भूपिंदर सिंह

वर्षों के अंतराल के बाद राजकीय महाविद्यालय धर्मशाला द्वारा आयोजित हिमाचल प्रदेश अंतर महाविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में राजकीय महाविद्यालय मंडी की धाविका कुसुम ठाकुर ने सौ मीटर की फर्राटा दौड़ को 11.58 सेकेंडों के नए कीर्तिमान के साथ दौड़ कर राजकीय महाविद्यालय धर्मशाला की रिचा द्वारा बनाए गए विश्वविद्यालय के ही नहीं, बीस वर्ष पहले बने पुष्पा ठाकुर के राज्य कीर्तिमान को भी तोड़ दिया है। कुशम 12 सेकेंडों से नीचे 100 मीटर को दौडऩे वाली तीसरी महिला बन गई है। हमीरपुर की प्रिय ठाकुर भी पिछले वर्ष राज्य प्रतियोगिता में 11.98 सेकें

क्या सरकार अन्य विभागों में नौकरी लगे पूर्व खिलाडिय़ों व प्रशिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर लाकर या उन्हीं के विभाग में उन्हें खेल प्रबंधन व प्रशिक्षण देने का अधिकार देकर हिमाचल प्रदेश की करोड़ों रुपए से बनी इन खेल सुविधाओं का सदुपयोग कर राज्य में खेलों को गति नहीं दे सकती है? अभी भी समय है कि सरकार इन खेल मैदानों का रखरखाव ठीक ढंग से करवाए...

योग के नियमों का पालन करने के बाद अगर यौगिक क्रियाओं को किया जाता है तो मानव में शारीरिक व मानसिक स्तर पर आश्चर्यजनक रूप से अलौकिकता का सुधार होता है। आज आधुनिकता की इस अंधी दौड़ में इनसान को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है। आज जब मनुष्य के पास हर सुख सुविधा आसानी से उपलब्ध है, मगर समय का अभाव है, ऐसे में फिटनेस को बनाए रखने की दिक्कत सबके सामने है...

स्वर्ण पदक की परम्परा को जारी रखते हुए चंबा की सीमा ने दस हजार मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक व पांच हजार मीटर की दौड़ में भी अपना सर्वश्रेष्ठ समय निकाल कर दूसरा स्वर्ण पदक जीता है। सीमा साई खेल छात्रावास धर्मशाला में एथलेटिक्स प्रशिक्षक केहर सिंह पटियाल के प्रशिक्षण कार्यक्रम से निकल कर आजकल भोपाल में विशेष व गहन प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है। अगले साल ओलंपिक खेलों में इस धाविका से काफी उम्मीद है। हिमाचल को महिला हैंडबाल में स्नेहलता की टीम ने इस बार भी अपना जलवा दिखाते हुए स्वर्ग पदक दिलाया है। हिमाचल प्रदेश के मुक्केबा

उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाला खिलाड़ी बनने के लिए स्कूल व कालेज समय में खिलाड़ी को अच्छी खेल सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। पूरे संसार में जहां के खिलाड़ी श्रेष्ठ हैं वहां पर स्कूल व कालेज स्तर पर बहुत ही उत्तम खेल सुविधाएं मुहैया हैं। इस स्तर पर अगर हिमाचल प्रदेश में घटिया खेल सामान न खरीद कर उच्च क्वालिटी का खेल सामान खरीदा होगा तो स्तरीय खेल सुविधा होगी तो जहां जो खिलाड़ी प्रशिक्षण सुविधाओं के अभाव में खेल छोड़

राष्ट्रीय पदक विजेताओं के लिए वजीफे की बात हो। जो खेल छात्रावास के बाहर हों, उन्हें भी खेल छात्रावास के अंतर्गत दैनिक खुराक भत्ता व अन्य सुविधाओं के ऊपर खर्च होने वाली राशि के बराबर वजीफा देने की वकालत हो। जिन अवार्डी खिलाडिय़ों व प्रशिक्षकों के पास कोई नौकरी नहीं है, उन्हें साठ साल आयु के बाद पेंशन का प्रावधान हो...

सत्र 2023-24 के लिए हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का शारीरिक शिक्षा व अन्य गतिविधियों के निदेशालय ने इस बार भी पूरे हिमाचल प्रदेश के महाविद्यालयों की खेलों का आयोजन विभिन्न महाविद्यालयों में होगा, यह अपने कैलेंडर में लिखा है मगर खेलों की जननी एथलेटिक्स का नाम गायब है। क्या इस बार भी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता नहीं होगी? हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला व वल्लभ भाई पटेल राज्य विश्वविद्यालय मंडी इन दोनों विश्वविद्यालयों के लगभग सभी अंतर महाविद्यालय खेलों का संयुक्त रूप से आयोजन पिछले वर्ष भी हुआ था और इस वर्ष भी आयोजन हो रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में सत्तर के दशक में बना हिमाचल प्रदेश विश्व

आज का विद्यार्थी फिटनेस व मनोरंजन के नाम पर दूरसंचार माध्यमों का कमरे में बैठ कर खूब दुरुपयोग कर रहा है। ऐसे में विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास की बात मजाक लगती है। आज के विद्यार्थी के लिए विद्यालय या घर पर आधे घंटे के फिटनेस कार्यक्रम की सख्त जरूरत है। इसमें 15 से 20 मिनट धीरे-धीरे दौडऩा त

हिमाचल प्रदेश के दूरदराज शिक्षा संस्थानों में उपलब्ध खेल सुविधा के अनुसार खेल विंग खुलने चाहिए। कालेज स्तर पर अधिक से अधिक खेल विंग अगर खुलते हैं तो यहां की खेलों को अवश्य ही पंख लग सकते हैं...