फेफड़ों के सिकुड़न के कारण

By: Aug 11th, 2018 12:05 am

गतांक से आगे…

फेफड़े के सिकुड़ने का दूसरा मुख्य कारण निमोनिया का इन्फेक्शन है, जो अगर प्रारंभिक अवस्था में प्रभावी ढंग से नियंत्रित नहीं किया गया, तो इसकी परिणिति छाती के अंदर इकट्ठे हुए मवाद के रूप में होती है। इन्फेक्शन से क्षतिग्रस्त फेफड़ा और उसके चारों ओर इकट्ठा हुआ मवाद फेफड़े को अपनी पुरानी फूली हुई स्थिति में लाने के सारे प्रयास नाकाम कर देता है। आजकल की बेतहाशा और भागदौड़ की जिंदगी में सड़क दुर्धटनाओं की भरमार है। दुर्घटनाओं में छाती की चोट की वजह से लोग घायल हो जाते हैं। छाती में चोट की वजह से पसलियां तो टूटती ही हैं और साथ ही साथ छाती के अंदर खून का जमाव हो जाता है। ऐसे समय में अगर समय रहते छाती में जमा हुए खून को निकलवाया नहीं गया, तो फेफड़े को नुकसान पहुंचा सकता है। जमा हुआ खून गाढ़ा होकर ठोस हो जाता है। दूसरे इस जमा हुए खून में अगर इन्फेक्शन पहुंच गया, तो इसे मवाद में परिवर्तित होने में देर नहीं लगती और यह जमा हुआ मवाद फेफड़े को क्षतिग्रस्त करने के साथ- साथ उस पर दबाव डालता है जिससे फेफड़ा अपनी पुरानी स्थिति में फिर से नहीं आ पाता, अगर समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो यह क्षतिग्रस्त फेफड़ा संपूर्ण रूप से नष्ट हो जाता है, तब पूरे फेफड़े को निकलवाने के अलावा और कोई चारा नहीं बचता।

फेफड़े की सिकुड़न में कैंसर का महतत्त्वपूर्ण रोल- फेफड़े में सिकुड़न पैदा करने वाले ट्यूमरों में सबसे पहला नाम फेफड़े के ऊपर चढ़ी हुई झिल्ली का ट्यूमर है, जिसे मेडिकल भाषा में ‘मीजोथीलियोमा’ कहते हैं। यह मीजोथीलियोमा का ट्यूमर धीरे-धीरे एक तरफ  तो फेफड़े को चारों ओर से दबोच लेता है और फेफड़े को पूरी तरह से निष्क्रिय बना देता है। इसका समय रहते इलाज न किया गया, तो देर सवेर मौत निश्चित है।

– डा. के के पांडेय, वरिष्ठ थोरेसिक व कार्डियोवैस्कुलर सर्जन, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, नई दिल्ली


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