झोंपड़ी में रहने वाले आईआरडीपी से बाहर

By: Aug 16th, 2018 12:05 am

सरकाघाट  —उपमंडल सरकाघाट की ग्राम पंचायत भांबला के गांव सिध्याणी में एक परिवार ने बीपीएल की तख्ती अपने आलिशान मकान पर लगा रखी है, जिससे यह परिवार गरीब बिलकुल नहीं लगता है।  हैरानी की बात यह है कि अपना मकान किराए पर देकर स्वयं अपने पुराने मकान में रह रहा है।  इस आलीशान मकान में आंगनबाड़ी केंद्र चल रहा है। वहां कार्यरत आंगनबाड़ी केंद्र सिध्याणी की कार्यकर्ता ने बताया कि विभाग मकान मालिक को 750 रुपए प्रतिमाह किराया अदा कर रहा है, जबकि ग्राम पंचायत नबाही के गांव दलोली का वंशी लाल अपने परिवार सहित पिछले तीन वर्षों से मकान गिरने के बाद बांस की झोंपड़ी में रहने को मजबूर है।  हैरानी की बात यह है कि यह गरीब दलित वंशी लाल का परिवार आज भी बीपीएल में नहीं डाला गया है, जबकि यह परिवार जहां इस बांस की बनाई हुई पुरानी झोंपड़ी में खतरे के साए में रह रहा है, वहीं इसी कमरे में खाना, रहना व बकरियों को भी यही बांधते हैं। यह परिवार बीपीएल में नहीं डाला गया है। ऐसे कई उदाहरण है जिनका बड़ा मकान, बड़ा नाम वहीं बीपीएल/आईआरडीपी में डाला गया है और पात्र गरीब व्यक्ति को इस सुविधा से दूर रखा गया है। यहां सरकार की जनहित में जारी योजनाओं की पोल खुल रही है। कुछ माह पहले पंचायतों में जरनल हाउस के माध्यम से बीपीएल/आईआरडीपी चयन हुए थे, जिन पर हर व्यक्ति ने उंगलियां उठाई ही थीं, बल्कि शिकायतें भी की गई थीं।  लोगों का कहना है कि सरकार को बीपीएल /आईआरडीपी चयन प्रक्रिया के लिए कोई ठोस नीति बनानी होगी, ताकि पात्र व्याक्तियों को लाभ मिल सके और अपात्रों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए।


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