आस्था

परशुराम त्रेता युग (रामायण काल) के एक ब्राह्मण थे। उन्हें विष्णु का छठा अवतार भी कहा जाता है। पौराणिक वृत्तांतों के अनुसार उनका जन्म भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि द्वारा संपन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इंद्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ था। वे भगवान विष्णु के आवेशावतार थे।

*                       जो धैर्यवान नहीं, उसका न वर्तमान है न भविष्य *                       अपनी स्वयं की क्षमता पर काम करो, दूसरों पर निर्भर मत रहो *                       उस व्यक्ति ने अमरत्व प्राप्त कर लिया, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता *           

ओशो संवाद का मतलब होता है कि दूसरे को खुले मन से समझने का प्रयास करना। सत्य तक पहुंचने के लिए एक-दूसरे का हाथ थाम लेना, राह ढूंढ़ने में एक-दूसरे की मदद करना संवाद है। यह मित्रता है, सत्य पाने के लिए साथ-साथ चलना, सत्य पाने में एक-दूसरे की मदद करना। अभी किसी के पास

धर्म ग्रंथों के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को भगवान राम ने माता सीता के साथ विवाह किया था। अतः इस तिथि को श्रीराम विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसको विवाह पंचमी भी कहते हैं। भगवान राम चेतना के प्रतीक हैं और माता सीता प्रकृति शक्ति की, अतः चेतना और प्रकृति का मिलन होने

स्कंद षष्ठी का व्रत कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को किया जाता है। तिथितत्त्व ने चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी को स्कंद षष्ठी कहा है। यह व्रत संतान षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। कुछ लोग आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी मनाते हैं। स्कंदपुराण

तिरुवनंतपुरम के श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर में 21 नवंबर से मुरजपम एवं लक्षदीपम पर्व का आयोजन शुरू हो गया है, जो कि 15 जनवरी तक चलेगा। मकर संक्रांति पर 1 लाख दीपक जलाकर इसका समापन किया जाएगा। यह सदियों पुराना अनुष्ठान है, जो हर 6 साल में एक बार आयोजित किया जाता है। 56 दिनों

नवम गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी महान आध्यात्मिक चिंतक तथा गंभीर धर्म साधक थे। सन् 1621 वैशाख माह में आपका जन्म पिता श्री हरगोबिंद जी तथा माता बीबी नानकी के घर हुआ था। आपकी आध्यात्मिक रुचियां एवं वैरागी प्रवृत्ति बचपन से ही प्रफुल्लित होने लगी थीं। आप संत स्वभाव के थे, परंतु आप में

जम्मू-कश्मीर मां श्रीवैष्णो दरबार के लिए तो विश्वविख्यात है ही, वहीं जम्मू शहर में तवी नदी का पुल पार करते ही रघुनाथ बाजार में जम्मू-कश्मीर के पूर्व राजपरिवार द्वारा निर्मित रघुनाथ मंदिर की आभा, सुंदरता, भव्यता देखते ही बनती है। मंदिर में स्थापित 33 करोड़ देवी-देवताओं के दर्शन आस्थावान हिंदू भक्तों को नतमस्तक होने के

देवी देवमुपागम्य नीलकंठं मम प्रियम्। कृपया पार्वती प्राह शंकरं करुणाकरम्।। 1।। बू्रहि वल्लभ साधूनां दरिद्राणां कुटुम्बिनाम्। दरिद्र दलनोपायमंजसैव धनप्रदम्।। 2।। पूजयन् पार्वतीवाक्यमिदमाह महेश्वरः। उचितं जगदम्बासि तव भूतानुकम्पया।। 3।। स सीतं सानुजं रामं सांजनेयं सहानुगम्। प्रणम्य परमानन्दं वक्ष्येऽहं स्तोत्रमुत्तमम्।। 4।। धनदं श्रद्धानानां सद्यः सुलभकारकम्। योगक्षेमकरं सत्यं सत्यमेव वचो मम।। 5।। पठंतः पाठयंतोऽपि ब्रह्मणैरास्तिकोत्तमैः। धनलाभो भवेदाशु नाशमेति