आस्था

*  रात को सोने से पहले एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज की समस्या दूर होती है। *  आंखों के काले घेरों पर दूध की मलाई और खीरे का रस लगाने से काले घेरे साफ होते हैं। *  रोजाना सुबह खाली पेट दिन में तीन बार आंवले चबाकर खाने

धर्मनगरी हरिद्वार के मंदिरों में सावन शुरू होते ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। जगह-जगह भोले के भक्त जलाभिषेक करते हैं। हरिद्वार के बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर को आदिकाल से ही भोलेनाथ धाम के रूप में जाना जाता है। भगवान शिव के जीवन से जुड़ी कई कथाओं में हरिद्वार का जिक्र प्रमुखता से होता है।

-गतांक से आगे… सन्नद्धः कवची खड़्गी चापबाणधरो युवा। गच्छन्मनोरथान्नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः।। 21।। रामो दाशरथिः शूरो लक्ष्मणानुचरो बली। काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्लेयो रघूत्तमः।। 22।। वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः। जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः।। 23।। इत्येतानि जपन्नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः। अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः।। 24।। रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम। स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नराः।। 25।। रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरं।

कजरी तीज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला त्योहार है। इस पर्व को हरितालिका तीज भी कहा जाता है। इस अवसर पर सुहागिन महिलाएं कजरी खेलने अपने मायके जाती हैं। इसके एक दिन पूर्व यानी भाद्रपद कृष्ण पक्ष द्वितीया को रतजगा किया जाता है। महिलाएं रात भर कजरी खेलती

रक्षाबंधन हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है जो श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह भाई-बहन को स्नेह की डोर से बांधने वाला त्योहार है। यह त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है… रक्षासूत्र भारतीय परंपरा में विश्वास का बंधन ही मूल है और रक्षाबंधन इसी विश्वास का बंधन है। यह पर्व

पांच अगस्त को पीएम मोदी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का भूमि पूजन करेंगे। इस दौरान पीएम मोदी श्रीराम जन्मभूमि परिसर में पारिजात का पौधा लगाएंगे। आखिर क्या है इस पौधे का महत्त्व और खासियत जिसकी वजह से इसे भूमि पूजन समारोह का हिस्सा बनाया जा रहा है। आइए जानते हैं इस दिव्य वृक्ष के

हिमाचल का नाम देवभूमि इसलिए भी प्रचलन में है क्योंकि पूरे प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर देवी-देवताओं का वास है और इससे संबंधित साक्षात प्रमाण देखने को मिलते हैं। हिमाचल प्रदेश में अनेको शिव मंदिर हैं। हर मंदिर की अपनी-अपनी महिमा है। ऐसा ही एक धार्मिक स्थल जिला ऊना के गगरेट कस्बे के नजदीक शिवबाड़ी

अमृतपान के लिए जहां देवताओं और दानवों में संघर्ष शुरू हुआ, वहीं कालकूट हलाहल (विष) की अग्नि से पूरा ब्रह्मांड धधक उठा। देवताओं की विनती पर जगत के कल्याण हेतु भगवान शिव ने कालकूट विष अपने कंठ में धारण कर लिया। विष के कारण उनका कंठ नीला पड़ गया… गढ़वाल, उत्तरांचल में हिमालय पर्वतों के

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… ध्यान-पूजा के बाद श्री रामकृष्ण परमहंस के देहवशेष वाले ताम्रपात्र को दक्षिण स्कंध पर धारण कर वे बेलूड़ मठ की तरफ चले। गुरुभाई और शिष्य शंख, घंटा आदि बजाते हुए उनके पीछे-पीछे चले। मठ प्रांगण में यत्नपूर्वक निर्मित वेदिता पर पवित्र अवशेषों को स्थापित कर सभी भक्तों ने श्रद्धापूर्वक प्रणाम