आस्था

होली में आप सब कुछ भूलकर मस्ती के रंग में डूब जाते हैं, लेकिन होली में थोड़ी सी भी असावधानी आपकी सेहत के लिए भारी पड़ सकती है। कहीं यह मस्ती आपके लिए परेशानी का सबब न बन जाए, इसलिए अपनी सेहत का रखें खास ख्याल। इस आधुनिक युग की होली में प्रयोग किए जाने

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… अगर आप मेरे एक अनुरोध को स्वीकार कर लें। आप पैदल तीर्थ यात्रा मत कीजिए। कोचीन राज्य के दीवानजी आपकी श्री रामेश्वर तक जाने की पूर्ण व्यवस्था कर देंगे। स्वामी जी कोचीन की राजधानी त्रिचुर में कुछ दिन तक आराम करके मालावार से होकर त्रिवेंद्रम पहुंचे। त्रावणकोर महाराजा के भतीजे

जे.पी. शर्मा, मनोवैज्ञानिक नीलकंठ, मेन बाजार ऊना मो. 9816168952 उपरोक्त शीर्षक के अंर्तगत इस तथ्य को समझने के लिए कि क्यों त्योहारों का मनोवैज्ञानिक प्रभाव धर्म को पीछे छोड़ रहा है, पूर्व के त्योहारों को मनाने और आज के त्योहारों को मनाने के तौर तरीकों और रस्मों रिवाजों के अंतर को समझना जरूरी है। साथ

होलाष्टक शब्द होली और अष्टक दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसका भावार्थ होता है होली के आठ दिन। इसकी शुरुआत होलिका दहन के सात दिन पहले और होली खेले जाने वाले दिन के आठ दिन पहले होती है और धुलेंडी के दिन से इसका समापन हो जाता है। यानी कि फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी से शुरू होकर पूर्णिमा तक होलाष्टक रहता है। अष्टमी तिथि से शुरू होने के कारण भी इसे होलाष्टक कहा जाता

लट्ठमार होली ब्रज क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध त्योहार है। होली शुरू होते ही सबसे पहले ब्रज रंगों में डूबता है। यहां भी सबसे ज्यादा मशहूर है बरसाना की ल_मार होली। बरसाना राधा का जन्मस्थान है। मथुरा (उत्तर प्रदेश) के पास बरसाना में होली कुछ दिनों पहले ही शुरू हो जाती है...

आमलक्य एकादशी अथवा आमलकी एकादशी फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में एकादशी तिथि को मनाई जाती है। हिंदू धर्म में इस तिथि को बड़ा ही पवित्र तथा महत्त्व का बताया गया है। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है और उन्हीं के निमित्त इस तिथि पर व्रत, भजन-कीर्तन आदि किया जाता है। आमलक वृक्ष (आंवला), जिसमें हरि एवं लक्ष्मी जी का वास होता है, के नीचे श्रीहरि की पूजा की जाती है। हेमाद्रि व्र

यह पीठ हमीरपुर से 45 किलोमीटर दूर दियोटसिद्ध नामक सुरम्य पहाड़ी पर है। इसका प्रबंध हिमाचल सरकार के अधीन है। हमारे देश में अनेकानेक देवी-देवताओं के अलावा नौ नाथ और चौरासी सिद्ध भी हुए हैं, जो सहस्रों वर्षों तक जीवित रहते हैं और आज भी अपने सूक्ष्म रूप में वे लोक में विचरण करते हैं। भागवत पुराण के छठे स्कंद के सातवें अध्याय में वर्णन आता है कि देवराज इंद्र की सेवा में जहां देवगण और अन्य सहायकगण थे, वहीं सिद्ध भी शामिल थे। नाथों में गुरु गोरखनाथ का नाम आता है। इसी प्रकार 84 सिद्धों में बाबा बालक नाथ जी का नाम आता है। बाबा बालक नाथ जी के बारे में प्रसिद्ध है कि इनका जन्म युगों-युगों में होता रहा है...

हिंदू पंचांग के अनुसार, 20 मार्च यानी आमलकी एकादशी के दिन बाबा श्याम का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। ऐसे में प्रसिद्ध बाबा खाटू श्याम का लक्खी मेला 21 मार्च तक आयोजित किया जाएगा। वहीं, बाबा श्याम का मुख्य लक्खी मेला 20 मार्च को होगा। इस बार लक्खी मेला 10 दिवसीय होगा। इस मेले में देशभर से लाखों भक्त पहुंचते हैं। खाटूश्याम जी को श्रीकृष्ण ने वरदान में अपना नाम श्याम दिया था...

अमेठी में स्थित शक्तिपीठ कालिकन धाम की महिमा अपार है। यह धरती च्यवन मुनि की तपोभूमि कही जाती है। मंदिर में अन्य छोटे-छोटे देवालय भी स्थापित हैं। यहां पर एक प्राचीन अमृत कुंड भी है। मान्यता है कि अमृत कुंड में स्नान से...