कांगड़ा के मंत्री जनता की नब्ज पकड़ न पाए, मुख्यमंत्री खुद आगे आए

By: May 18th, 2019 12:02 am

जयराम ठाकुर को प्रचार अभियान से लेकर चुनाव प्रबंधों तक झोंकनी पड़ी ताकत, मंत्रियों के कमजोर प्रबंधन का कांग्रेस ने उठाया फायदा

शिमला —कांगड़ा जिला के चार ताकतवर मंत्रियों के बावजूद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में खुद मोर्चा संभालना पड़ा है। इसके चलते किशन कपूर के प्रचार अभियान से लेकर चुनाव प्रबंधों के हर मसले में मुख्यमंत्री को ताकत झोंकनी पड़ी है। कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र से जिला के सबसे वरिष्ठ मंत्री किशन कपूर को प्रत्याशी बनाए जाने के पीछे भाजपा ने मजबूत दांव खेला था, बावजूद इसके पार्टी की रणनीति धराशायी हो गई। इस कारण परिस्थितियों को भांपते हुए मुख्यमंत्री को इस सीट को जिताने के लिए हर मोर्चे को खुद संभालना पड़ा। हैरत है कि जिला के सभी मंत्री अपने चुनाव क्षेत्रों तक सीमित हो गए और इस कमजोर प्रबंधन का कांग्रेस ने जरूर फायदा उठाया है। बहरहाल मुख्यमंत्री ने इस सीट को अपने बलबूते भाजपा के पक्ष में मजबूती पर लाकर खड़ा कर दिया है। जाहिर है कि कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार के एंटी इन्कमबैंसी फैक्टर के कारण भाजपा ने उनका टिकट काट दिया था। इस कारण जातीय समीकरणों के आधार पर गद्दी वोट बैंक की सेंधमारी के लिए किशन कपूर को टिकट दिया गया है। बावजूद इसके किशन कपूर भी पूरे मन से चुनाव नहीं लड़ रहे थे। पार्टी के मंत्री भी अपने नफा-नुकसान का गणित बिठाकर अपने ही क्षेत्रों तक सीमित रहे। पार्टी प्रत्याशी को जीत की दहलीज तक ले जाने के लिए मुख्यमंत्री को मंडी संसदीय क्षेत्र में भी खूब पसीना बहाना पड़ा है। प्रचंड एंटी इन्कमबैंसी फैक्टर के बावजूद मुख्यमंत्री ने वन मैन आर्मी बनकर इस सीट के समीकरण बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। शिमला संसदीय क्षेत्र में पार्टी प्रत्याशी सुरेश कश्यप की बेदाग छवि के बावजूद उनके पक्ष में चुनावी प्रचार नहीं उठ पा रहा था। इसके चलते इस संसदीय क्षेत्र में भी मुख्यमंत्री को खुद मोर्चा संभालना पड़ा। प्रदेश की चारों संसदीय सीटों में अनुराग ठाकुर इकलौते प्रत्याशी अपने दमखम पर चुनाव लड़ रहे हैं। लगातार जीत की हैट्रिक लगा चुके अनुराग को चौथी बार लोकसभा भेजने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने भी खूब पसीना बहाया। खास है कि अनुराग ठाकुर के पक्ष में चुनावी माहौल तैयार करने के लिए मुख्यमंत्री ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है।

सोने पे सुहागा

चुनाव में भाजपा के लिए सबसे बड़े स्टार प्रचारक बनकर उभरे मुख्यमंत्री के लिए संगठन और शांता कुमार का साथ सोने पे सुहागा बना गया है। टिकट कटने के बावजूद शांता को साथ चलाकर सीएम ने अपने राजनीतिक कौशल का परिचय दिया है।

नहीं दिखे जेपी नड्डा

चुनाव में मुख्यमंत्री को चार में से तीन संसदीय क्षेत्रों के प्रत्याशी सियासी कंधे पर खुद ढोने पड़े हैं। उनके प्रचार-प्रसार से लेकर तमाम चुनावी प्रबंध खुद मुख्यमंत्री को करने पड़े हैं। केंदीय राजनीति में हिमाचल के कद्दावर नेता जेपी नड्डा की भी इन चुनावों में भूमिका जीरो रही है।

सीएम ने कीं 106 रैलियां

चुनाव अभियान में मुख्यमंत्री ने कुल 106 जनसभाएं संबोधित की हैं। इनमें मंडी में सबसे ज्यादा 38, शिमला में 25, कांगड़ा और हमीरपुर में 20-20 रैलियों में हिस्सा लिया है। प्रदेश के किसी भी नेता की लोकसभा या विधानसभा में यह सर्वाधिक रैलियां हैं।


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