आस्था

रामायण के पात्र वन में जाने से पहले सीता जी की रक्षा के लिए लक्ष्मण जी ने अपने बाण से एक रेखा खींची तथा सीता जी से निवेदन किया कि वे किसी भी परिस्थिति में इस रेखा का उल्लंघन नहीं करें, यह रेखा मंत्र के उच्चारणपूर्वक खिंची गई है, इसलिए इस रेखा को लांघ कर

बाबा हरदेव गतांक से आगे… लेकिन अगर शरीर को पानी की प्यास लगती है, तो एक गली में पहुंचता है और कहता है कि बड़े जोरों की प्यास लगी है, भाई साहब, बताइए पानी कहां मिलेगा? कोई बताता है कि यह गली, जहां आप हैं आगे दाहिने मुड़ती है, वहीं नल लगा हुआ है। वहां

गतांक से आगे… हनुमानजी ने जब ऐरावत पर विराजमान इंद्र को देखा तो उन्होंने समझा कि यह कोई सफेद फल है। अब हनुमानजी राहु को छोड़कर इंद्र की ओर लपके तो घबराहट में इंद्र ने हनुमानजी पर वज्र का प्रहार किया। इंद्र का वज्र हनुमानजी की ठुड्डी पर लगा, जिससे वह एक पर्वत पर जा

स्वामी रामस्वरूप संपूर्ण भगवदगीता वेदों के मंत्रों पर ही आधारित ज्ञान का प्रकाश कर रही है क्योंकि सृष्टि के आरंभ में ईश्वर केवल वेदों का ही ज्ञान देता है जिसे सुनकर बाद में पढ़-लिखकर साधक विद्वान होते आए हैं और जिसके आधार पर ही शास्त्र-उपनिषद, गीता आदि ग्रंथों की रचना हुई… गतांक से आगे… दूसरा

एक दिन कृपाचरण सुबह नहा-धोकर शिवलिंग पर जल चढ़ाने गया। जैसे ही उसने तांबे के लोटे से शिवलिंग पर पानी की धार छोड़ी वैसे ही पिंडी के वृत्त में चारों ओर मोटा-मोटा काला-सा जीव सरकने लगा। कृपाचरण के हाथ से लोटा छूटकर दूर जा गिरा। लौटा गिरते ही तीन-चार हाथ ऊंचा उठकर वह काला जीव

घर में आयुर्वेद – डा. जगीर सिंह पठानिया, सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक, आयुर्वेद, बनखंडी मनुष्य के पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड का स्राव लगातार होता रहता है, जिसकी एक सीमा तक जरूरत भी होती है जो कि हमारे आमाशय में भोजन का पाचन करता है। जब यह सीमा से कम हो जाता है, तो हमारे भोजन का

श्रीश्री रवि शंकर जब यह तकनीक काम न करे तो आप दूसरी तकनीक पर जाएं, जिसे दान कहते हैं, जिसका अर्थ है इसे होने देना, क्षमा कर देना, स्थान देना। यदि लोग आपकी उदारता को नहीं पहचान पाते हैं तो तीसरी तकनीक भेद काम में आती है। इसका अर्थ है तुलना करना, दूरी उत्पन्न करना।

भैरवसिद्धि के पश्चात साधक किसी भी व्यक्ति के रोग, दुख और भूतादि बाधाओं को दूर करने की शक्ति प्राप्त कर लेता है। व्यापार-बाधा एवं धन संबंधी कष्टों का निवारण भी भैरवनाथ के स्मरण मात्र से ही हो जाता है। वैसे तो भैरवनाथ के अनेक रूप हैं, किंतु रुद्रयामल तंत्र साधना में बटुक भैरव को सर्वाधिक

श्रीराम शर्मा आनंद अध्यात्म की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। जो व्यक्ति इसे प्राप्त कर लेता है, उसकी अवस्था आध्यात्मिक दृष्टि से काफी उच्च मानी जाती है। यों बहिरंग की प्रफुल्लता सर्वसामान्य में भी देखी जाती है, पर वह भौतिकता से जुड़ी होने के कारण अस्थिर होती और घटती-बढ़ती रहती है, लेकिन आनंद आत्मिक होने के