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हम उम्मीद करें कि जी-20 के बाद भारत आर्थिक विकास की बहुआयामी संभावनाओं को मुठ्ठी में लेने के लिए आगे बढ़ेगा। इससे चालू वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की विकास दर 6.5 प्रतिशत से अधिक के स्तर पर पहुंच सकेगी। साथ ही दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा रखने वाला भारत 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में

सोवियत संघ के पतन के बाद ग्रामकी का यह सिद्धांत अमेरिका के विश्वविद्यालयों में पुन: प्रकट होने लगा। लेकिन कल्चरल माक्र्सवाद के पैरोकारों को लगता है भारत इस क्रांति के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा है। यह सनातन राष्ट्र हजारों सालों के झंझावातों को झेलता हुआ भी अपनी आत्मा या चिति को बचाए हुए है। यह गतिशील भी है और सनातन भी है। इसलिए जब तक भारत को विखंडित नहीं किया जाता, तब तक कल्चरल माक्र्सवाद का यह रथ दलदल से बाहर नहीं निकल सकेगा। शायद हमारे अपने उच्चतम न्यायालय में भी यह बहस शुरू हो गई है कि किसी के लिंग का निर्धारण करने का अधिकार किसी दूसरे को नहीं है। प्रोफेशनल आंदोलनकारियों

हिमाचल प्रदेश सरकार का युवा सेवाएं एवं खेल विभाग अभी तक करोड़ों रुपए से बने इस खेल ढांचे के रखरखाव में नाकामयाब रहा है। उसके पास न तो चौकीदार हैं और न ही मैदान कर्मचारी, पर्याप्त प्रशिक्षकों की बात तो बहुत दूर की बात है। नई खेल नीति में लिखा है कि सरकार विभिन्न खेल संघों, पूर्व खिलाडिय़ों व प्रशिक्षकों से इन सुविधाओं का उपयोग कराने के लिए खेल अकादमियों का गठन कराएगी और अच्छे प्रशिक्षकों को खेल विभाग में कम से कम पांच वर्षों के लिए अनुबंधित करेगी, इस प

जब वह सीढिय़ां चढ़ते हुए तरह-तरह की बातें बनाता है या डरने का नाटक करता है तो वह जानता है कि यह भीड़ इक_ी करने का शगूफा है। उसे खुद पर विश्वास है। जब उसके कपड़ों पर तेल छिडक़ा जाता है तो उसे डर नहीं लगता, जब उसके कपड़ों को माचिस की तीली दिखाई जाती है तो उसे डर नहीं लगता, जब वह कलाबाजियां खाता हुआ नीचे छलांग लगाता है तो उसे डर नहीं लगता, जब

देश के हुक्मरानों को सैनिकों के परिवारों की भावनाओं का सम्मान करना होगा, जो अपने सीने में जज्बातों का समंदर दफन करके भी खामोश हैं। पाकिस्तान के साथ क्रिकेट डिप्लोमेसी पर विचार होना चाहिए...

यही कारण है कि भोजन और शिक्षा आपस में एक-दूसरे पर निर्भर हैं और यदि इसका प्रबंधन सही ढंग से नहीं किया गया तो नए भारत के लिए चुनौती बन सकता है। देखा जाए तो कुपोषण कोई ऐसी बीमारी नहीं जिसे कम न किया जा सके। बस हमें इस पर ध्यान देने की जरूरत है। स्कूली बच्चों को जंक फूड के विपरीत प्रभावों से बचाने की बहुत जरूरत है। कुल मिला कर न केवल नीति स्तर पर, बल्कि परिवार में भी बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें कैसा आहार दिया जाता है, इसको ध्यान में रखकर कुपोषण की समस्या को काफी हद तक सीमित किया जा सकता है। यूं भी जो हमारी शिक्षा व्यवस्था है, उसमें कमियां हैं और यह उन बातों पर फोकस नहीं कर रही है कि हमें क्या खाना चाहिए और कितनी मात्रा में खाना चाहिए। चूंकि हमारी समझ और जानकारी किताबों और लेक्चर्स से आती है, ऐसे में भोजन और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े पाठयक्रम आज के समय की बहुत बड़ी जरूरत हैं...

ये सब सेवाएं भारत में डिजिटल पूंजी के विकास और डिजिटल गवर्नेंस के एक नए युग की प्रतीक हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि देश में बढ़ती हुई डिजिटल पूंजी देश की नई पीढ़ी के रोजगार व करियर का नया आधार बन गई है। अमेजॉन वेब सर्विसेज इन कारपोरेशन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2025 तक डिजिटल स्किल्स से सुसज्जित युवाओं की मांग में नौ गुना वृद्धि होगी...

यही कारण था कि जब दुनिया के बाकी देश दिल्ली में आकर भारत की प्रशंसा कर रहे थे, इंग्लैंड के प्रधानमंत्री अपने सनातनी हिंदू होने पर गर्व कर रहे थे, तब राहुल गांधी इंडिया गठबंधन के प्रतिनिधि के तौर पर विदेशों में जाकर बता रहे थे कि यदि भारत में इसी प्रकार चलता रहा तो देश का पतन हो जाएगा। उनको वही भारत चाहिए था जो अंग्रेज छोड़ कर गए थे। राहुल एक बार महात्मा गांधी का हिंद स्वराज पढ़ लें तो उन्हें सब

भावी पीढिय़ों के सुखमय जीवन व पर्वतों के बेहतर मुस्तकबिल के लिए पहाड़ों का हमदर्द बनना होगा, ताकि देवभूमि की फिजाओं में अमन की शमां जलती रहे। प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के विकल्प तलाशने होंगे...