आस्था

स्वामी रामस्वरूप योगी और परमेश्वर में अभेद अवस्था होती है, उसमें योगी ही स्वयं को परमेश्वर घोषित करके, परमेश्वर की ओर से स्वयं को परमेश्वर कहता है, यह सब वेदों एवं योग शास्त्र आदि में प्रमाणित है। योगी में अणिमा, महिमा, गरिमा आदि आठ सिद्धियां होती है… गतांक से आगे… शोक 11/17 में अर्जुन श्री

ठंड बढऩे से पहले ही हवा में प्रदूषण की मात्रा काफी बढ़ चुकी है। ऐसे में मौसम में हो रहे बदलाव और बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए जरूरी है कि आप अपनी गट हैल्थ यानी आंत को स्वस्थ रखने के उपाय आजमाएं। आपको बता दें कि अगर आप ऐसा नहीं करते हैं यानी

श्रीश्री रवि शंकर जब आपकी सारी ऊर्जा एक वस्तु पर कंेद्रित होती है, तो यह और भी अधिक निर्देशित और शक्तिशाली होती है। इससे आपके मंतव्य और भी अधिक प्रभावशाली और सफल हो जाते हैं। ध्यान के द्वारा विचारों में बहुत अधिक स्पष्टता आती है… हर रात सोने से पहले आप क्या सोचते हैं? क्या

पटना। नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली भी कहा जाता है और इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और हनुमान जी की पूजा की जाती है। दिवाली से एक दिन पहले कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है...

दीपावली अथवा दिवाली भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। त्योहारों का जो वातावरण धनतेरस से प्रारंभ होता है, वह आज के दिन पूरे चरम पर आता है। दीपावली की रात्रि को घरों तथा दुकानों पर भारी संख्या में दीपक, मोमबत्तियां और बल्ब जलाए जाते हैं। दीपावली भारत के त्योहारों में अपना विशिष्ट स्थान रखती है। इस दिन लक्ष्मी के पूजन का विशेष विधान है। रात्रि के समय प्रत्येक घर में धनधान्य की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी जी, विघ्न-विनाशक गणेश जी और विद्या एवं कला की देवी मातेश्वरी सरस्वती देवी की पूजा-आराधना की जाती है। ब्रह्मपुरा

भैया दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिंदू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भारतीय समाज में परिवार सबसे अहम पहलू है। भारतीय परिवारों की एकता यहां के नैतिक मूल्यों पर टिकी होती है। इन नैतिक मूल्यों को मजबूती देने के लिए वैसे तो हमारे संस्कार ही काफी हैं, लेकिन फिर भी इसे अतिरिक्त मजबूती देते हैं हमारे त्यौहार। इन्हीं त्यौहारों में भाई-बहन के आत्मीय रिश्ते को दर्शाता एक त्यौहार है भैया दूज।

परमात्मा की पराशक्ति भगवती निराकार होकर भी देवताओं का दु:ख दूर करने के लिए युग-युग में साकार रूप धारण करके अवतार लेती हैं। उनका शरीर ग्रहण उनकी इच्छा का वैभव कहा गया है। सनातन शक्ति जगदम्बा ही महामाया कही गई हैं। वे ही सबके मन को खींच कर मोह में डाल देती हैं। उनकी माया

अगर आप सोचते हैं कि जीवंत होने के बजाय आपके पास करने के लिए ज्यादा महत्त्वपूर्ण कोई चीज है, तो मृत्यु आएगी। आप चिकित्सकीय दृष्टि से शायद मरे हुए न हों, लेकिन अपने आसपास हर चीज के प्रति आप मरे हुए होंगे। अगर आप जीवन से मृत्यु की ओर चले गए हैं, तो जीवन में वापस आने का यही समय है...

हमारी प्राचीन प्रथाओं व अनुष्ठानों में गहरा ज्ञान और अंतर्दृष्टि छिपी है। दिवाली हम कार्तिक माह में मनाते हैं। इस पूरे महीने लोग अपने घरों के सामने दीपक जलाते हैं, इसका एक कारण यह है कि पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में कार्तिक मास, वर्ष के सबसे अंधेरे महीनों में से एक है। यह दक्षिणायन के अंत का प्रतीक है अर्थात जब सूर्य दक्षिण की ओर बढ़ता है, तो रोशनी कम होती जाती है। दीपक जलाने के पीछे एक और प्रतीक है। भगवान बु