आस्था

पहले  बच्चों की सारी जिदें पूरी नहीं होती थीं, लेकिन फिर भी संस्कार इतने पूछो मत और आज के बच्चे हर चीज मुंह आगे, फिर भी इतने बिगड़े हुए और उनको बिगाड़ने का कारण हम खुद हैं। अगर हम घर में एक-दूसरे के साथ झगड़ा करते हैं और अपने बड़ों का सम्मान नहीं करते और

*          जीतने वाले कभी हार नहीं मानते और हार मानने वाले कभी नहीं जीतते *          जिस व्यक्ति ने कभी कोई गलती नहीं की, उसने कभी कुछ नया सीखने की कोशिश नहीं की *          विश्वास वह शक्ति है, जिससे उजड़ी हुई दुनिया में भी प्रकाश किया जा सकता है *          विपरीत परिस्थितियोंं में कुछ लोग टूट

जीवन एक वसंत/शहनाज हुसैन किस्त-33 सौंदर्य के क्षेत्र में शहनाज हुसैन एक बड़ी शख्सियत हैं। सौंदर्य के भीतर उनके जीवन संघर्ष की एक लंबी गाथा है। हर किसी के लिए प्रेरणा का काम करने वाला उनका जीवन-वृत्त वास्तव में खुद को संवारने की यात्रा सरीखा भी है। शहनाज हुसैन की बेटी नीलोफर करीमबॉय ने अपनी

श्रीश्री रवि शंकर योग के लाभ अनन्य हैं। सबसे पहले तो यह हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। योग से हमें चिंता मुक्त और तनाव मुक्त रहने के लिए साधन और तकनीक मिलते हैं। योग मानव जीवन का सबसे बड़ा धन है। धन क्या है? धन का उद्देश्य प्रसन्नता और आराम देना है। योग इस

दिगन्यास का अर्थ है – दिशाओं को नमस्कार करना। इसमें पूर्व दिशा से आरंभ करके क्रमशः आग्नेय कोण, दक्षिण, नैऋत्य कोण, पश्चिम, वायव्य कोण, उत्तर और ईशान कोण को नमस्कार करते हैं। तत्पश्चात आकाश और भूमि को नमस्कार किया जाता है। जिस दिशा को नमस्कार करना होता है, आसन पर बैठे-बैठे उस दिशा की ओर

बाबा हरदेव अब माता-पिता, पति-पत्नी, बेटा-बेटी यह सब आत्मीय संबंध नहीं हैं, यह तो शरीरों के संबंध हैं और इनमें फासले हैं। अतः शरीरों के संबंधों में केवल आदर हो सकता है। अब आदर और श्रद्धा में बहुत अंतर है। उदाहरण के तौर पर किसी व्यक्ति का आचरण बहुत अच्छा है, यह त्याग भावना रखता

संपूर्ण तीर्थों की यात्रा करने के पश्चात विदुर जी हस्तिनापुर आए। उन्होंने मैत्रेय जी से आत्मज्ञान प्राप्त किया था। धर्मराज युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव, धृतराष्ट्र, युयुत्सु, संजय, कृपाचार्य, कुंती, गांधारी, द्रौपदी, सुभद्रा, उत्तरा कृपी नगर के गणमान्य नागरिकों के साथ विदुर जी के दर्शन के लिए आए। सभी के यथायोग्य अभिवादन के पश्चात युधिष्ठिर

तब डोलमा आ गया। उसने परिचय दिया। युवती का नाम जिसी है। यहां की परंपरागत साधिका है। उसकी मां भी थी। जिसी तंत्र-मंत्र साधना में भी सभी प्रकार का सहयोग देती है। जिसी का रूप, यौवन और देह की बनावट अत्यंत आकर्षक थी। शयन की व्यवस्था वहीं कर दी गई। जिसी कई बार आई गई।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा कार्तिक पूर्णिमा कही जाती है। इस दिन महादेवजी ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था। इसलिए इसे ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’ भी कहते हैं। इस दिन यदि कृतिका नक्षत्र हो तो यह ‘महाकार्तिकी’ होती है, भरणी नक्षत्र होने पर विशेष फल देती है और रोहिणी नक्षत्र होने पर इसका