मैं जी भर जिया…

By: Aug 17th, 2018 12:15 am

लंबी बीमारी के बाद भारत रत्न वाजपेयी ने एम्स में ली अंतिम सांस, शोक में डूबा पूरा देश

‘मौत की उम्र क्या है? दो पल भी नहीं, जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं

नई दिल्ली — ‘काल के कपाल पर लिखने-मिटाने‘’ वाली वह अटल आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई है। भारतीय राजनीति के शिखर पुरुषों में शुमार और राजनीति के अजातशत्रु पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार शाम को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में निधन हो गया। वह 93 वर्ष थे और कई वर्षों से अस्वस्थ चल रहे थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार शाम एम्स में इलाज के दौरान निधन हो गया। वह 93 साल के थे। एम्स ने शाम को बयान जारी कर बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 अगस्त, 2018 को शाम 05.05 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 36 घंटों में उनकी तबीयत काफी खराब हो गई थी। हमने पूरी कोशिश की, पर उन्हें बचाया नहीं जा सका। वाजपेयी को यूरिन इन्फेक्शन और किडनी संबंधी परेशानी के चलते 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था। मधुमेह के शिकार वाजपेयी का एक ही गुर्दा काम कर रहा था। सरकार ने उनके निधन पर सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। श्री वाजपेयी अविवाहित थे, हालांकि उनकी एक दत्तक पुत्री नमिता और दामाद रंजन भट्टाचार्य उनके साथ रहते थे। याददाश्त कमज़ोर होने के बाद से वह सार्वजनिक जीवन में सक्रिय नहीं थे। उनके निधन का समाचार फैलते ही सारे देश में शोक की लहर दौड़ गई। कवि, पत्रकार, प्रखर वक्ता और राजनेता रहे श्री वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर में हुआ था। उनके पिता पंडित कृष्णबिहारी वाजपेयी शिक्षक थे। उनकी स्नातक तक की शिक्षा ग्वालियर में हुई और इसी दौरान वह तत्कालीन विक्टोरिया कालेज यानी वर्तमान महारानी लक्ष्मीबाई कालेज के छात्रसंघ के सचिव चुने गए थे। बाद में उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज में विधि स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया था और फिर वह लखनऊ में पत्रकारिता और फिर राजनीति में ऐसे सक्रिय हुए कि 2004 में उन्होंने विश्राम लिया। वह दस बार लोकसभा में चुने गए। दो बार बलरामपुर से, दो बार नई दिल्ली से, एक बार ग्वालियर से और अंत में पांच बार लखनऊ से निर्वाचित हुए। वह दो बार राज्यसभा के लिए भी चुने गए। वह भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे और बाद में उन्होंने अप्रैल 1980 में भाजपा की स्थापना की। उन्होंने पहला लोकसभा चुनाव 1955 में लड़ा था, लेकिन वह पराजित हुए थे और 1957 में उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में उन्हें जीत हासिल हुई। वर्ष 1957 से 1977 तक वह बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। आपातकाल के बाद बनी मोरारजी देसाई की सरकार में सन् 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे। वर्ष1980 में उन्होंने असंतुष्ट होकर जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की। वर्ष 1984 में लोकसभा में दो सदस्यों से बढ़कर भाजपा को 1996 में पहली बार केंद्र की सत्ता तक लाने और फिर 1998 में बहुमत की सरकार चलाने का श्रेय श्री वाजपेयी को जाता है। सौम्य एवं उदार व्यवहार के कारण प्रतिद्वंद्वियों में भी लोकप्रियता हासिल करने वाले श्री वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे। वाजपेयी सरकार ने 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शस्त्र संपन्न देश घोषित कर दिया। इस कदम से उन्होंने भारत को निर्विवाद रूप से विश्व मानचित्र पर एक सशक्त वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया। बाद में पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के लिए लाहौर की बस यात्रा करके दक्षिण एशिया में शांति की बड़ी पहल की। जम्मू-कश्मीर के मसले को सुलझाने एवं आतंकवाद के खात्मे के लिए उन्होंने पुरजोर प्रयास किया। इसके लिए उन्होंने इन्सानियत, जम्हूरियत एवं कश्मीरियत का नारा दिया, जो आज कश्मीर मसले के समाधान का दिशानिर्देशक मंत्र बन चुका है। श्री वाजपेयी ऐसे पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री हुए, जिन्होंने पांच साल तक बिना किसी समस्या के राज किया। उन्होंने 24 दलों को मिला कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) बनाकर सरकार बनाई थी, जिसमें 81 मंत्री थे। उनके समय कभी किसी दल ने आनाकानी नहीं की। इससे उनकी नेतृत्व क्षमता का पता चलता है।

सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा

नई दिल्ली — सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर उनके सम्मान में सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। श्री वाजपेयी की स्मृति मे देश में 22 अगस्त तक राष्ट्रीय शोक मनाया जाएगा और इस दौरान सभी सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। इस अवधि के दौरान कोई सरकारी समारोह आयोजित नहीं किया जाएगा।

आज भाजपा मुख्यालय में अंतिम दर्शन

नई दिल्ली — पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए शुक्रवार दोपहर एक बजे तक भाजपा मुख्यालय में रखा जाएगा, जहां लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित सकेंगे। एक बजे अंतिम यात्रा शुरू की जाएगी और शाम चार बजे उनका अंतिम संस्कार पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ दिल्ली में किया जाएगा।

तीन बार बने प्रधानमंत्री

1.पहली बार 1996 में 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने। बहुमत साबित नहीं कर पाने की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा

2.दूसरी बार वह 1998 में प्रधानमंत्री बने। सहयोगी पार्टियों के समर्थन वापस लेने की वजह से 13 महीने ही राज कर पाए

3.13 अक्तूबर, 1999 को वह तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। इस बार उन्होंने 2004 तक अपना कार्यकाल पूरा किया


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