भुलाए नहीं भूलती बरसात की वह रात

By: Aug 13th, 2018 12:03 am

मंडी – समय का मरहम हर जख्म को भर देता है, लेकिन कुछ त्रासदियां ऐसी भी होती हैं, जिनके निशान कभी नहीं मिट पाते। एक वर्ष पहले 12 अगस्त की रात को ऐसी एक त्रासदी छोटी काशी के इतिहास में दर्ज हुई थी। 12 अगस्त की रात को कोटरोपी का पहाड़ दानव बन कर गिरा था और 48 जिंदगियां पहाड़ के मलबे में दफन हो गई थीं। 12 अगस्त की रात को लगभग एक बजे के आसपास पूरा पहाड़ गिरा था और उसमें हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम की दो बसें, कार, जीप और बाइक सहित 48 लोग जिंदा दफन हो गए थे। इस दौरान एचआरटीसी की बस हजारों क्विंटल मलबे के नीचे दबी हुई थी। कोटरोपी दानव ने आसपास के  गांवों के कई परिवारों को भी बेघर कर दिया था। इस हादसे के बाद हालांकि रात दो बजे से मंडी जिला प्रशासन से सर्च अभियान शुरू कर दिया था, लेकिन सुबह की किरणें जब पड़ीं तो कोटरोपी ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया। 13 अगस्त को सेना, एनडीआरएफ, मंडी प्रशासन और हजारों स्थानीय लोगों की मदद से 46 शव मलबे के अंदर से बरामद कर किए थे, जबकि एक शव उसके बाद मिला था और एक अभागे अध्यापक की लाश आज तक नहीं मिल सकी है। वहीं, इस हादसे को एक साल बीत चुका है, लेकिन कोटरोपी के दानव का डर आज भी कायम है।

बुझ गए थे कई घरों के चिराग

कोटरोपी के इस हादसे में किसी ने अपने तीन बच्चों को खोया था, तो किसी ने अपने इकलौते बेटे को। किसी की बेटी को पहाड़ लील गया तो किसी की बेटी विधवा हो गई थी। उत्तर प्रदेश का पूरा परिवार ही बच्चों सहित कोटरोपी में काल का ग्रास बन गया था। इस परिवार के नौ सदस्य कटड़ा में माथा टेकने के बाद कटड़ा-मनाली बस में सवार होकर हिमाचल की सैर को निकले थे।

कटे-फटे मिले थे लोगों के शव

हादसे में मलबे में दफन हुए शव जब पूरा दिन सर्च अभियान के बाद बाहर निकाले गए थे, तो मंजर काफी खौफनाक था। किसी का धड़ नहीं था, तो किसी की टांगें और किसी के बाजू नहीं थे। इस हादसे में हालाकि किस्मत से कुछ लोग की जान भी बच गई थी।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App