भावातीत ध्यान

By: Aug 4th, 2018 12:05 am

महेश योगी

चेतना की पूर्ण सामर्थ्य शुद्ध चेतना विज्ञान, भावातीत चेतना को जाग्रत करने से समस्त कार्यों में प्राकृतिक विधानों की अनंत संगठनात्मक शक्ति का सहयोग सहजरूपेण एवं स्वाभाविक रूप से प्राप्त होता है…

महर्षि महेश योगी प्रणीत भावातीत ध्यान का नियमित अभ्यास व्यक्ति और समाज की अनेकानेक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है। भावातीत ध्यान की प्रक्रिया अत्यंत सरल, सहज, स्वाभाविक और प्रयासरहित है। इसे किसी भी धर्म, आस्था, विश्वास, विचारधारा, पारिवारिक पृष्ठभूमि, जाति के व्यक्ति एक बार सीखकर जीवनभर अभ्यास कर सकते हैं। भावातीत ध्यान आराम से कहीं भी बैठकर किया जा सकता है। ध्यान की यह विधि वेद एवं विज्ञान दोनों से प्रमाणित है। विश्व भर में 700 से अधिक वैज्ञानिक अनुसंधानों द्वारा प्रमाणित यह एक मात्र ध्यान की पद्धति है जिसे 100 से भी अधिक देशों के नागरिकों ने सीखा है और चेतना की उच्च अवस्थाओं का अनुभव करके अनेकानेक लाभ प्राप्त कर रहे हैं। इसका व्यक्तिगत अभ्यास व्यक्ति व उसके परिवार के लिए और समूह में अभ्यास पूरे समाज के लिए लाभदायक है। भावातीत ध्यान के नियमित अभ्यास से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पूर्णता आती है, बुद्धि तीक्ष्ण और समझदारी गहरी होती है, बहुमुखी समग्र चिंतन करने की शक्ति बढ़ती है, स्मरण शक्ति बढ़ती है, दुर्बलता उत्तेजना और चिड़चिड़ापन दूर होता है, भावनात्मक संतुलन बढ़ता है, तंत्रिका तंत्र को गहन विश्राम मिलने के कारण तनाव तथा थकावट दूर होती है। स्नायु मंडल की शुद्धि होती है, साधक अपनी आत्मा में स्थित होकर पूर्ण स्वस्थ हो जाता है। बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है, जिससे व्यक्ति बीमार नहीं होता। भावातीत ध्यान के माध्यम से सहनशीलता बढ़ती है, सहयोग की भावना बढ़ती है, सहिष्णुता बढ़ती है, तनाव चिंताएं थकावट दूर रहते हैं। शारीरिक व मानसिक क्षमताओं का पूर्ण जागरण और विकास होता है, आपराधिक प्रवृत्तियां और नकारात्मकता का शमन होता है, सुख शांति और असीम आनंद की प्राप्ति होती है। समस्त विश्व में भावातीत ध्यान को अनेक समस्याओं के एक समाधन के रूप में  मान्यता मिली हुई है। भावातीत ध्यान को पाश्चात्य जगत में तनाव दूर करने वाली प्रमुख और सर्वाधिक प्रचलित ध्यान पद्धति के रूप में जाना जाता है। भावातीत ध्यान के नियमित अभ्यास के साथ दैनिक जीवन में प्राकृतिक विधान के सहयोग में अभिवृद्धि होती है। चेतना की पूर्ण सामर्थ्य शुद्ध चेतना विज्ञान, भावातीत चेतना को जाग्रत करने से समस्त कार्यों में प्राकृतिक विधानों की अनंत संगठनात्मक शक्ति का सहयोग सहजरूपेण एवं स्वाभाविक रूप से प्राप्त होता है। विचार की सूक्ष्मतर अवस्थाओं का अनुभव करने एवं शुद्ध चेतना तक व्यवस्थित रूप से पहुंचने के लिए सुव्यवस्थित प्रक्रिया होने के कारण से भावातीत ध्यान कार्य में कुशलता की प्रक्रिया है । भावातीत ध्यान कम परिश्रम करके अधिकाधिक फल प्राप्त करने की तकनीक है ।


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