आस्था

क्या कभी सोचा है कि इतने मनोवैज्ञानिक, डाक्टर्स इतने इलाज कराने के बाद भी क्यों इनसान को ठीक नहीं कर पा रहे हैं? बीमारी दिन प्रतिदिन दिन बढ़ती जा रही है। इनसान पैसा लगाता है समय देता है, लेकिन बीमारी बिलकुल ठीक होने के बजाय और खराब होती जाती है। आज ये कहानी आपको उस सच्चाई से रू-ब-रू कराएगी, जो आजकल लोगों को समझनी बहुत जरूरी है कि बीमारी की असल जड़ क्या है?

भावना अंत:करण की एक वृत्ति है। संकल्प, चिंतन, मनन आदि इसी के नाम हैं। भावना तीन प्रकार की होती है सात्विक, राजसी और तामसी। आत्मा का कल्याण करने वाली जो ईश्वर विषयक भावना है वह सात्विकी है। सांसारिक विषय भोगों की राजसी एवं अज्ञान से भरी हुई हिंसात्मक भावना तामसी है। संसार के बंधन छुड़ाने वाली होने के कारण सात्विकी भावना के अनुसार इच्छा, इच्छा के अनुसार कर्म, कर्म के अनुसार संस्कार, संस्कारों के अनुसार ही मनष्य के स्वभाव बनते हैं। कर्मों के अनुसार जीवन बनता है। भा

यह सांसारिक जीवन सत्य नहीं है। सत्य तो परमात्मा है, हमारे अंदर बैठी हुई साक्षात ईश्वर स्वरूप आत्मा है, वास्तविक उन्नति तो आत्मिक उन्नति है। इसी उन्नति की ओर हमारी प्रवृत्ति बढ़े, इसी में हमारा सुख-दु:ख हो। यही हमारा लक्ष्य रहा है। अपने हास के इतिहास में भी भारत ने अपनी संस्कृति, अपने धर्म, अपने ऊंचे आदर्शों को प्रथम स्थान दिया है। मनुष्य अच्छी तरह जानता है कि असत्य अच्छा

इस रुद्ध प्रवाह को गतिशील एवं निर्मल बनाने के लिए मार्ग भी उनके दिल में रूपाभित हुआ। भारतवासियों की अज्ञानता को देखकर उनका मन व्याकुल हो उठा। उनके गुरु श्रीराम कृष्णदेव ने कहा, कि खाली पेट धर्म नहीं होता। इस बात की सच्चाई को उन्होंने अब महसूस किया था। इस सबका प्रतिकार कैसे हो?

यजुर्वेद मंत्र 31/1 का यही भाव है कि मनुष्य और पशु-पक्षी आदि के शरीर में ईश्वर विराजमान है। अत: जितने भी मनुष्य, पशु-पक्षी, कीट-पतंग आदि के मुख, नेत्र, बाहु, जंघाएं, पैर और उदर (पेट) हैं, वह सभी निराकार परमेश्वर के हैं, परमेश्वर के दिए हुए हैं...

* नारियल का तेल हल्का सा गर्म करके दिन में दो-तीन बार बिवाइयों पर लगाने से पूरी राहत मिलती है।

प्रसिद्ध गजल सम्राट स्वर्गीय जगजीत सिंह की मशहूर गजल के बोल थे जो इस प्रकार है:- ‘‘ ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो, भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी। मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन, वो कागज की किश्ती वो बारिश का पानी’’।

श्रीश्री रवि शंकर भारतीय पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीना आखिरी महीना होता है और फाल्गुन मास की पूर्णिमा साल की आखिर पूर्णिमा है। तो ऐसी पद्धति रही है कि इस दिन घर की पुरानी चीजों को इक_ा करके उसकी होली जलाते हैं। होली का क्या संदेश है होली का संदेश है, शत्रु को भी मित्र

अमावस्या की तिथि का हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्त्व बताया गया है। जिस तिथि में चन्द्रमा और सूर्य साथ रहते हैं, वही अमावस्या तिथि है। इसे अमावसी भी कहा जाता है। इसके साथ ही सिनीवाली या दर्श नाम भी प्राप्त होते हैं। अमावस्या माह की तीसवीं तिथि होती है। कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को कृष्ण पक्ष प्रारम्भ होता है तथा अमावस्या को समाप्त होता है। अमावस्या पर सूर्य और चन्द्रमा का अंतर शून्य हो जाता है...