प्रेत दशा : विक्षुब्ध जीवात्मा की दयनीय स्थिति

By: Aug 4th, 2018 12:05 am

श्री विलियम्स ने भूत संबंधी जिन तथ्यों का पता लगाया, उनमें से कई जानकारी की दृष्टि से बड़े उपयोगी हो सकते हैं। भूत किसी का अहित नहीं कर सकता, यदि कर सकता है तो वह कोमल और भीरू मस्तिष्क वालों को ही डरा सकता है या शरीर पर किसी तरह का नियंत्रण कर सकता है…

 -गतांक से आगे…

एकाएक श्री विलियम्स ने पूछा-‘आप कौन हैं और क्यों उपस्थित हुए हैं?’ इस प्रश्न के जवाब में उसी खट-खट वाली विधि से उसने बताया-‘मैं इसी मकान में रहता था, जब मैं वृद्ध था, तभी मैंने अपने घर वालों से कह दिया था कि मुझे अमुक कब्रिस्तान में दफनाया जाए, पर मेरी इच्छा के अनुसार मुझे नहीं दफनाया गया।’

इसके बाद मैंने लोगों से पूछकर उस मकान में रहने वाले पहले किराएदारों का पता लगाया, तो उनमें मालूम हुआ कि सचमुच उनके पिता ने मृत्यु से पहले इस तरह की इच्छा व्यक्त की थी। एक और विलक्षण बात थी कि भूत तभी तक यह खट-खट की आवाज करता था, जब तक घर में सबसे छोटा वाला लड़का उपस्थित रहता था। पहले कई दिन जब वह स्कूल या घर से बाहर रहा, भूत ने उपस्थिति नहीं दर्शाई।

उस दिन श्री विलियम्स और अधिक खोजबीन के लिए एक मनोवैज्ञानिक और एक पादरी को भी लाए। इनकी उपस्थिति में भूत एक-दो बातों के ही सामान्य उत्तर दे सका था कि लड़का जो आज कई दिन से छिपा-छिपा रहा था, इतना भयभीत हो गया कि उसे तीव्र ज्वर हो गया। उसे अस्पताल ले जाना पड़ा। इसके बाद उसके माता-पिता को भी बच्चे की ओर से बड़ी चिंता हो गई और उन्होंने दूसरा मकान ढूंढकर उस मकान को ही बदल दिया। श्री विलियम्स ने भूत संबंधी जिन तथ्यों का पता लगाया, उनमें से कई जानकारी की दृष्टि से बड़े उपयोगी हो सकते हैं।

भूत किसी का अहित नहीं कर सकता, यदि कर सकता है तो वह कोमल और भीरू मस्तिष्क वालों को ही डरा सकता है या शरीर पर किसी तरह का नियंत्रण कर सकता है। दूसरे भूत को जिस वस्तु में इच्छा होती है, वह केवल उतना ही सोचता रहता और उसी का दुख करता रहता है। जब तक उस अवस्था में भी उसकी यह इच्छा शिथिल नहीं पड़ जाती, तब तक मृत्यु वाली निद्रा नहीं आती और जीवात्मा दूसरे जन्म की तैयारी कर पाती। लंदन में एक अंग्रेज दंपति थे। पति-पत्नी दोनों शराबी थे। पत्नी की मृत्यु के बाद पति ने मकान का कुछ हिस्सा मार्टिन को किराए पर दे दिया। एक दिन मार्टिन की स्त्री ने घर में एक काले वस्त्र धारण किए हुए स्त्री को देखा, उन्होंने समझा यह मेरी मां है, जैसे ही वह उससे मिलने के लिए आगे बढ़ी कि वह स्त्री सीढि़यों से ऊपर ढ़ गई और ऊपर के कमरे में जल रही मोमबत्ती बुझा दी। फिर उसके बाद कोई दिखाई नहीं दिया। इसके कई दिन बाद वैसी ही छाया फिर दिखाई दी, पर प्रयत्न करने पर भी न तो उससे कोई बातचीत की जा सकी, न उससे मिला ही जा सका।

आगे बढ़ते ही वह छाया अदृश्य हो जाती। उस घटना को बाद में पड़ोसियों ने भी देखा और यह माना कि यह पूर्व-अंग्रेज स्त्री की भटकती हुई आत्मा है। आत्माओं के इस तरह के क्रिया-कलापों की घटनाएं भारत में बहुतायत से होती हैं। प्रसिद्ध साहित्यकार लार्ड ब्रोह्म के जीवन की एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण घटना आत्मा के अस्तित्व पर प्रकाश डालती है। उनके एक मित्र थे, उन्हें आत्माओं के अस्तित्व के संबंध में जानने का बड़ा चाव रहता था। दोनों ऐसे लेख जिनमें कोई ऐसी जानकारी होती थी, ढूंढ-ढूंढ कर पढ़ते थे।

उन्होंने सुना था कि भारत में कुछ ऐसे योगी हैं, जो मृत आत्माओं के साथ साक्षात्कार कराते हैं। एक दिन इस पर दोनों मित्रों ने निश्चित किया-‘हम में से जिसकी मृत्यु हो, वह दूसरे से मिलने अवश्य आए।’ यह बात मस्तिष्क में गहराई तक बैठ जाए, इसके लिए उन्होंने अंगुली काटकर एक कागज में हस्ताक्षर भी किए।

                                            -क्रमशः

(यह अंश श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा

लिखित पुस्तक ‘भूत कैसे होते हैं, क्या

करते हैं?’ से लिए गए हैं।)


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