आस्था

चटपटा, स्पाइसी और टेस्टी खाने के चक्कर में अकसर ये समस्या होती है। इसकी वजह से पेट में दर्द, मरोड़, एसिडिटी और बुखार जैसी कई परेशानियां शुरू हो जाती हैं। बीमारियां फैलाने वाले बैक्टीरिया ज्यादातर मीट, सी फूड और डेयरी प्रोडक्ट्स में पाए जाते हैं… फूडप्वाइजनिंग किसी भी मौसम में खाने-पीने की खराबी के कारण

– डा. जगीर सिंह पठानिया सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक, आयुर्वेद, बनखंडी वृद्धावस्था में स्वास्थ्य समस्याएं भारतीय प्राचीन संस्कृति अपने प्रगाढ़ पारिवारिक संबंधों के लिए जानी जाती है। इस संस्कृति में वृद्धावस्था को सम्मान के साथ अपनाया जाता है, लेकिन वर्तमान परिपेक्ष्य में एक और जहां जनसंख्या वृद्धि में नियंत्रण लाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर

-गतांक से आगे… माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः। सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्नान्यं जाने नैव जाने न जाने।। 31।। दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मजा। पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनंदनम।। 32।। लोकाभिरामं रनरङ्गधीरं राजीवनेत्र रघुवंशनाथम। कारुण्यरुपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये।। 33।। मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।। 34।।

नंदोत्सव भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के दूसरे दिन समूचे ब्रजमंडल में मनाया जाने वाला प्रमुख उत्सव है। ब्रज क्षेत्र के गोकुल और नंदगांव में श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के दूसरे दिन नंदोत्सव का विशेष आयोजन होता है। शास्त्रों के अनुसार कंस की नगरी मथुरा में अर्धरात्रि में श्रीकृष्ण के जन्म के बाद सभी सैनिकों को नींद

मथुरा का कृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर मुख्य तीर्थ स्थान माना जाता है। ये सदियों पुराना मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के प्रपौत्र यानी प्रद्युम्न के बेटे अनिरुद्ध के पुत्र ने करवाया था। मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में जन्माष्टमी मनाने के लिए देश और दुनिया से लाखों की संख्या में भक्त

भगवान विष्णु ने संसार में धर्म की स्थापना व अधर्म के नाश हेतु अनेक अवतार लिए। इन्हीं में से एक अवतार द्वापर युग में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में लिया। श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रात्रि में हुआ था। अतः इस पावन तिथि को प्रत्येक वर्ष भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में संपूर्ण भारतवर्ष में बहुत ही धूमधाम व आस्था के साथ मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण का संपूर्ण जीवन प्रेरणा स्वरूप रहा है जो जीवन के अनेक सूत्रों को बताता है और यही अमूल्य सूत्र जीवन को दिशा और मुक्ति का मार्ग दिखलाते हैं...

विश्व भ्रमण – डा. चिरंजीत परमार,  186/3 जेल रोड, मंडी 1987 में मुझे चेकोस्लोवाकिया जाने का अवसर मिला। तब यह एक समाजवादी या साम्यवादी (मुझे दोनों वादों में अंतर मालूम नहीं) देश हुआ करता था और इसका विभाजन भी नहीं हुआ था। वहां के एक शहर हृडेश क्रैलोव में, यूरोपियन एसोसियेशन फॉर रिसर्च ऑन प्लांट

श्रीराम शर्मा कर्म जो आंखों से दिखाई देता है वह अदृश्य-विचारों का ही दृश्य रूप है। मनुष्य जैसा सोचता है वैसा करता है। चोरी, बेईमानी, दगाबाजी, शैतानी, बदमाशी कोई आदमी यकायक कभी नहीं कर सकता, उसके मन में उस प्रकार के विचार बहुत दिनों से घूमते रहते हैं। अवसर न मिलने से वे दबे हुए

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव आप अपने विचारों और भावनाओं का चिंतन कर सकते हैं लेकिन आप स्व का चिंतन नहीं कर सकते। आपके अस्तित्व का चिंतन नहीं किया जा सकता। इसका सिर्फ  अनुभव किया जा सकता है। मन आपके आसपास की दुनिया को प्रतिबिंबित कर रहा है, लेकिन एक जीवन के रूप में आप का कोई