गढ़मुक्तेश्वर मंदिर

By: Aug 11th, 2018 12:10 am

गढ़मुक्तेश्वर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के हापुड़ जिले के पास स्थित है और इसे गढ़वाल राजाओं ने बसाया था। कहते हैं कि गंगा नदी के किनारे बसा यह शहर गढ़वाल राजाओं की राजधानी था। बाद में इस पर पृथ्वीराज चौहान का अधिकार हो गया था। गढ़मुक्तेश्वर मेरठ से 42 किलोमीटर दूर स्थित है और गंगा नदी के दाहिने किनारे पर बसा है। हालांकि आधुनिक विकास की दृष्टि से देखा जाए, तो गढ़मुक्तेश्वर सबसे पिछड़ी तहसील मानी जाती है, किंतु सांस्कृतिक दृष्टि से यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यहां श्रावण के महीने में शिव भक्तों का तांता लगा रहता है और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा स्नान में विशाल मेला लगता है।

शिवगणों से जुड़ी है कहानी

शिवपुराण में इस स्थान के बारे में एक महत्त्वपूर्ण कथा बताई गई है। इस कथा के अनुसार इस स्थान पर अभिशापित शिवगणों की पिशाच योनि से मुक्ति हुई थी, इसलिए इस तीर्थ का नाम गढ़मुक्तेश्वर अर्थात गणों को मुक्त करने वाले ईश्वर के तौर पर प्रसिद्ध हुआ। भागवत पुराण व महाभारत के अनुसार त्रेता युग में यह कुरु राजधानी हस्तिनापुर का भाग था।

 प्राचीन शिव मंदिर

मुक्तेश्वर में शिव का प्राचीन शिवलिंग और मंदिर कारखंडेश्वर भी है। काशी, प्रयाग, अयोध्या आदि तीर्थों की तरह गढ़मुक्तेश्वर भी पुराणों में बताए गए पवित्र तीर्थों में से एक है। शिवपुराण के अनुसार इस स्थान का प्राचीन नाम शिव वल्लभ यानी शिव का प्रिय भी है, जिसे बाद में भगवान मुक्तेश्वर, जो शिव का ही एक रूप है के नाम से भी जाना जाता है।  पुराण में इस बारे में कहा गया है, गणानां मुक्तिदानेन गणमुक्तीश्वर स्मृतः।

कांवड़ यात्रा से जुड़े हैं तार

श्रावण में होने वाली कांवड़ यात्रा से भी इस स्थान का गहरा संबंध है। मान्यता है कि भगवान परशुराम ने गढ़मुक्तेश्वर से गंगाजल लेकर पुरामहादेव मंदिर में शिवलिंग का अभिषेक किया था। तभी से कांवड़ की परंपरा शुरू हुई थी। भक्तों की इस मंदिर में अटूट श्रद्धा और आस्था है। श्रावण में इस स्थान पर शिव भक्तों की भारी भीड़ जुटती है। दूर-दूर से लोग इस मंदिर भगवान शिव के दर्शनों के लिए आते हैं।


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