आस्था

सर्दियों में कभी-कभी हमारे हाथ-पैर और उनकी अंगुलियां  सुन्न पड़ जाती हैं, जिससे हमें किसी भी चीज को छूने का एहसास मालूम नहीं पड़ता। इसके साथ ही हो सकता है कि आपको प्रभावित स्थान पर दर्द, कमजोरी या एठन भी महसूस होती हो। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे लगातार हाथों और पैरों पर

सफला एकादशी पौष मास में कृष्ण पक्ष एकादशी को कहा जाता है। इस दिन भगवान अच्युत (विष्णु) की पूजा की जाती है… व्रत और विधि इस व्रत को करने वाले को चाहिए कि प्रातः स्नान करके भगवान की आरती कर भोग लगाए। इस दिन अगरबत्ती, नारियल, सुपारी, आंवला, अनार तथा लौंग आदि से श्री नारायण

क्रिसमस या बड़ा दिन ईसा मसीह या यीशु के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व है। यह 25 दिसंबर को पड़ता है और इस दिन लगभग संपूर्ण विश्व में अवकाश रहता है। क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है। एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का

-गतांक से आगे… अयि शरणागत वैरिवधुवर वीरवराभय दायकरे त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शुलकरे। दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिङ्मकरे जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥ 6 ॥ अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते। शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥ 7 ॥ धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हताबटुके। कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग

कुमारसैन का वास्तविक नाम कुम्हारसेन है। कुम्हार शब्द का जन्म संस्कृत भाषा के शब्द ‘कुंभकार’ से हुआ है, जिसका अर्थ है मिट्टी के बरतन बनाने वाला। कुम्हारो के अस्तित्व के कारण इस स्थान का नाम कुम्हारसेन रखा गया होगा, जोकि आज कुमारसैन के नाम से विख्यात है। प्राचीन कुम्हारसेन रियासत वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के

नए साल में लोग घूमने-फिरने का प्लान बनाते हैं। खास कर धार्मिक स्थलों पर साल के आखिरी दिनों और नए साल की शुरुआत पर काफी भीड़ देखने को मिलती है। खासकर मुंबई के  इस सिद्धिविनायक मंदिर में इस दौरान श्रद्धालुओं का जमावड़ा रहता है। यहां देश ही नहीं,बल्कि विदेशों से भी लोग बप्पा के दर्शन

उत्तराखंड की धरती पर तमाम ऐसी जगहें हैं, जिनका इतिहास हमारे धार्मिक ग्रंथों से जुड़ा है। ऐसी ही एक बेहद खास जगह है सतोपंथ झील। यह चौखंभा शिखर की तलहटी पर बसी हिमरूप झील है। इसके साथ महाभारत काल की घटनाओं का ताल्लुक बताया जाता है। आइए जानते हैं सतोपंथ झील के रहस्य के विषय

बाबा हरदेव हम उनकी संतुष्टि नहीं कर पाएंगे और अंत में  हमें कहना पड़ेगा कि हम सौंदर्य बताने में असमर्थ हैं। हम हार जाएंगे इसके आगे क्योंकि इसने दृश्य को ही पकड़ा है और हमने अदृश्य की घोषणा की है, जो बतलाने से बाहर है। सौंदर्य बतलाया नहीं जा सकता है। वास्तव में सौंदर्य फूल

जिसी की बात हैरान कर देने वाली थी। फिर भी जिसी ने जिस प्रकार सरलता से सब समझाया, सराहनीय था। जिसी ने आगे कहा- ‘यह कार्य हर साधक साधना के बल पर कर सकता है।’ जिसी जितनी सुंदर थी, उसका स्वर भी उतना ही मधुर और आकर्षक था। उसके पतले-पतले होंठों से मानो गुलाब की