शिकारी माता मंदिर में बही ज्ञान की गंगा
सुंदरनगर – नौलखा स्थित शिकारी माता मंदिर में आयोजित शिव महापुराण में तीसरे दिन कथा करते हुए कथा ब्यास योगेश शर्मा ने कहा कि सत चित अन्नरूप परतम परात्पर ब्रह्म एक ही है। वह सर्वदा सवर्था पूर्ण है, विभु है, सर्वरूप है। शिव पुराणा में यह ही परात्पर ब्रह्म शिव नाम से विख्यात है। शिव पुराणा में आदि से अंत जो वर्णन मिलता है। वह सब का सब पूर्णरूप से परतम ब्रह्म का ही वर्णन है। भगवान में भेद नहीं है भेद तो हमारे मन में है। हरि-हर में कोई भेद नहीं दोनों का अर्थ एक ही है। हमारे सनातन में तो हरि-हरात्मक पद्धति है, जो कितनी दिव्य है। उन्होंने कहा कि नारायण भगवान शिव की और शिव भगवान नारायण की उपसना करते है। इस मौके पर उन्होंने श्रावण माह की शिवरात्रि का भी महत्त्व बताया और इस दिन शिव के जलाभिषेक को अत्यंक पुन्यकारी बताया। गुरुवार को कथा श्रवण करने के लिए बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित रहीं।
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