भरत झुनझुनवाला

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक जब सेवित की आय में 50 प्रतिशत की कटौती हो गई है तो सेवकों की आय में भी उसी अनुपात में 50 प्रतिशत की कटौती करना उचित दिखता है। ऐसा करने से सरकार का घाटा घटेगा। समय क्रम में जब अर्थव्यवस्था पुनः ठीक हो जाए तो सेवकों के वेतन पूर्ववत किए

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक वास्तव में देश की अर्थव्यवस्था दो भागों में विभक्त हो गई है। एक हिस्सा सार्वजनिक इकाइयों और बड़ी कंपनियों एवं इनके कर्मचारियों का है जो सुदृढ़ है। इस हिस्से को ही हमारे बैंक ऋण दे रहे हैं। मेरी गणना के अनुसार देश की 133 करोड़ जनता में से 10 करोड़ ही

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक इन दोनों अनिश्चितताओं के कारण हमें सतर्क हो जाना चाहिए और लंबी मंदी के लिए तैयारी कर लेनी चाहिए। यह सोच कर नहीं चलना चाहिए कि वैक्सीन बनने से यह मंदी शीघ्र ही समाप्त हो जाएगी। सबसे विपरीत परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए अन्यथा वैसी परिस्थिति उत्पन्न होने पर हम

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक अर्थशास्त्र का एक मौलिक सिद्धांत उपयोगिता का है। बताया जाता है कि मनुष्य जब पहला केला खाता है तो उसे कुछ उपयोगिता यानी यूटिलिटी अथवा सुख मिलता है। जब वह दूसरा केला खाता है तो पहले की तुलना में उससे कुछ कम उपयोगिता मिलती है और जब वह तीसरा केला खाता

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक हमें भी ऐसी फसलों की खोज करनी चाहिए जिन फसलों पर हम वैश्विक बाजार में अपनी सुदृढ़ पैठ बना सकें। उन फसलों की  गुणवत्ता अन्य सभी देशों की तुलना में अच्छी और दाम कम होने  चाहिए जिससे हम प्रतिस्पर्धा में खड़े रह सकें। हमारे देश का सौभाग्य है कि यहां हर

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक आयात करों का स्तर सीमित होने से, बड़े उद्यमी का एकाधिकार न होने से और भारतीय उद्यमियों के वैश्विक कुशलता हासिल कर लेने से आज संरक्षण की दीवार के पीछे भी हमारा उत्पादन मूलतः कुशल बना रह सकेगा, यद्यपि कुछ गिरावट आ सकती है। इस नुक्सान के सामने लाभ यह होगा

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक रिजर्व बैंक के पास अधिकार हैं कि वह निजी बैंकों को आदेश दे सकता है कि वे किन ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी शाखाएं खोलकर अपनी सेवाएं उपलब्ध कराएं। दुर्भाग्यवश इंदिरा गांधी ने प्राइवेट बैंकों को इस प्रकार के  दिशा-निर्देश देने के स्थान पर उनका राष्ट्रीयकरण कर दिया जो हितकर होने के

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक पुराने समय में भी हिंदू और बौद्ध भिक्षु तमाम देशों में जाकर बसे और वहां उन्होंने भारतीय संस्कृति का प्रसार किया। लेकिन वर्तमान में भारत से विदेश जाकर जो प्रवासी बस रहे हैं, जैसे कमला हैरिस के पूर्वज गए थे, इन्होंने मूल रूप से उस अमरीकी संस्कृति को अपना लिया है

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक सारांश है कि इस्लाम और पश्चिमी सभ्यता दोनों में समानता की विचारधारा गहरी है। लेकिन इस्लाम में समानता के इस मंत्र को सुन्नाह ने खारिज कर दिया, जबकि पश्चिमी सभ्यता ने इस मंत्र को अपने देश तक सीमित करके खारिज कर दिया। अतः दोनों में सुधार की जरूरत है। इस्लाम को