आस्था

ह्लदही में थोड़ी हल्दी मिलाकर घरेलू फैस पैक बना लें और नियमित रूप से प्रयोग करने से त्वचा का रंग साफ होने लगता है। ह्लठंडा दूध लेकर रूई की मदद से भी आप दाग-धब्बों को साफ कर सकते हैं। Email : feature@divyahimachal.co पाठकों से- अगर आपको कोई घरेलू स्वास्थ्य नुस्खा आता है, तो आप भी

जीवन एक वसंत/शहनाज हुसैन किस्त-36  सौंदर्य के क्षेत्र में शहनाज हुसैन एक बड़ी शख्सियत हैं। सौंदर्य के भीतर उनके जीवन संघर्ष की एक लंबी गाथा है। हर किसी के लिए प्रेरणा का काम करने वाला उनका जीवन-वृत्त वास्तव में खुद को संवारने की यात्रा सरीखा भी है। शहनाज हुसैन की बेटी नीलोफर करीमबॉय ने अपनी

 हमारे ऋषि-मुनि, भागः 17  तेज वायु चली, भयानक बादल गरजे, तेज बिजली चमकी, मूसलाधार वर्षा होने लगी। जल ही जल  चारों ओर समुद्र का प्रचंड रूप कर दिया पूरा भूमंडल ग्रसित। सर्वत्र जल ही जल, पृथ्वी का नामोनिशान नहीं। आकाश, स्वर्ग, तारागण, सभी दिशांए पूरा त्रिलोक जलमग्न। अकेले मार्कंडेय पागलों की तरह इधर से उधर,

गतांक से आगे… मैं तो बाल ब्रह्मचारी हूं और पेट भरने को केवल दो रोटी चाहिए। मेरी तो केवल वह राज्य देखने की इच्छा है। गोरख गुरु की बात सुनकर कलिंगा रानी ने सोचा, इतना सच्चा आदमी पृथ्वी पर मिलना दुर्लभ है जिसे पेट भरने के वास्ते दो रोटियां चाहिए। पर समस्या तो यह है

हे शिष्य! जब श्वेतकेतु के पिता आरुणि ने यह बात कही, तब श्वेतकेतु का चित्त उसका उत्तर देने में असमर्थ होने से गर्व रहित हो गया। इस कारण उसने श्रद्धापूर्वक पिता को नमस्कार करके कहा, हे भगवन! मैं ऐसी वस्तुओं को नहीं जानता,इसलिए आप कृपा करके उसका उपदेश मेरे प्रति करो। यह सुनकर आरुणि कहने

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव मैं जानता हूं कि किसी उद्यमी के लिए पैसा बहुत मायने रखता है, पर आपके पास पैसा केवल इसलिए नहीं आता कि आप उसे पाना चाहते हैं। यह आपके पास तब आता है जब आप कुछ अच्छे से करते हैं। अगर आप केवल पैसे के बारे में सोचते हैं, तो मेरे हिसाब

शक्ति की ही विजय गतांक से आगे… आधुनिक जापान की सर्वांगीण उन्नति से उनकी दृष्टि खास रूप से आकर्षित थी। स्वाधीन जापान ने कुछ ही वर्षों में एक अद्भुत प्रगति की थी। उन्हीं दिनों 40 करोड़ चीनियों के साथ युद्ध में मुट्ठी भर जापानी विजयी हुए थे। इससे उनके आत्मविश्वास और संगठन शक्ति की ही

 नोमग्याल ने बतलाया – ‘इस मंत्र का उच्चारण अत्यंत धीमे स्वर में होना चाहिए।’ मैं सहमत हो गया। पद्मचक्र हाथ में घूम रहा था। जिसी अत्यंत प्रसन्नता के साथ होंठों पर मुस्कान लिए देख रही थी। उसके पतले होंठों पर शिशु-सी मुस्कान उसे और सुंदर बना रही थी। पद्मचक्र हर समय लामा साधुओं के हाथ

 बाबा हरदेव अध्यात्म की यात्रा अज्ञात की यात्रा है। यह एक ऐसी यात्रा है जिसमें आश्वासन होते ही नहीं और यदि भूलवश किसी प्रकार के आश्वासन दिए जाएंगे, तो यह यात्रा बाधित हो जाएगी क्योंकि आश्वासन से अपेक्षा पैदा हो जाती है और जहां अपेक्षा है वहां वासना है और जहां वासना है वहां प्रार्थना