सुनो सबकी करो मन की

By: Aug 5th, 2018 12:05 am

 बाहर झुंड में खड़े मेंढक उनसे चीख कर कहने लगे कि बाहर निकलने की कोशिश करना बेकार है। अब तुम बाहर नहीं आ पाओगे। थोड़ी देर तक कूदा-फांदी करने के बाद भी जब गड्ढे से बाहर नहीं निकल पाए, तो एक मेंढक ने आस छोड़ दी और गड्ढे में  नीचे की तरफ  लुढ़क गया। नीचे लुढ़कते ही वह मर गया। दूसरे मेंढक ने कोशिश जारी रखी और अंततः पूरा जोर लगाकर एक छलांग लगाने के बाद वह गड्ढे से बाहर आ गया। जैसे ही दूसरा मेंढक गड्ढे  से बाहर आया तो बाकी मेंढक साथियों ने उससे पूछा जब हम तुम्हें कह रहे थे कि गड्ढे से बाहर आना संभव नहीं है तो भी तुम छलांग  क्यों मारते रहे…

एक बार की बात है। बहुत से मेंढक जंगल से जा रहे थे। वे सभी आपसी बातचीत में कुछ ज्यादा ही व्यस्त थे तभी उनमें से दो मेंढक एक जगह एक गड्ढे में गिर पड़े। बाकी मेंढकों ने देखा कि उनके दो साथी बहुत गहरे गड्ढे में गिर गए हैं। गड्ढा गहरा था और इसलिए बाकी साथियों को लगा कि अब उन दोनों का गड्ढे से बाहर निकल पाना मुश्किल है। साथियों ने गड्ढे में गिरे उन दो मेंढकों को आवाज लगाकर कहा कि अब तुम खुद को मरा हुआ मानो। इतने गहरे गड्ढे से बाहर निकल पाना असंभव है। दोनों मेंढकों ने बात को अनसुना कर दिया और बाहर निकलने के लिए कूदने लगे। बाहर झुंड में खड़े मेंढक उनसे चीख कर कहने लगे कि बाहर निकलने की कोशिश करना बेकार है। अब तुम बाहर नहीं आ पाओगे। और खुद वहां से चले गए। थोड़ी देर तक कूदा-फांदी करने के बाद भी जब गड्ढे से बाहर नहीं निकल पाए तो एक मेंढक ने आस छोड़ दी और गड्ढे में और नीचे की तरफ  लुढ़क गया। नीचे लुढ़कते ही वह मर गया। क्योंकि उसने अपने दिमाग में आपने साथियों की बात को बैठा लिया था और ज्यादा कोशिश न करते हुए वह मर ही गया। दूसरे मेंढक ने कोशिश जारी रखी और अंततः पूरा जोर लगाकर एक छलांग लगाने के बाद वह गड्ढे से बाहर आ गया। बहुत खुश हुआ और अपने साथिओं को ढूंढता हुआ चला पड़ा। उसके साथी मेंढक  बहुत आगे तालाब के पास बैठ कर आपस में बातें कर रहे थे कि उसी समय मेंढक वहां पहुंच गया ।  साथी उसे देख कर हैरान हो गए। मेंढक साथियों ने उससे पूछा जब हम तुम्हें कह रहे थे कि गड्ढे से बाहर आना संभव नहीं है, तो भी तुम छलांग मारते रहे, क्यों। इस पर उस मेंढक ने जवाब दिया दरअसल मैं थोड़ा सा ऊंचा सुनता हूं और जब मैं छलांग लगा रहा था तो मुझे लगा कि आप मेरा हौसला बढ़ा रहे हैं। आप कह रहे हैं कि साथी हिम्मत मत हराना और कोशिश करते रहना और आप लोगों की यही बात  दिमाग में घूम रही थी और देखा में आपके साथ आ खड़ा हूं। वैसे आप लोगों ने यही बोला था कि हिम्मत मत हारना और कोशिश करते रहना। साथियों ने झूठ में कहा दिया हां । फिर मेंढक ने बोला अगर आपने ऐसा बोला होता तो हमारा एक साथी मरता नहीं। सीख- यह कहानी हमें कई बातें कहती है। पहली यह कि हमें हमेशा दूसरों का हौसला बढ़ाने वाली बात ही कहनी चाहिए। दूसरी यह कि जब हमें अपने आप पर भरोसा हो तो दूसरे क्या कह रहे हैं, इसकी कोई परवाह नहीं करनी चाहिए।


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