सियासत में सदा उसूलों के पक्के रहे सोम दा

By: Aug 14th, 2018 12:05 am

लोकसभा अध्यक्ष पद पर पहुंचने वाले पहले कम्युनिस्ट नेता थे चटर्जी

कोलकाता— देश के सर्वोच्च संवैधानिक पदों में से एक लोकसभा स्पीकर के पद की शोभा बढ़ाने वाले दिग्गज राजनेता सोमनाथ चटर्जी (89) ने सोमवार को आखिरी सांस ली। भारतीय राजनीति के दिग्गज नेता एवं सांसद सोमनाथ चटर्जी देश के पहले ऐसे कम्युनिस्ट नेता थे, जिन्होंने लोकसभा अध्यक्ष तक का सफर तय किया। वामपंथी वटवृक्ष की जड़ रहे सोमनाथ चटर्जी ने राजनीति में कभी अपने उसूलों से समझौता नहीं किया और संसदीय लोकतंत्र की मजबूती उनकी पहली प्राथमिकता रही। 25 जुलाई, 1929 को असम के तेजपुर में जन्मे श्री चटर्जी ने जीसस कालेज से स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। राजनीति में प्रवेश से पूर्व वह कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक अधिवक्ता के रूप में प्रैक्टिस करते रहे। 1968 में वह मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) में शामिल हुए। उनके संसदीय सफर की शुरुआत 1971 में हुई जब उन्होंने पश्चिम बंगाल की वर्धमान सीट पर सीपीएम के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की थी। वह सीट उनके पिता के निधन के बाद खाली हुई थी। उन्हें अपने जीवन में सिर्फ एक बार शिकस्त का सामना करना पड़ा, जब 1984 में ममता बनर्जी ने उन्हें हरा दिया था। चटर्जी सीपीएम के टिकट पर लोकसभा के लिए दस बार चुने गए। 1989 से 2004 तक वह लोकसभा में अपनी पार्टी के नेता रहे। वह बतौर सांसद दसवीं बार 2004 में बोलपुर संसदीय सीट से निर्वाचित हुए। चार जून, 2004 में श्री चटर्जी सर्वसम्मति से 14वीं लोकसभा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया और 2009 तक इस पद पर रहे। 2008 में तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने जब अमरीका के साथ परमाणु समझौता किया तो माकपा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था और श्री चटर्जी से लोकसभा अध्यक्ष का पद छोड़ने को कहा, लेकिन श्री चटर्जी ने यह कहते हुए पद से हटने से इनकार कर दिया था कि लोकसभा अध्यक्ष के रूप में वह किसी पार्टी के साथ नहीं है। उसके बाद माकपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। उस दौरान प्रकाश करात सीपीएम के महासचिव थे। पिछले दस साल से वह राजनीति से अलहदा रहे। चर्चित नेता एसएन चटर्जी यूपीए- 1 सरकार के दौरान 2004 में सर्वसम्मति से लोकसभा अध्यक्ष चुने गए थे।

जीवन का दुखद दिन

श्री चटर्जी ने 23 जुलाई, 2008 को अपने जीवन के सबसे दुखद दिन बताते हुए कहा था कि लोकसभा का अध्यक्ष अन्य सदनों के अध्यक्ष के तरह ही किसी एक पार्टी के लिए काम नहीं करता है और न ही किसी राजनीतिक दल का प्रतिनिधित्व करता है।

…और सक्रिय राजनीति से ले लिया संन्यास

श्री चटर्जी को 1996 में उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अपने तर्क कौशल के लिए मशहूर चटर्जी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों की व्यापक जानकारी थी। लोकसभा के अध्यक्ष के तौर पर 2009 में कार्यकाल खत्म होने के साथ ही उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था। उनके परिवार में पत्नी रेणु चटर्जी, एक बेटा और दो बेटियां हैं।


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