आस्था

बलद्वाड़ा से दो किलोमीटर की दूरी पर मठ गांव के एक किनारे आम के हरे-भरे बागीचे में स्थित है मां श्यामाकाली का प्राचीन मंदिर। इसका निर्माण मंडी के राजा श्यामसेन ने 1669 ई. के आसपास करवाया था। मंदिर के अंदर मां श्यामाकाली, गणेश जी व दो छोटी-छोटी पत्थरों की मूर्तियां मौजूद हैं… हिमाचल को देव

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव जब आप अपने शरीर की सीमाओं से परे चले जाते हैं, तो फिर सर्दी, गर्मी कहां होगी? क्या सर्दी या सर्द हवाएं आप की अंदरूनी गहराई को छू सकेंगी? सर्दी और गर्मी सिर्फ  आप की त्वचा की ऊपरी सतह को छू सकती हैं… अपने जीवन में और खास तौर पर अपने बच्चों

-गतांक से आगे… सहस्त्रनामपठनात्सर्व नश्यति तत्क्षणात। महादारिर्द्ययुक्तो यो वैष्णवो विष्णुभक्तिमान।। 146।।             कार्तिक्यां सम्पठेद्रात्रौ शतमष्टोत्तर क्रमात।             पीताम्बरधरो धीमासुगन्धिपुष्पचन्दनैः।। 147।। पुस्तकं पूजयित्वा तु नैवेद्यादिभिरेव च। राधाध्यानाडि़कतो धीरो वनमालाविभूषितः।। 148।।             शतमष्टोत्तरं देवि पठेन्नामसहस्त्रकम।             चैत्रशुक्ले च कृष्णे च कुहूसंक्रान्तिवासरे।। 149।। पठितव्यं प्रयत्नेन त्रौलोक्यं मोहयेत्क्षणात। तुलसीमालया युक्तो वैष्णवो भक्तित्परः।। 150।।             रविवारे च शुक्रे च द्वादश्यां

भारतीय संस्कृति को प्रज्वल्लित करता हुआ एक उदाहरण नीलकंठ धाम स्वामीनारायण मंदिर नर्मदा नदी के किनारे पर स्थित पोइचा गांव में बनाया गया है। करीबन 105 एकड़ जमीन पर फैला हुआ यह मंदिर भगवान स्वामीनारायण का है, जो राजकोट स्वामीनारायण गुरुकुल द्वारा संचालित है। रविवार के दिन और छुट्टियों के दिनों में यहां श्रद्धालुओं का

श्रीश्री रवि शंकर संसार की भाषा है कलह, दिल की भाषा है प्रेम और आत्मा की भाषा है मौन। अब किस भाषा में बात करें। दिल की जो भाषा है उसमें शब्द कोई ज्यादा मायने नहीं रखते। वैसे जब कारोबार करते हैं, दुकान चलाते हैं, उसमें तो दिल की भाषा नहीं होती, उसमें दिमाग का

ओशो इस सदी के एक बहुत बड़े मनोवैज्ञानिक अल्फ्रेड एडलर ने मनुष्य के जीवन की सारी उलझनों का मूल स्रोत हीनता की ग्रंथि को बताया है। हीनता की ग्रंथि का अर्थ है कि जीवन में तुम कहीं भी रहो, कैसे भी रहो, सदा ही मन में यह पीड़ा बनी रहती है कि कोई तुमसे आगे

लंबे समय तक एसी में बैठे रहने से आपको लगातार हल्का बुखार और थकान बने रहने की समस्या हो सकती है। इतना ही नहीं, इसका तापमान ज्यादा कम करने पर आपको सिरदर्द और चिड़चिड़ाहट महसूस हो सकती है। अगर आप एसी से निकल कर सामान्य तापमान या गर्म स्थान पर जाते हैं, तो आप लंबे

हिमाचल प्रदेश सहित हिमालय के अन्य क्षेत्रों में जंगली तौर पर पाया जाने वाला फल काफल कई औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है। प्रतिवर्ष अप्रैल से जून माह के बीच काफल पक कर तैयार हो जाता है। काफल आर्थिक तौर पर भी स्थानीय लोगों

करेला खाने में भले ही कड़वा होता है, लेकिन स्वास्थ्य के लिए यह बड़े काम की चीज है। विशेषज्ञों का कहना है कि करेला कुपोषण और कई बीमारियों से बचाव में बेहद कारगर है। करेला विटामिन से भरपूर होता है। टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के लिए तो यह विशेष रूप से लाभदायक है। जिनका हाजमा