थियेटर कभी बंद नहीं होते जनाब

By: Aug 12th, 2018 12:05 am

थियेटर कभी बंद नहीं होते ज़नाब…फिर चाहे आपके घर में कितनी भी बड़ी घटना क्यों न हो जाए। अंदर से आप कितने भी दुखी हों, आपको लोगों की खुशी के लिए चेहरे पर मुस्कान लाते हुए स्क्रीन ऑन ही करनी पड़ती है। यह कहना है अंतरिक्ष गोल्ड मिनी प्लेक्स की मालिकिन पूजा मैडम का। मैडम इसलिए क्योंकि उन्हें या पूजा कम मैडम से ज्यादा  संबोधित किया जाता है। हिंदी में स्नातकोत्तर पूजा कभी एफएम पर सुबह-सुबह रेडियो पर अपनी मखमली आवाज से लोगों को जगाया करती थीं। तीन साल उन्होंने आकाशवाणी हमीरपुर में बतौर अनाउंसर का काम किया। शुरू से पेंटिंग का शौक था, गीत -संगीत में रुचि थी। यही नहीं पूजा फैशन डिजाइनर भी है। उन्होंने एक साल फैशन डिजाइनिंग का काम भी किया है, लेकिन धीरे-धीरे उम्र के एक पड़ाव में आकर सारे शौक पैशन में बदलते गए। मूल रूप से हमीपुर की रहने वाली 41 वर्षीय पूजा की शिक्षा अमृतसर में हुई है। उनके पति विशाल शिक्षक हैं। जबकि दो बेटियां दिव्या स्मृति, दिशा जागृति और एक बेटा विशेष है। बकौल पूजा उन्होंने काफी समय अपने परिजनों के साथ अमृतसर में बिताया था। जब शादी हुई तो हमीरपुर में रहने लगे। यहां सबकुछ था लेकिन एंटरटेनमेंट के नाम पर कुछ नहीं था। पूजा के जीजा सुनील जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, वह एक जमाने में मुंबई में रहते थे। पूजा ने उनके साथ मिलकर यहां थियेटर का प्लान किया। बात सिरे चढ़ी और वर्ष 2012 में हमीरपुर में अंतरिक्ष गोल्ड मिनी प्लेक्स शुरू हो गया। सारी जिम्मेदारी पूजा ने खुद उठाई। शुरू में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। एक छोटे  से  शहर में बड़े शहरों की तर्ज पर नई शुरुआत थी। लोग उतनी एडवांस मानसिकता के नहीं थे, लेकिन धीरे-धीरे छह साल के इस सफर में सबकुछ समूथ हो गया। पूजा के पास आज 14 लोग काम करते हैं, जिनमें पांच मेल और छह फीमेल हैं। पूजा की मानें तो शुरू में उन्होंने सारा स्टाफ फीमेल रखा था, लेकिन कई बार प्रॉब्लम आती थी तो मेल स्टाफ की कमी महसूस की गई। अंतरिक्ष मॉल में आज 100-100 सीटों के दो थियेटर हैं। पहले दोनों में बालीवुड मूवी दिखाई जाती थी, लेकिन अब दो महीने से एक में हालीवुड मूवी भी शुरू की गई है। भविष्य में उनकी थ्री डी मूवी दिखाने की भी तैयारी चल रही है। लोगों के मूवी में रुचि को लेकर पूजा बताती हैं कि पहले जब नई मूवी आती थी तो लोग सीधे उठकर देखने आ जाते थे, लेकिन अब लोग पहले रिव्यू देख लेते हैं फिर डिसाइड करते हैं कि बाहर मूवी देखने जाना है या नहीं। पूजा कहती हैं कि हालीवुड फिल्मों में लोकल लोगों की रुचि नहीं होती। हां एनआईटी के छात्र इसमें रुचि दिखाते हैं। इसके अलावा कालेज के छात्र बालीवुड मूवी देखने आते हैं। इसके अलावा फिल्म ठीक हो तो फैमिली भी आती है। पूजा का कहना है कि जिस तरह की अब मूवी बन रही हैं, तो फैमिली उन्हें देखने से गुरेज  कर रही हैं। थियेटर में नफे-नुकसान के बारे में पूजा कहती हैं कि यह न तो घाटे का सौदा है न मुनाफे का। पहले मूवी खरीदनी  पड़ती थी तो ज्यादा रिस्क रहता था, लेकिन अब 50 फीसदी डिस्ट्रीब्यूटर का होता है और 50 थियेटर चलाने वाले का, इसलिए ज्यादा रिस्क  नहीं है। पूजा कहती हैं कि पहले यहां फिल्म देखने बिलासपुर, घुमारवीं, कांगड़ा और पालमपुर तक से लोग आ जाते थे, लेकिन अब क्योंकि सभी जगह थियेटर खुल रहे हैं, तो इन जगहों से लोगों का आना बंद हुआ है। पूजा कहती हैं कि उन्हें परिवार का पूरा स्पॉट मिलता है। वह साल में एक बार पहाड़ों में घूमने जाती हैं। बाकी पूरा साल वक्त नहीं मिल पाता। यह पूछे जाने पर कि क्या आप भी मूवी देखती हैं तो पूजा कहती  हैं कि कालेज टाइम में बड़ा शौक था, लेकिन अब इतना क्रेज नहीं है। कभी कभार कोई अच्छी मूवी हो तो देख लेती हूं।

 — नीलकांत भारद्वाज , हमीरपुर

मुलाकात :

रोजगार पैदा करना कोई मुश्किल काम नहीं है…

खुद को विजनेस वूमेन कहलाना कितना पसंद  करती हैं और किसी भी महिला के लिए यह फील्ड कितनी उपयुक्त हो सकती है?

