‘राम’ का नाम बदनाम न करो

By: Aug 13th, 2018 12:05 am

संसद का मानसून सत्र समाप्त हो गया। दोनों सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए गए हैं। दो संसदीय सत्रों के बीच यह एक तकनीकी परंपरा है। घोर विवादास्पद ‘तीन तलाक’ बिल के पारित होने की उम्मीद थी, लेकिन उसे पेश तक नहीं किया जा सका। अब शीतकालीन सत्र में भी यह बिल राज्यसभा में पारित हो सकेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता, क्योंकि सियासी दोफाड़ की स्थितियां हैं। मोदी सरकार के सामने अध्यादेश लाने का विकल्प भी है, लेकिन लगता है भाजपा भी इस बिल को लटकाए रखना चाहती है। करीब 8.5 करोड़ मुस्लिम औरतों के वैवाहिक अधिकार और सामाजिक स्थिति का सवाल है। बिल लटका रहेगा, तो ध्रुवीकरण के हालात भी बने रहेंगे और भाजपा के पक्ष में मुस्लिम समाज का अप्रत्याशित वोट बैंक भी मजबूत होता रहेगा। अलबत्ता मोदी सरकार इतनी सक्षम और ताकतवर जरूर है कि कोई भी बिल पारित करा सकती है, कुछ भी मनचाहा काम कर सकती है। यदि राज्यसभा में उपसभापति के चुनाव में गैर-समर्थक दलों को भी अपने पाले में लाकर जीत हासिल की जा सकती है, तो ‘तीन तलाक’ के बिल पर वे समीकरण क्यों नहीं बनाए जा सकते? बहरहाल इस बिल के संदर्भ में एक अनहोनी, एक अपशाब्दिक हरकत जरूर की गई है। यदि मुसलमानों के पैगंबर साहब के संदर्भ में ऐसा कुछ कहा जाता, तो मौत का फतवा जारी हो सकता था। सलमान रुश्दी और तस्लीमा नसरीन सरीखे विश्व विख्यात लेखकों की पूरी जिंदगी इन फतवों के खौफनाक सायों में कट रही है, लेकिन हिंदू समुदाय तो इतना सहिष्णु है कि उसे कोई भी गालियां देता रहे, वह जहर का घूंट समझ कर पीता रहता है। ‘तीन तलाक’ के परिप्रेक्ष्य में कांग्रेस सांसद हुसैन दलवई की बिन हड्डी की जुबान ने बोल दिया-‘राम ने भी शक के आधार पर सीता को छोड़ दिया था।’ यह सांसद इतना अनपढ़, असभ्य, बदतमीज है कि वह इतना भी नहीं जानता कि धारा 153 के तहत उसके खिलाफ आपराधिक केस दर्ज किया जा सकता है। यह मजहबी और सांस्कृतिक अपराध की श्रेणी की हरकत है। बेशक बाद में सांसद ने माफी मांग ली हो, लेकिन अपराध खत्म नहीं होता। भगवान राम असंख्य हिंदुओं, गैर-हिंदुओं की आस्था के शिखर और आधार हैं। वह कोई आम आदमी नहीं, परमावतार माने जाते रहे हैं, लिहाजा उनके खिलाफ कहा गया कोई भी आपत्तिजनक और अश्लील शब्द करोड़ों लोगों की भावनाओं को आहत करता है। सांसद अपना ज्ञान और विवेक कांग्रेस के भीतर ही बघारें। यदि राहुल गांधी की कांग्रेस उस सांसद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती है, तो उसके गंभीर परिणाम पार्टी को ही भुगतने पड़ेंगे। कांग्रेस ने कुछ ऐसे ‘गुंडे’ छोड़ रखें हैं, जो अनर्गल अलाप करते रहते हैं, लेकिन वे पार्टी के मत नहीं हैं, यह कहकर कांग्रेस पल्ला झाड़ती रही है। यदि कांग्रेस सांसद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है, तो कमोबेश राहुल गांधी का मंदिर-भ्रमण बेमानी साबित हो सकता है। मुसलमान और ‘तीन तलाक’ के पक्षधर संसद में और उसके बाहर कुछ भी अलापते रहें, लेकिन हमारे ‘राम’ का नाम बदनाम करने की जुर्रत नहीं है। यह एक हद के बाद बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जहां तक ‘तीन तलाक’ का सवाल है, तो सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ उसे ‘अवैध’ करार दे चुकी है। ‘तीन तलाक’ अब भी देना अपराध है, लेकिन इस कुरीति का समूल नाश होना जरूरी है। यह इस्लाम सम्मत भी नहीं है, लेकिन कुरान के कुछ ‘अज्ञानी और कठमुल्ला’ मौलवी, मुफ्ती, मौलाना और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के ‘असंवैधानिक ठेकेदार’ अब भी अपनी दुकानदारी चला रहे हैं। दुनिया के 22 देश इस कुरीति पर पाबंदी थोप चुके हैं। सबसे पहले मिस्र ने किया था और पाकिस्तान जैसा कट्टरपंथी देश भी 1956 में इस पर पाबंदी लगा चुका है, तो फिर भारत सरीखे प्रगतिशील देश को क्या दिक्कत है? 21वीं सदी में कोई मुस्लिम मर्द अपनी बीवी को तीन बार तलाक कहे और उसे तलाक मान लिया जाए, यह कैसा गला-सड़ा समाज है? जिन पार्टियों को इस मुद्दे पर मुस्लिम मर्दों की आड़ में वोट की सियासत करनी है, उन्हें उनके हाल पर छोड़ दें, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के लिए यह एक ऐसा मौका है कि कयामत तक मुस्लिम औरतें उनका गुणगान करेंगी और इतिहास उन्हें याद करता रहेगा। वह ‘तीन तलाक’ को खत्म कर ऐसा काम कर सकते हैं, जिसकी पैगंबर और कुरान ने भी इजाजत नहीं दी है।


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