आस्था

नर्मदा जयंती मां नर्मदा के जन्मदिवस यानी माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मनाई जाती है। नर्मदा जयंती मध्य प्रदेश राज्य के नर्मदा नदी के तट पर मनाई जाती है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को शास्त्रों में नर्मदा जयंती कहा गया है। नर्मदा अमरकंटक से प्रवाहित होकर रत्नासागर में समाहित हुई है और अनेक जीवों का उद्धार भी किया है...

भीष्माष्टमी अथवा भीष्म अष्टमी का व्रत माघ माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। महाभारत में वर्णन है कि भीष्म पितामह को इच्छामृत्यु का वरदान था। माघ शुक्लाष्टमी तिथि को बाल ब्रह्मचारी भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर अपने प्राण छोड़े थे। उनकी पावन स्मृति में यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन प्रत्येक हिन्दू को भीष्म पितामह के निमित्त कुश, तिल, जल लेकर तर्पण करना चाहिए, चाहे उसके माता-पिता जीवित ही क्यों न हों...

भारत के मंदिर, उनकी भव्यता विश्व प्रसिद्ध है। इसलिए देश-दुनिया से लोग इन मंदिरों में दर्शन करने पहुंचते हैं। साथ ही इन मंदिरों की खूबसूरती वास्तुकला भी आत्मिक शांति देने वाली होती है।

मां सरस्वती जी का जन्मदिन जिसे हम बसंत पंचमी के रूप में मनाते हैं। इस साल 14 फरवरी को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन देश भर में माता सरस्वती की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है।

वर्ष में नवरात्र चार बार आते हैं माघ, चैत्र, आश्विन, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रथम नौ तिथियां नवरात्र संज्ञक होती हैं, जो कि देवी पूजा हेतु विशेष मान्य होती हैं। शक्ति उपासना (दुर्गा) पर्व नव शक्तियों से युक्त होने को ही नवरात्र कहते हैं।

स्वामी जी फिर उत्साहित होकर उन सबको शिक्षा देने लगे और भविष्य के कर्मों की तैयारी के लिए उन्हें उत्साहित करने लगे। शरतचंद्र जब पूरी तरह स्वस्थ हो गए तो वह वराहनगर के मठ में पहुंच गए। यहां उन्होंने शरतचंद्र का नाम बदलकर स्वामी दयानंद रखा। स्वामी विवेकानंद के पहले शिष्य स्वामी दयानंद ही थे। लगभग एक साल बाद स्वामी विवेकानंद ने वराहनगर के मठ में व कलकत्ता के बाग बाजार में बलराम वसू के घर

वह क्या है, जो आपको वास्तविकता से, सत्य से और परमात्मा से दूर रखता है। वे चार प्रकार के भय या इच्छाएं हैं, जो आपको संसार से बांधते हैं। इन्हें कहा एषणाएं जाता है और ये हैं पुत्रेष्णा, वित्तेष्णा, लोकेष्णा और जीवेष्णा। पहली है पुत्रेष्णा माने अपने बच्चों से लगाव। हमेशा अपनी संतान के विषय में सोचते रहना। कल, जब वे बड़े होंगे और उनके पास आपके लिए समय नहीं होगा, तो आपका दिल टूट जाएगा। वास्तव में, वे किसके बच्चे हैं? वे भ

उन्नति के मार्ग किसी के लिए प्रतिबंधित नहीं हैं। वे सबके लिए समान रूप से खुले हैं। परमात्मा के विधान में अन्याय अथवा पक्षपात की कोई गुंजाइश नहीं है। जो व्यक्ति अपने अंदर जितने अधिक गुण, जितनी अधिक क्षमता और जितनी अधिक योग्यता विकसित कर लेगा, उसी अनुपात में उतनी ही अधिक विभूतियों का अधिकारी बन जाएगा। असंख्यों बार यह परीक्षण हो चुके हैं कि दुष्टता किसी के लिए भी लाभदायक सिद्ध नहीं हुई। जिसने भी उसे अपनाया वह घाटे में रहा और वातावरण दूषित बना। अब यह परीक्षण आगे भी चलते रहने से कोई लाभ नहीं। हम अपना जी

प्रेम बढ़ता गया, बढ़ता ही गया। परंतु बुल्लेशाह के परिवार वालों को यह पसंद नहीं था। मिलने-जुलने वाले व संबंधी भी रोकने लगे और कहने लगे कि अरे तू (मुस्लमानों की ऊंची जाति) होकर अराईं जाति वाले व्यक्ति के पास जाता है। हमारा और उसका क्या मेल? वो छोटी जाति का है, तू ऊंची जाति का है। ये अच्छा नहीं है। तू वहां जाना छोड़ दे। अपने कुल को कलंकित न कर। अब बुल्लेशाह मुरशद के पास छुप-छुपकर जाने गले। परंतु यह बात छिपी नहीं रही।