जाने क्या हैं एंडोस्कोपी के टेस्ट

By: Aug 11th, 2018 12:05 am

कई बार अंदरूनी रोग होने पर डाक्टर आपको एंडोस्कोपी जांच करवाने की सलाह देते हैं। क्या आप जानते हैं एडोस्कोपी जांच क्या है और कैसे काम करती है। एंडोस्कोपी जांच में शरीर में एक पतली नली डाली जाती है, जिसके अगले हिस्से पर एंडोस्कोप कैमरा लगा होता है। यह कैमरा आपके शरीर के अंदरूनी अंगों की तस्वीर लेता है, जिसे सीधे मॉनीटर पर देखा जा सकता है। एंडोस्कोपी जांच का मतलब है शरीर के अंदर देखना।

कैसी तकनीक है एंडोस्कोपी

अगर आपके शरीर के अंदरूनी हिस्से में कोई समस्या है, तो पहले उसे लक्षणों के आधार पर पहचाना जाता था, क्योंकि तब हम शरीर के अंदर की जांच नहीं कर सकते थे, मगर एंडोस्कोप तकनीक के मामले में काफी एडवांस है। इसकी सहायता से शरीर के अंदर पतली फाइबर युक्त नली को पहुंचाकर कैमरे द्वारा अंदरूनी अंगों की जांच आसान हो गई। इस प्रक्रिया के दौरान किसी रिपोर्ट का भी इंतजार नहीं करना पड़ता है, क्योंकि जांच के समय ही समस्या वाली जगह को सीधे स्क्रीन पर देखा जा सकता है। आजकल परफेक्ट फ्लेक्सिबल एंडोस्कोपी की मदद से न सिर्फ नलियों बल्कि किसी भी हिस्से की जांच आसान हो गई है।

कब पड़ती है एंडोस्कोपी जांच की जरूरत

जब शरीर के अंदर कोई परेशानी या संक्रमण होता है या मरीज में कोई ऐसे लक्षण दिखते हैं, जिन्हें ऊपर से देखकर डाक्टर नहीं समझ पाते हैं, तो एंडोस्कोपी जांच के लिए कहते हैं।

आमतौर पर निम्न बीमारियों में ये जांच की जाती है :

नाक की समस्या या साइनस के लक्षण

गले में छाले या दाने होने पर अगर किसी को खाना और पानी निगलने में परेशानी है ग्रास नली की समस्या उल्टी के साथ खून आने पर आंतों में सूजन या दर्द होने पर कब्ज से ग्रसित रहने पर पित्ताशय की पथरी होने पर पेट के अल्सर होने पर गर्भाशय में फाइब्राइड या रसौली होने पर अग्नाश्य की समस्या में पेशाब में खून आने पर मल में खून आने पर गंभीर सर्जरी से पहले कान के पर्दे के रोगों में

कैसे होती है एंडोस्कोपी जांच

एंडोस्कोपी की प्रक्रिया के दौरान शरीर के अंदर लचीले फाइबरयुक्त नली के द्वारा कैमरा पहुंचाया जाता है। इस काम में बहुत सावधानी बरती जाती है ताकि अंगों को कोई नुकसान न पहुंचे। मुंह के रास्ते से की गई एंडोस्कोपी में कई बार छेदनुमा रबड़ गार्ड लगा दिया जाता है, जिससे अंगों पर किसी तरह की रगड़ न लगे। इसे एंडोस्कोपी माउथ गार्ड कहते हैं।  आमतौर पर जांच करने में 45 मिनट से एक घंटे का समय लग सकता है और अगर एंडोस्कोपी विधि से आपरेशन करना है, तब इसमें लगभग 2 घंटे लग सकते हैं। कई बार शरीर में नली जाने के समय घबराहट के कारण मरीज को उल्टी या बेहोशी हो जाती है। कई बार अंदरूनी अंगों के लिए डाक्टर एनेस्थीसिया भी देते हैं। नली पर लगा कैमरा अंदरूनी अंगों की तस्वीर सीधे कम्प्यूटर स्क्रीन पर दिखाता है।

क्या एंडोस्कोपी से होता है कोई नुकसान

अगर आप किसी अच्छे चिकित्सक की देखरेख में एंडोस्कोपी करवाते हैं और अस्पताल में साफ.-सफाई का ध्यान रखा जाता है, तो एंडोस्कोपी की जांच बहुत आसान और

सुरक्षित है। कई बार जांच की प्रक्रिया के दौरान सामान्य उल्टी, पेट दर्द या चक्कर आने की समस्या हो सकती है, मगर वह बाद में ठीक हो जाती है। एंडोस्कोपी की जांच के आमतौर पर 1-2 दिन के आराम की सलाह दी जाती है यानी इसके तुरंत बाद काम नहीं करना चाहिए।  कई बार जांच के दौरान रोग वाले अंग में संक्रमण हो सकता है, जिसके लिए डाक्टर जांच के बाद एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं। एंडोस्कोपी के बाद कुछ समय तक तरल पदार्थों के सेवन करने की सलाह दी जाती है।


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