आस्था

उत्तराखंड को मंदिरों की नगरी कहा जाता है। यहां पर कई प्रसिद्ध मंदिर व धार्मिक स्थल हैं, जिनसे लोगों की श्रद्धा एवं आस्था जुड़ी हुई है। ऐसा ही एक देवी माता का मंदिर यहां स्थित है, जो अपनी भव्यता और महत्ता के चलते बहुत चमत्कारी माना जाता है। उत्तराखंड में बद्रीनाथ के पास ही देवी

बताया जाता है कि जब भगवान शिव को सिगरेट अर्पित की जाती है, तो वह अपने आप ही सुलगने लगती है और इससे निकलने वाला धुआं देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान शिव उसे पी रहे हैं। भगवान शिव के इस अद्भुत आश्चर्यचकित करने वाले दृश्य को देखने के लिए यहां दूर-दूर से लोग

घोररूपे महारावे सर्वशत्रुभयंकरि। भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां शरणागतम्।। 1।। सुरासुरार्चिते देवि सिद्धगन्धर्वसेविते। जाड्यपापहरे देवि त्राहि मां शरणागतम्।। 2।। जटाजूटसमायुक्ते लोलजिह्वान्तकारिणि। द्रुतबुद्धिकरे देवि त्राहि मां शरणागतम्।। 3।। सौम्यक्रोधधरे रूपे चण्डरूपे नमोस्तुते। सृष्टिरूपे नमस्तुभ्यं त्राहि मां शरणागतम्।। 4।। जडानां जडतां हन्ति भक्तानां भक्तवत्सला। मूढ़तां हर मे देवि त्राहि मां शरणागतम्।। 5।। वं ह्रूं ह्रूं कामये देवि

विश्वभर में श्रीकृष्ण के कई मंदिर हैं, जहां वो राधा रानी के साथ विराजित हैं, लेकिन भगवान कृष्ण के कुछ ऐसे मंदिर हैं, जहां वो अपनी पत्नियों के साथ विराजमान हैं। जिनमें से एक आंध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी में है, जहां वो अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ विराजमान हैं। यहां श्रीकृष्ण के साथ उनकी आठ

आजकल नौकरी का समय केवल सुबह 10 से शाम पांच वाला नहीं रहा है। अब बहुत  ऑड टाइमिंग है, जिनमें लोगों को काम करना पड़ता है। कभी बहुत सुबह तो कभी रात भर काम करना पड़ता है। इन सभी टाइमिंग की वजह से नींद में अप्स-डाउन आते हैं। जिसे शिफ्ट वर्क स्लीप डिसऑर्डर कहते हैं।

यह कलकत्ते में घटी एक घटना है, जो अगस्त, 1980 में घटी थी। यह अपने आप में काफी दिलचस्प और आश्चर्यजनक घटना है। राजनाथ दिनभर अपनी पत्नी सहित कलकत्ता भ्रमण कर शाम को वापस अपने घर जा रहा था। राजनाथ भोपाल (मध्य प्रदेश) का रहने वाला था। नौकरी के सिलसिले में कलकत्ता आ गया था।

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव अगर आप यह नहीं जानते कि सहज रूप से जीवन के एक अंश के रूप में कैसे रहा जाए, तो आप एक विकृत जीवन जी रहे हैं। आज पंचानवें फीसदी लोगों में यह विकृति है कि वह सहजता से एक जगह नहीं बैठ सकते। लोगों को हर वक्त कुछ न कुछ करने

शारीरिक रूप से सक्रिय रहना एक ऐसा रास्ता है, जिसके बलबूते शरीर व उसके जोड़ स्वस्थ रहते हैं और बेहतर तरीके से काम भी करते हैं। अकसर यह कहा जाता है कि हर रोज का तनाव और एक्सरसाइज करते समय लिया गया तनाव, आपके ज्वाइंट्स को आसानी से चोटिल कर सकता है। इसलिए यह सुनिश्चित

जो कृछ भी जीव में ज्ञान प्रकट होता है अथवा वह जड़ जगत से हलचल आदि होती है उन सबका कारण ईश्वर ही है। यदि ईश्वर रचना करके उसमें स्वयं प्रवेश न करे, तब सृष्टि जड़वत ही रह जाएगी, इसका कोई कार्य व्यवहार नहीं होेगा… गतांक से आगे… भारद्वाज आदि इन सातों ऋषियों का अति