बड़ी बात है, लेकिन क्या वाकई माता लक्ष्मी और विष्णु के चित्र को जो अवधारणा प्रदान की गई है, उसके पीछे की हकीकत वैसी ही है।

चरणों में वास- शायद नहीं, ऐसा लगता है देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का चित्र हिंदू धर्म में भ्रांति फैलाने का कार्य कर रहा है, क्योंकि जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए माता लक्ष्मी ने अपने पति के चरणों के निकट वास किया है वह पूरी तरह भिन्न है।

ब्रह्मांड के पालनहार– हिंदू पौराणिक दस्तावेजों के अनुसार माता लक्ष्मी की एक बहन हैं, अलक्ष्मी। जहां देवी लक्ष्मी धन, सौभाग्य और वैभव की देवी हैं, वहीं अलक्ष्मी दरिद्रता, निर्धनता आदि का प्रतीक कही जाती है। विष्णु को पालनहार कहा जाता है, जिनका दायित्व घर-परिवार समेत समस्त ब्रह्मांड की रक्षा करना है और देवी लक्ष्मी इन्हीं पालनहार को दरिद्रता और दुर्भाग्य से बचाने के लिए उनके चरणों में बैठी हैं।

उल्लू का स्वरूप- अलक्ष्मी लक्ष्मी देवी की बड़ी बहन हैं। बेहद कुरूप होने की वजह से उनका विवाह भी नहीं हो पाया। कहा जाता है कि जहां-जहां देवी लक्ष्मी जाती हैं, अलक्ष्मी उनके पीछे-पीछे वहां पहुंचती हैं। कभी अपने स्वरूप में तो कभी देवी लक्ष्मी की सवारी उल्लू के स्वरूप में।

ईर्ष्यालु बहन-  अलक्ष्मी अपनी बहन लक्ष्मी से बेहद ईर्ष्या रखती हैं। यहां तक कि जब भी देवी लक्ष्मी अपने पति के साथ होती हैं, अलक्ष्मी वहां भी उन दोनों के साथ पहुंच जाती हैं।

देवी लक्ष्मी का क्रोध- पौराणिक मान्यतानुसार, अपनी बहन का यह बर्ताव देवी लक्ष्मी को बिलकुल पसंद नहीं आया। उन्होंने अलक्ष्मी से पूछा, तुम मुझे और मेरे पति को अकेला क्यों नहीं छोड़ देती?

अलक्ष्मी का जवाब- इस पर अलक्ष्मी ने जवाब दिया, मेरे पास पति नहीं है और कोई भी मेरी आराधना नहीं करता, इसलिए जहां-जहां तुम जाओगी, मैं तुम्हारे साथ रहूंगी।

श्राप- इस पर देवी लक्ष्मी अत्यंत क्रोधित हो गईं और क्रोध के आवेग में उन्होंने अलक्ष्मी को श्राप दिया मृत्यु के देवता तुम्हारे पति हैं और जहां भी गंदगी, ईर्ष्या, लालच, आलस,  रोष और अस्वच्छता रहेगी, तुम वहीं रहोगी।

गंदगी पर वास- इस प्रकार भगवान विष्णु और अपने पति के चरणों में बैठकर माता लक्ष्मी उनके चरणों की गंदगी को दूर करती हैं, ताकि अलक्ष्मी उनके निकट भी न जा सके। यहां माता लक्ष्मी एक देवी नहीं बल्कि एक पत्नी की भूमिका में हैं, जो अपने पति को पराई स्त्री से दूर रखने की हर संभव कोशिश कर रही हैं।

प्रतीकात्मक ग्रंथ- इस तरह देखा जाए तो हिंदू पौराणिक इतिहास जितना स्पष्ट है, उतना ही ज्यादा प्रतीकात्मक भी। इन प्रतीकों को हम अपनी-अपनी सहूलियत के अनुसार परिभाषित कर लेते हैं। यहां देवी लक्ष्मी, अलक्ष्मी और भगवान विष्णु की कहानी को सौभाग्य और दुर्भाग्य के साथ जोड़ा गया है।

सौभाग्य और दुर्भाग्य- माना जाता है सौभाग्य और दुर्भाग्य एक साथ चलते हैं और एक ही साथ पहुंचते हैं। जब आपके ऊपर सौभाग्य की वर्षा होती है तब दुर्भाग्य भी निकट बैठे हुए अपने लिए एक अवसर की तलाश कर रहा होता है।

अलक्ष्मी का उद्देश्य- अलक्ष्मी भी कुछ इसी तरह घर के बाहर बैठकर लक्ष्मी के जाने का इंतजार करती हैं कि वह जाए तो अलक्ष्मी को घर के भीतर आने का मौका मिले।

अलक्ष्मी का प्रवेश- जहां भी गंदगी मौजूद होती है और कलह का वातावरण बन जाता है, जो कि अलक्ष्मी के प्रवेश की निशानी है।

सफाई का महत्त्व- अलक्ष्मी को दूर रखने और लक्ष्मी को आमंत्रित करने के लिए हिंदू धर्म से जुड़े प्रत्येक घर में सफाई के साथ-साथ नित्य पूजा-पाठ और अगरबत्ती का धुआं किया जाता है ताकि घर और घर के लोगों को किसी भी प्रकार की नकारात्मकता और दुर्भाग्य से दूर रखा जा सके।


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