बेरहम बरसात ने लील लीं 124 जिंदगियां

By: Aug 10th, 2018 12:04 am

389 घर ध्वस्त, 130 पशु मरे

430 करोड़ का नुकसान

शिमला— बरसात के कहर ने अब तक 124 लोगों को मौत की नींद सुला दिया है। बेरहम बरसात से 389 मकान ध्वस्त हुए हैं और 130 पशु अकाल मौत का ग्रास बने हैं। राज्य सरकार की आपदा एवं प्रबंधन निदेशालय के जारी आंकड़ों के अनुसार अब तक प्रदेश भर में 430 करोड़ की क्षति हो चुकी है। सबसे ज्यादा जान-माल की क्षति कांगड़ा जिला में दर्ज हुई है। हालांकि राहत भरी खबर है कि इस बरसात में प्रदेश की नदियों का जल स्तर खतरे के निशान तक नहीं पहुंचा है। गुरुवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार सतलुज बेसिन तथा दूसरी प्रमुख नदियों में सिल्ट आने से विद्युत उत्पादन में गिरावट दर्ज हुई है। राज्य के सबसे अधिक आबादी वाले जिला में 16 लोगों की मौत और 49 मकानों के जमींदोज होने के साथ 90 करोड़ का नुकसान आंका गया है। प्रदेश में बारिश कहर बन कर बरस रही है। लगातार हो रही बारिश ने प्रदेश की रफ्तार धीमी कर दी है। भारी बारिश के चलते प्रदेश में जगह-जगह भू-स्खलन का क्रम जारी है। जिससे राज्य में भारी संख्या में मार्ग वाहनों की आवाजाही के लिए ठप पड़े हुए है।  भारी बारिश के चलते गुरूवार को प्रदेश के कई मार्गों पर वाहनों की आवाजाही ठप रही। इसी बीच आपदा प्रबंधन में बरसात में हुए नुकसान की रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि बिलासपुर जिला में अब तक बरसात 10 लोगों की जिंदगियां लील चुकी है। चार पशुओं की बह जाने से मौत हुई है और 15 मकान ध्वस्त हुए हैं। इस जिला में 21 करोड़ की चपत का अनुमान है। चंबा जिला में 15 लोगों की मौत और 23 मकानों के ढहने की सूचना है। इस जिला में 37 करोड़ का अब तक का नुकसान दर्ज किया गया है। हमीरपुर जिला में बरसात के कारण 12 लोगों की मौत और दो पशुओं के बहने के साथ सात मकान गिरे हैं। इससे 20 करोड़ की जिला हमीरपुर को चपत लगी है। किन्नौर जिला में बरसात के कहर से 8 लोगों की मौत हो चुकी है। दो पशुओं के मारे जाने और 28 घरों के ध्वस्त होने सहित कुल 21 करोड़ के नुकसान की सूचना है। कुल्लू जिला में 8 लोगों की मौतें हो चुकी है। जिला में 19 मकान जमींदोज हुए हैं और एक पशु के मारे जाने की सूचना है। इस प्रकार जिला में कुल 14 करोड़ के नुकसान की रिपोर्ट दर्ज हुई है। जनजातीय जिला लाहौल स्पीति में एक व्यक्ति की मौत और एक मकान के गिरने सहित 26 करोड़ के नुकसान का अनुमान जताया गया है। मंडी जिला में 19 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है और 12 पशु बरसात की भेंट चढ़े हैं। जिला में 47 मकानों के ढहने सहित 61 करोड़ की क्षति दर्ज हुई है। शिमला जिला में 14 लोगों की मौत हो चुकी और 130 मकानों को क्षति पहुंची है। इस जिला में 68 करोड़ का नुकसान आंका गया है। इसी तरह सिरमौर जिला में छह लोगों की मौत और 33 पशुओं के बहने की के साथ-साथ 45 मकानों को क्षति पहुंचने की सूचना है। इस जिला में 28 करोड़ के नुकसान का अनुमान है। सोलन जिला में 4 लोगों की मौत हुई है, जबकि चार ही पशु बहने के साथ 17 घर ध्वस्त हुए हैं। जिला में 19 करोड़ के नुकसान की सूचना है। इसके अलावा ऊना जिला में 11 लोगों की मौत के साथ दो पशु बहने की सूचना है, जबकि 17 मकान ध्वस्त हुए हैं।  इस जिला में 26 करोड़ के नुकसान होने की सूचना है।

जिला      मौतें        मौतें        क्षति       नुकसान

लोग       पशु        मकान     करोड़ों में

बिलासपुर 10         04         15         21

चंबा       15         0          23         37

हमीरपुर   12         02         07         20

कांगड़ा    16         70         49         90

किन्नौर    08         02         28         21

कुल्लू      08         01         19         14

लाहुल-स्पीति 01         0          01         26

मंडी       19         12         37         61

शिमला    14         0          130       68

सिरमौर    06         33         45         28

सोलन     04         04         18         19

ऊना       11         02         17         26

सतलुज में सिल्ट  बिजली उत्पादन बंद

शिमला— हिमाचल में भारी बारिश का असर बिजली परियोजनाओं पर भी देखने को मिल रहा है। भारी बारिश के चलते सतलुज नदी में भारी सिल्ट भरने से तीन बिजली परियोजनाएं ठप पड़ गई हैं। तीनों परियोनाओं में तीसरे दिन भी उत्पादन नहीं हो सका।   किन्नौर जिला में बीते कुछ दिनों से भारी बारिश हो रही है। इससे सतलुज में सिल्ट आ गई है और  नतीजन नदी पर बनी तीन परियोजनाओं को बंद करना पड़ रहा है। सतलुज पर बनी 1500 मेगावाट की नाथपा झाकड़ी बिजली परियोजना, 1000 मेगावाट की कड़छम वांगतू और 412 मेगावाट की रामपुर जल बिजली परियोजना में   मंगलवार से बंद कर दी गई है। इससे इनमें बिजली उत्पादन नहीं हो रहा। बिजली परियोनाआें को बंद करने से राज्य में बिजली कमी हो गई है। हालांकि बिजली बोर्ड इस कमी को सेंट्रर सेक्टर से लनी पड़ रही है। सेंटर सेक्टर की अन्य राज्यों  से बोर्ड द्वारा 800 से 1000 मेगावाट बिजली ली  जा रही है।  बिजली बोर्ड के मुख्य अभियंता  सुनील ग्रोवर का कहना है कि सुतलुज नदी में भारी सिल्ट आने से तीनों परियोजनाओं में विद्युत उत्पादन शुरू नहीं हो पाया। ऐसे में  बाहर से बिजली लेनी पड़ रही है।


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