आस्था

*  कफ से परेशान हों, तो गर्म दूध में सोंठ और थोड़ी सी हल्दी  मिलाकर पीने से जुकाम ठीक हो जाता है और कफ भी बाहर निकल जाता है। *  खांसी आने पर देशी पान के पत्ते, मुलहठी का चूर्ण 3 ग्राम डालकर मुंह में रखकर चूसने से खांसी दूर हो जाती है। *  5

हर चीज में बैक्टीरिया और कीटाणु होते हैं, अब वह आपका फोन, बैग या यहां तक कि आपकी पेन ही क्यों न हो। जब तक ये चीजें किसी और के साथ शेयर नहीं की जाती हैं और साफ  होती रहती हैं, तो तब तक यह कीटाणुरहित हैं… बैक्टीरिया हर जगह हैं, आपके लिए दिखाई देने

गतांक से आगे… काफी समय बाद जब जालंधरनाथ की समाधि टूटी,तो अपने सामने दो नारियों को बैठे पाया। उन्होंने पूछा माताओ आप कौन हो और आधी रात को मेरी धुनी पर किस उद्देश्य से आई हो। मैनावती दोनों हाथ जोड़कर बोली, योगीराज मैं यहां के राजा गोपीचंद की जननी हूं। मेरा नाम मैनावती है और

लाक्षणिक चिकित्सा पर आधारित होम्योपैथी कोरोना वायरस से अक्रांत मरीजों की चिकित्सा में सबसे ज्यादा कारगर सिद्ध हो सकती है तथा रोग प्रारंभ होने से पूर्व भी कुछ औषधियों के प्रयोग से इस रोग से बचा जा  सकता है… सारी दुनिया इस समय अब तक 70 से ज्यादा देशों में 90 हजार से ज्यादा लोगों

गतांक से आगे… यह सोच कर वह पुनः प्रजापति के समक्ष उपस्थित हुआ। प्रजापति ने उसे बताया कि जब मनुष्य सो जाता है तो उस सुषुप्तिकाल में व्यक्ति हृदयकाश में रहकर जिस माया मात्र तत्त्व का अनुभव करता है,वही आत्मा है। इंद्र यह सुन कर अज्ञान विशिष्ट प्राज्ञ जीव और आत्मा मानकर पुनः ब्रह्मलोक से

दिन प्रतिदिन देश में बढ़ती बीमारियों में से एक समस्या किडनी की भी है। आज बहुत से लोग किडनी से जुड़ी समस्याओं से पीडि़त हैं। भारत में कुल 14 प्रतिशत महिलाएं किडनी की समस्या से पीडि़त हैं। पिछले कुछ वर्षों से भारत में गुर्दे से जुड़ी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। इसलिए यह जरूरी हो

*                   जख्म भरने वाले हाथ प्रार्थना करने वाले होंठ से कहीं ज्यादा पवित्र होते हैं *                  अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है, वह सोने के हार को भी मिट्टी का बना   देता है *      

बसंत ऋतु में 1500 मीटर से अधिक हिमालयी क्षेत्र में बुरांस के फूल सभी को अपनी ओर आर्कषित करते हैं। बुरांस दिखने में ही सुंदर नहीं होता, इसमें कई लाभदायी गुण होते हैं। इसलिए ही प्राचीन काल से ही आयुर्वेद में बुरांस को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है।  इस पेड़ में सीजन में ही फूल

गतांक से आगे… परावरैकत्व विवेक वह्निर्दहत्य विद्यागहनु ह्यशेषम। किं स्यात्पुनः संसरणस्य बीजमद्वैतभावं समुपेयुषोऽस्य।। ब्रह्म और आत्मा का एकतवज्ञान स्वरूप अग्नि अविद्या गहन वन को समस्त रूप से भस्म कर देता है। (अविद्या कि सर्वथा नष्ट हो जाने पर)जब जीव को अद्वैत भाव की प्राप्ति हो जाती है,तब ऐसा कोई कारण ही नहीं रह जाता, जिससे