परमात्मा में विलीन अटल आत्मा

By: Aug 18th, 2018 12:15 am

दिल्ली के स्मृति स्थल पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार, दत्तक पुत्री नमिता ने दी मुखाग्नि

नई दिल्ली— भारतीय राजनीति के युगपुरुष रहे पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का शुक्रवार को पारंपरिक विधि विधान तथा मंत्रोच्चार और गगनभेदी नारों के बीच पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया, जिसके साथ ही उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। राजधानी के शांतिवन के निकट राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर भारत रत्न श्री वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य ने उनको मुखाग्नि दी और विधि विधान ग्वालियर से विशेष रूप से बुलाए गए पंडितों ने कराया। शस्त्र दाग कर श्री वाजपेयी को सलामी दी गई। इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ और नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने श्री वाजपेयी के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित किए।  पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने भी श्री वाजपेयी को श्रद्धासुमन अर्पित किए। इसके बाद पार्थिव शरीर से लिपटा हुआ तिरंगा श्री वाजपेयी की नातिन को सौंप दिया गया। इस मौके पर राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत, अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल थे। शव यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह और कई केंद्रीय मंत्री तथा गणमान्य व्यक्ति कड़ी धूप और उमस भरे मौसम में भाजपा मुख्यालय, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग से लगभग सात किलोमीटर पैदल चलते हुए स्मृति स्थल पहुंचे। ये सभी वाहन के साथ-साथ चल रहे थे। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री विजय, दिल्ली प्रदेश भाजपा के प्रमुख मनोज तिवारी और युवा सांसद अनुराग ठाकुर समेत कई अन्य नेता भी पैदल चल रहे थे। अंतिम संस्कार के  समय स्मृति स्थल के आसपास जन समूह का सैलाब उमड़ पड़ा और वाजपेयी अमर रहे के नारों से आसमान गूंजने लगा। लाखों की तादाद में बच्चे, बूढ़े, स्त्रियां, युवक, किसान, कामगार तथा व्यापारी अपने प्रिय नेता की झलक देखने के लिए मौजूद थे। अंतिम यात्रा आईटीओ, दिल्ली गेट, दरियागंज होते हुए स्मृति स्थल पहुंची और रास्ते में दोनों ओर लाखों की संख्या में लोग खड़े थे और पुष्प वर्षा कर रहे थे तथा नारे लगा रहे थे। श्री वाजपेयी के अंतिम संस्कार के समय उनके परिवार के लोग भी उपस्थित थे। भूटान के नरेश जिग्मे वांगचुक, अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई, श्रीलंका के कार्यवाहक विदेशमंत्री लक्ष्मण किरेला, बांग्लादेश के विदेश मंत्री, नेपाल के विदेश, और पाकिस्तान के कानून मंत्री अली जफर मंत्री भी इस मौके पर मौजूद रहे।

शव के पास घंटों गुमसुम बैठे रहे आडवाणी

नई दिल्ली — 65 सालों का मतलब,भारतीयों की औसत आयु (68.8 साल) से बस तीन साल कुछ महीने कम। अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी का साथ इतना ही था, लेकिन यहीं तक था। आम तौर पर लोग जितना जिंदा रहते हैं, इन दोनों राजनेताओं ने उतना वक्त साथ बिताया। एक साथ सड़क की धूल फांकी और सत्ता के शिखर को भी साथ चूमा।  छह दशकों का यह साथ अब खत्म हो गया और वाजपेयी की श्रद्धांजलि सभा में भीड़ में घंटों तन्हा बैठे रहे आडवाणी का दुख सहज ही समझा जा सकता है। गुरुवार को जब भारतीय राजनीति का अटल अध्याय समाप्त हुआ तो आडवाणी ने कहा कि हमारा साथ 65 सालों से अधिक का था, आज मेरे पास इस दुख को व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं। ठीक भी है, साथ जब छूटता है तो भाषाएं मौन हो ही जाती हैं। पिछले कई सालों से जब अटल अपनी बीमारी की वजह से सार्वजनिक जीवन से बाहर हो गए तो उनके घर जाकर लगातार मिलने वालों में दो ही नाम प्रमुख थे। ये दो नाम थे आडवाणी और राजनाथ।


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