बिजनेस वूमेन कोई कहता है, तो बहुत अच्छा लगता है। आजकल कोई भी ऐसी फील्ड नहीं है, जो महिलाओं के लिए उपयुक्त न हो। थियेटर लाइन भी महिलाओं के लिए सही है। इसमें बहुत सारे स्कोप हैं।

आपके व्यापारिक कौशल की वजह पूछी जाए या यह बताएंगी कि प्रतिस्पर्धा में उत्तीर्ण होने के लिए आपकी राह क्या रही?

थियेटर लाइन ज्वाइन करने के लिए मेरे पास कोई स्पेशल डिग्री नहीं है। एक्चुअली मेरे जीजा मिस्टर सुनील ठाकुर, उन्हीं की मोटिवेशन की वजह से मैं इस बिजनेस को संभाल पाई। धीरे-धीरे उनके एक्सपीरियंस मुझे आगे बढ़ाते गए।

कठोर फैसलों से आपका तात्पर्य तथा उतार-चढ़ाव के बीच संतुलन?

कई बार हमें ऐसे सख्त फैसले लेने पड़ जाते हैं, जो बिजनेस के लिए चाहे सही न हों, परंतु समाज के लिए सही होते हैं। ऐसे कठोर फैसले लेने पर बेशक कई उतार-चढ़ाव आते हैं, लेकिन कुछ समय बाद सब कुछ बराबर हो जाता है।

जो आपने केवल व्यापार से पाया?

व्यापार से मैंने काफी कुछ पाया है। नाम और शोहरत इसमें मुख्य है।

जो व्यापार नहीं आज भी आदत है। पसंद है?

कारोबार के बीच लगातार आने वाली चुनौतियों से लड़ना मेरी आदत है और इनका निपटारा करना मेरी पसंद।

खुद में कितना कलाकार देखती हैं या  कला के लिए आपके सरोकार क्या हैं?

कारोबार के इस जगत में पेश आने वाली कठिनाइयों का सामना करना भी एक कला है।

ऐसा क्यों  समझा जाता है कि हिमाचल में स्वरोजगार पैदा करना मुश्किल है। युवाओं को इस दिशा में कैसी प्रेरणा व प्रोत्साहन चाहिए?

यह लोगों की गलतफहमी है कि हिमाचल में स्वरोजगार पैदा करना मुश्किल है, अगर हम सही रणनीति व सही कारोबार का चुनाव करें तो रोजगार पैदा करना कोई मुश्किल काम नहीं है। युवाओं को अपनी पढ़ाई के साथ-साथ स्वरोजगार को भी ढूंढना चाहिए।

हमीरपुर में आए भौतिक- व्यापारिक परिवर्तन के बावजूद जो कमी आपको खलती है?

हमीरपुर में भौतिक, व्यापारिक परिवर्तन के बावजूद लोगों में जागरूकता नहीं है। यह कमी हर कारोबारी को खलती है

जीवन का कोई सपना जिसे पूरा करना चाहती हैं या व्यापारिक दृष्टि से जिस मंजिल को पाना अभी बाकी है?

मेरे जीवन का सपना अब खुद को व्यापार के इस जगत में और बुलंदियों पर लेकर जाना है। इसके लिए विशेष रणनीति के साथ मेहनत हो रही है।

कोई सुखद अनुभव या घटना जिसने आगे बढ़ना सिखाया?

खुद को एक सफल बिजनेस वूमेन के रूप में देखना मेरा सपना है। ऐसी कोई घटना या अनुभव मेरे जहन में नहीं है, कई बार ऐसा दौर आता है कि बिजनेस को ऊपर उठाने के लिए नुकसान भी झेलना पड़ता है। इस कारण कई बार असफलता का मुंह देखना पड़ता है।

जीवन में आपके आदर्श। किसी महिला उद्यमी या कारोबारी की सफलता से सीखती हों?

महिला उद्यमी तो नहीं, लेकिन दबंग महिला किरण बेदी से मैं जरूर प्रेरित हूं।

क्या महिलाओं के प्रति समाज का रवैया पूरी तरह बदल चुका है या अभी भी रास्ते रोके जाते हैं?

महिलाओं के प्रति समाज का रवैया अभी पूरी तरह से बदला नहीं है। अभी समाज का और अधिक जागरूक होना जरूरी है। अभी भी महिलाओं के बढ़ते कदम रोके जाते हैं।

खुद पर कितना गर्व, कितना विश्वास तथा इस ऊंचाई से आगे क्या देखती हैं, क्या देखना चाहती हैं?

मैं खुद को बहुत गौरवांवित महसूस करती हूं कि कारोबार को सफल बनाने तक मेरे परिवार का पूरा सहयोग मुझे मिलता रहा। परिवार का यह सहयोग और मेरा विश्वास इस कारोबार को और ऊंचाइयों पर ले जाएगा।

शौक जो अभी बरकरार हैं। या आनंदित होने के लिए आपकी अपनी योजना या व्यावहारिक दक्षता को कैसे अभिव्यक्त करेंगी?

पेंटिंग, एंडवेंचर ट्रिप, सोशल एक्टिविटी में हिस्सा लेना अभी भी मुझे पसंद है। आनंदित होने के लिए मैं उस समय बहुत खुशी महसूस करती हूं, जब बिना किसी जान पहचान के मैं किसी की मदद करती हूं।


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