सेनानियों को भूल गया हिमाचल

By: Aug 16th, 2018 12:06 am

सरकार ने नहीं किया है कल्याण बोर्ड का गठन, उत्तराधिकारी मांग रहे चार फीसदी आरक्षण

शिमला— आज देश के संग प्रदेश की जनता भी स्वतंत्रता दिवस मना रही है। देश को आजाद करवाने में प्रदेश के भी कितने ही वीर सपूतों ने अपना योगदान दिया, लेकिन आजादी के इन वीर सिपाहियों में से प्रदेश में अब सिर्फ 45 स्वतंत्रता सेनानी जीवित हैं। ये प्रदेश के नौ जिलों में हैं। राज्य में इनके लिए चलाई जाने वाली कल्याणकारी योजनाओं के लिए अलग से एक कल्याण बोर्ड का गठन किया जाता है परंतु वर्तमान सरकार ने अभी तक इसका गठन नहीं किया। इसमें किसी को भी अध्यक्ष नहीं बनाया गया है जो फिलहाल अधिकारियों द्वारा ही चलाया जा रहा है। स्वतंत्रता सेनानियों के उत्तराधिकारी सरकार से नौकरियों में आरक्षण बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। अभी इनको दो फीसदी आरक्षण मिल रहा है जिसे बढ़ाकर चार फीसदी करने की मांग की जा रही है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को याद किया जाता है, लेकिन उसके बाद कोई इन्हें याद नहीं रखता। हैरानी तो इस बात की है कि प्रदेश में आज तक स्वतंत्रता सेनानियों की याद में एक प्रदेश स्तरीय स्मारक तक नहीं बना है। प्रदेश में कारगिल शहीद स्मारक तो बन गए, लेकिन स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक भी प्रदेश स्तरीय स्मारक का निर्माण आजादी के इतने वर्षों बाद भी नहीं हो सका। यही नहीं, सरकारी नौकरी में स्वतंत्रता सेनानियों का आरक्षण का बैकलॉग भी पूरी तरह से नहीं भरा जा सका है। आंकड़ों पर नजर डालें तो लगभग 10 वर्ष पहले प्रदेश में जहां स्वतंत्रता सेनानियों की संख्या 500 के करीब थी, वहीं अब 50 के करीब स्वतंत्रता सेनानी ही रह गए हैं। इनमें से भी कई ऐसे हैं, जिनकी आयु 101 साल से भी ऊपर हैं।


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