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आप उन लोगों की लिस्ट तैयार करें जिनके साथ आपको हमेशा एक सहारा मिलता रहा है, जिनके पास आप अपना सुख-दुख बांट पाती हों या जिनके पास आप खुलकर हर बात बोल पाती हों। अकेलेपन की भले ही आप शिकार हों, लेकिन यह हमेशा खुद सोचें कि आपको जहां तक हो सके, सोशल बनना है। इसके लिए आप खुद को कहें कि आप इंट्रेस्टिंग हैं और आपको लोग पसंद

सौर ऊर्जा के उपयोग की एक टेक्नॉलॉजी ‘सौर फोटो वोल्टेइक सेल’ (पीवीसी) है। यह पीवीसी सौर ऊर्जा को सीधे बिजली में बदल देते हैं। अंतरिक्ष में इस तरह संयंत्र स्थापित करना अत्यधिक लाभदायक है

हम उम्मीद करें कि आगामी लोकसभा चुनाव के बाद देश वैश्विक आर्थिक संगठनों की रिपोर्टों के मुताबिक वर्ष 2027 में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

यदि कांग्रेस इन छह पूर्व विधायकों को फिर से स्वीकार लेती है, तो क्या होगा। राजनीति संभावनाओं का खेल है। अब कांग्रेस इनको पार्टी में तो वापस ले सकती है, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष अब इनको दोबारा विधानसभा का सदस्य नहीं बना सकेंगे। अब लोकसभा के चुनाव परिणामों का इंतजार है...

कम से कम बीस मिनटों तक तेज चलने, दौडऩे व शारीरिक क्रियाओं के करने से रक्त वाहिकाओं में रक्त संचार तेज हो जाता है। उससे हर मसल को उपयुक्त मात्रा में प्राणवायु मिलने से उसका समुचित विकास होता है। विद्यार्थी को कल का अच्छा नागरिक बनाना है तो उसे फिटनेस कार्यक्रम देना होगा...

बेटी के जन्म पर दुखी होने वालों को समझना होगा कि हम बेटों को बुढ़ापे का सहारा मानते हैं तो समाज में ऐसे बेटों की भी कमी नहीं है जिन्होंने मां-बाप के जीवन को नर्क बना दिया और ऐसी बेटियों की भी कमी नहीं है जिन्होंने अपने मां-बाप में से किसी एक के अकेले रह जाने पर उनको सहारा दिया, साथ दिया, प्यार दिया, बेटी के बजाय मां बनकर देखभाल की। गुरु नानक देव जी ने बहुत ही सटीक बात कही है - ‘सो क्यों मंदा आखिए, जिन जम्मे राजे’, यानी हम महिलाओं को नीची नजर से कैसे देख सकते हैं ज

उच्च शिक्षा में लड़कियों की बढ़ती संख्या का स्वागत करना चाहिए, लेकिन इस शिक्षा का उनके जीवन को हर लिहाज से बेहतर बनाने में क्या योगदान रहने वाला है, यह भी जानते रहना जरूरी है। आज निजीकरण के कारण महिलाओं केलिए उच्च शिक्षा इतनी महंगी होती जा रही है कि कोई गरीब आधी रोटी खाकर भी अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने में सक्षम नहीं हो पा रहा है। इसका खामियाजा सबसे अधिक लड़कियों को उठाना पड़ रहा है। दरअसल समाज की यह हकीकत है कि लडक़ी को चाहे जितना शिक्षित कर लो,

आज दिन तक आवंटित भूमि पर हक हासिल करने के किए कई लोग मुकद्दमों में उलझे हुए हैं। जबकि परियोजना 70 के दशक में पूरी हो गई थी और पंजाब, राजस्थान को पानी और बिजली मिलने लग गई थी। किन्तु हिमाचल के हित आज तक फंसे हुए हैं। केंद्र सरकार को भी इस ओर ध्यान देकर निर्णय करवाना चाहिए, किन्तु वहां से भी चुप जैसी स्थिति क्यों बनी रहती है, समझ से परे है। ताजा मामला

अपनी ऋण जाल कूटनीति के माध्यम से चीन बीआरआई में भाग लेने वाले देशों से प्रमुख रणनीतिक संपत्ति और स्थान छीनने में सक्षम हो गया है। इसलिए इसे रोकने की जरूरत थी...