मुंह-खुर रोग का टीकाकरण करवाएं

By: Aug 2nd, 2018 12:05 am

आजकल कई अखबारों में पशुओं में मुंह खुर रोग के फैलने की खबरें आ रही हैं। इस बारे में मैं हिमाचल के पशुपालकों को ‘दिव्य हिमाचल’ के माध्यम से इस रोग के बारे में निम्नलिखित जानकारी देना चाहता हूं। सबसे पहले लोगों को मैं यह बताना चाहता हूं कि पशुपालन विभाग हिमाचल प्रदेश में छह जून, 2018 से छह जुलाई, 2018 तक एक विशेष मुहिम के तहत पूरे हिमाचल प्रदेश में सभी गो जाति व भैंसों को मुंह,खुर पका का टीकाकरण किया जा रहा है। अगर आपके पशु को टीकाकरण नहीं हुआ है तो आप अतिशीघ्र अपने निकटतम पशु चिकित्सा केंद्र में जाकर अपने पशु का टीकाकरण अवश्य करवाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जिन पशुओं को यह रोग हो गया है, उनका व उस गोशाला में अन्य पशुओं का टीकाकरण नहीं हो पाएगा। खुरपका मुंहपका रोग एक संक्रामक रोग है, जो पिकोरना विषाणु से फैलता है। यह रोगग्रस्त पशुओं से स्वस्थ पशुओं में केवल संपर्क से ही नहीं, अपितु दाना, पानी और हवा से भी फैलता है। इसमें मृत्यु की संभावना बहुत कम है, परंतु मादा पशुओं का दुग्ध उत्पादन लगभग शून्य हो जाता है, जो पशु के ठीक हो जाने पर उतना नहीं होता, जितना पशु की बीमारी से पहले था। इस बीमारी से उनकी गर्भाधारण क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। बैलों की कार्य करने की क्षमता काफी कम हो जाती है। इसमें ज्यादातर मृत्यु छह-आठ महीने की बछडि़यों में होती है। इससे गाय, बैल या भैंस की मृत्यु नहीं होती है।

लक्षण :

-अचानक तेज बुखार आता है, पशु बेचैन रहता है, खाना-पीना बंद कर देता है व उनका दूध कम हो जाता है। बंद हो जाता है। दवाई देने के बावजूद कई बार बुखार पांच-सात दिन रहता है।

-मसूड़े, जीभ व खुरों में छाले निकल आते हैं, जिनके फूटने से घाव बन जाते हैं।

-मुंह व पैरों में छालों की वजह से मुंह में अधिक झागदार लार निकलती है और पशु लंगड़ाने लगता है। इसलिए बीमारी के दौरान पशु को कोसा पानी पिलाएं व दलिया खिलाएं। हरा व सूखा घास कुछ समय के लिए पशु को बंद कर दें।

रोकथाम

– सभी पशुओं को नियमित रूप से टीका लगवाना चाहिए। यह टीकाकरण पशुपालन विभाग की तरफ से साल में दो बार निःशुल्क होता है।

-जिस गांव में यह रोग फैल रहा हो, वहां स्वस्थ पशुओं को तुरंत टीका लगवाना चाहिए।

-बीमार पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग कर साफ-सुथरे व सूखे स्थान पर रखें व उन्हें इधर-उधर घूमने नहीं देना चाहिए।

उपचार

– लाल दवा (पोटाशियम परमैग्नेट) के 1.1000 के घोल से घावों को धोएं। मुंह के छालों पर ग्लिस्रीन लगाएं।

-पशु चिकित्सक की सलाह से तीन-पांच दिन पशुओं को रोग निवारक व दर्द निवारक टीके लगवाएं।

खुरपका, मुंहपका बीमारी में यह लोकोक्ति सत्यार्थ है कि ‘इलाज से सावधानी भली’ इसलिए अपने पशु चिकित्सक से मिलकर हर साल इस बीमारी का टीकाकरण साल में दो बार अवश्य करवाएं।

डा. मुकुल कायस्थ

वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी, उपमंडलीय पशु चिकित्सालय पद्धर(मंडी)

फोनः 94181-61948

नोट : हेल्पलाइन में दिए गए उत्तर मात्र सलाह हैं।

Email: mukul_kaistha@yahoo.co.in


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App