आस्था

महर्षि पराशर के पुत्र थे वेदव्यास। उनके पुत्र हुए शुकदेव जी। एक समय सुमेरु पर्वत पर महर्षि वेदव्यासजी ने घोर तप कर एक तेजस्वी पुत्र की कामना की। यह गौरी-शंकर की स्थली थी। भगवान शंकर प्रसन्न हो गए। जैसी कामना की, वैसा ही पुत्र देने का वर भी दे दिया,जो उनके ज्ञान तथा सदाचार को

*  सर्दियों में ठंड की वजह से चेहरे, हाथों और पैरों की  त्वचा फटने लगती है। ऐसे में नारियल के तेल में ग्लिसरीन को मिलाकर सुबह-शाम दोनों समय इससे मालिश करें। * रोज दो-तीन बार प्याज के रस को मस्सों पर लगाने से मस्से जड़ से खत्म हो जाएंगे। * सेब का सिरका मस्सों पर

गतांक से आगे… मंत्र रूप यजुर्वेद उसके दक्षिण उत्तर दिशा की अल्प सूत्र मय पटियां हैं। उन सूत्रमय पटियों को सांसारिक जन नवारक कहते हैं। उस सभा में ब्रह्माजी अपनी दो पत्नियों प्रतिरूपा और मानसी के साथ विराजमान होते हैं। वे ब्रह्माजी सब देवताओं से बड़े हैं और इंद्रादिक देवता उनकी उपासना करते हैं। किसी

*           दिव्यता के लिए मन और आत्मा की स्वच्छता एवं  पवित्रता परम आवश्यक है *           आत्म निर्भर बनने की कोशिश कीजिए, क्योंकि आत्म निर्भरता सभी सुखों से बढ़कर है *           अंधेरे में छाया, बुढ़ापे में काया और अंत समय में माया किसी का साथ नहीं 

रामकृष्ण परमहंस भारत के एक महान संत एवं विचारक थे। उनका जन्म 18 फरवरी 1836 ईस्वी को हुआ था। उन्होंने सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया था। उन्हें बचपन से ही विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं। अतः ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर साधना और भक्ति का जीवन बिताया।

फुलैरा दौज अथवा फुलैरा दूज हिंदू धर्म के प्रसिद्ध त्योहारों में से है। बसंत पंचमी और होली के बीच फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलैरा दूज मनाया जाता है।  ज्योतिष जानकारों की मानें तो फुलैरा दूज पूरी तरह दोषमुक्त दिन है। इस दिन का हर क्षण शुभ होता है। इसलिए कोई

अथ ध्यानम कस्तूरीतिलकं ललाटपटले वक्षःस्थले कौस्तुभं नासाग्रे वरमौत्तिकं करतले वेणुं करे कंकणम। सर्वाड़्गे हरिचंदनं सुललितं कण्ठे च मुक्तावलि गोपस्रीपरिवेष्टितो विजयते गोपालचूडामणिः।। 1।। फुल्लेन्दीवरकान्तिमिन्दुवदनं बर्हावतंसप्रियं श्रीवत्साड़्कमुदारकौस्तुभधरं पीताम्बरं सुंदरम। गोपीनां नयनोत्पलार्चिततनुं गोगोपसंघावृतं गोविंदं कलवेणुवादनपरं दिव्याड़्गभूषं भजे।। 2।। इति ध्यानम ऊं क्लीं देवः कामदेवः कामबीजशिरोमणिः। श्रीगोपालको महीपालः सर्वर्व्दान्तपरगः।। 1।। धरणीपालको धन्यः पुण्डरीकः सनातनः। गोपतिर्भूपतिः शास्ता प्रहर्ता विश्वतोमुखः।। 2।।

राजा का तालाब से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित बाबा बल्ले दा पीर लोगों की आस्था का केंद्र है। बाबा बल्ले दा पीर लारथ मंदिर में सर्पदंश का इलाज किया जाता है। रोजाना लोग बाबा बल्ले दा पीर मंदिर की परिक्रमा करके अपने कुशल भविष्य की कामना करते हैं। मंदिर में सुबह से शाम

भारत एक समृद्ध संस्कृति का देश है,जहां एक से ज्यादा धार्मिक संस्कृति के लोग एक साथ रहते हैं। इस कारण यहां मनाए जाने वाले त्योहार भी अलग-अलग हैं। इन त्योहारों में भारतीय संस्कृति की धार्मिक छवि के रंग देखने को मिलते हैं। जिससे यह अनुभूति होती है कि आज भी लोग अपनी परंपराओं को संजोए